सोने के गहने खरीदने और इस्तेमाल करने वाले सभी जानते हैं कि वे शुद्ध सोने के नहीं हैं क्योंकि बिना किसी दूसरी धातु को मिलाए बगैर सोने को गहनों में नहीं ढाला जा सकता, उस में खोट मिलाना जरूरी होता है. खोट का शाब्दिक अर्थ दोष या निकृष्टता होता है लेकिन सोने की खोट के माने होते हैं इस में अन्य धातुओं की मिलावट जिस की मात्रा सोने की शुद्धता और कीमत पर असर डालती है.
सोने की शुद्धता को कैरेट में नापा जाता है. शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है जिस के गहने नहीं बनाए जा सकते क्योंकि सोना बहुत ही मुलायम धातु होता है इस के बिस्कुट, छड़ें, सिक्के और ईंट मिलती हैं. सोने को सख्त बनाने के लिए दूसरी धातुओं की मिलावट करने पर ही इसे मनचाहे आकार में ढाला जा सकता है. आइए समझें इस खोट और सोने की शुद्धता को जिस से खरीदते और इस्तेमाल करते वक्त मन में कोई शक न रहे.
1 कैरेट गोल्ड का मतलब होता है 1 / 24 फीसदी सोना
आमतौर पर सोने के गहने 22 कैरेट से बने होते हैं. अब अगर आप 22 कैरेट सोने के गहने खरीदते हैं तो उस में सोने की मात्रा इस तरह निकाली जाती है.
22/24*100-91.66 फीसदी सोना. और सरल शब्दों में सम?ों तो 22 कैरेट सोने में दरअसल 91.66 फीसदी सोना होता है. दूसरे शब्दों में कहें तो 8.34 फीसदी खोट होती है. इसी तरह 20,18 और 16 कैरेट में सोने और खोट की मात्रा निकाली जा सकती है.
1 कैरेट सोने की कीमत निकालें
इन दिनों 24 कैरेट सोने का दाम 60 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के लगभग है. बाजार से आप 22 कैरेट सोने के गहने खरीदते हैं तो उस का दाम होगा- 60000/24*22 = 55000. इसी तर्ज या फार्मूले से आप 20 और 18 कैरेट सोने की कीमत खुद निकाल सकते हैं. मसलन 20 कैरेट की निकालें तो 60,000/24
*20=50,000 होगी. इसी फार्मूले से 1 कैरेट सोने की कीमत 2500 रुपए होगी.
और सहूलियत के लिए ऐसे समझें
24 कैरेट सोना यानी शुद्धता 99.9 फीसदी. 23 कैरेट यानी शुद्धता 95.8, 22 कैरेट यानी शुद्धता 91.6, 21 कैरेट यानी शुद्धता 87.5, 18 कैरेट यानी शुद्धता 75.0 और 17 कैरेट यानी शुद्धता होगी 70.8 फीसदी.
यहां दिलचस्प बात यह है कि शहरी इलाकों में लोग 22 कैरेट सोने के गहने प्राथमिकता में रखते हैं तो गांवदेहातों के लोग 18 कैरेट के सोने के गहने प्राथमिकता में रखते हैं.
अब समझें खोट को
सोने को कठोर बनाने के लिए उस में तांबा, चांदी या कैडमियम धातुएं मिलाई जाती हैं. इन धातुओं के मिश्रण से सोना कठोर यानी गहने बनाने लायक हो जाता है.
खुद भाव निकालें : अब अगर आप ने 22 कैरेट का नैकलेस खरीदा है तो उस का भाव क्या होना चाहिए, इसे आप खुद निकाल सकते हैं. चूंकि एक कैरेट सोना 2,500 रुपए का है इसलिए 22 कैरेट का उस में गुणा कर दें जो रकम आएगी वह 55,000 रुपए होगी. अब इस पर मेकिंग चार्ज जो भी लगा हो तो वह कीमत में जुड़ जाएगा. अगर वह प्रति 10 ग्राम पर 500 रुपए है तो आइटम की कीमत 55,500 रुपए होगी.
खरीदने पर जीएसटी चार्ज जो भी लगेगा वह भी इसी कीमत में शामिल किया जाएगा. अगर जीएसटी 3 फीसदी है तो आइटम की कीमत में 1,066 रुपए 50 पैसे भी जुड़ेंगे. इस तरह 55,500+ 500+1066.50 रुपए = 57,116.50 रुपए उस आइटम का विक्रय मूल्य होगा.
कई निर्माता और विक्रेता
मेकिंग चार्ज में छूट देते हैं जिस से आइटम की कीमत थोड़ी कम हो जाती है.
इसी तरह 18 कैरेट के या उस से कम कैरेट के किसी भी गहने की कीमत निकाली जा सकती है.
हालमार्र्क से करें पहचान
सोने के जेवर खरीदते वक्त हर किसी के मन में उस की शुद्धता को ले कर स्वाभाविक संदेह होता है जिसे दूर करने का सब से बेहतर तरीका हालमार्क का निशान है जिसे भारतीय मानक ब्यूरो यानी बीआईएस जारी करता है. सभी गहनों पर हालमार्क अब अनिवार्य है. सोना किसी भी रूप में खरीदें, सब से पहले उस पर बीआईएस का लोगो जरूर देखना चाहिए.
इस के बाद उस की शुद्धता और फाइनैंस की जांच करनी चाहिए. इस के बाद 6 अंकों का एचयूआईडी यानी अल्फान्यूमेरिक कोड देखना चाहिए. उदाहरण के लिए अगर किसी गहने पर 916 लिखा है तो इस का मतलब है कि वह 22 कैरेट से बना है.
23 कैरेट सोने को बीआईएस 958 लिखा जाता है. बीआईएस का मतलब होता है कि गहने बार मानकों के मुताबिक तैयार किए गए हैं और किसी मान्यता प्राप्त लैब से सत्यापित हैं. बिना हालमार्क वाली ज्वैलरी कभी नहीं लेनी चाहिए. इस का बेचा जाना अब पूरे देश में कानूनी अपराध है.
खोट की चोट
भारतीय घरों में सोने के पुराने गहनों की भरमार है जिन की शुद्धता और कैरेट की कोई गारंटी नहीं. जब भी कोई पुराने गहने बेचने सुनार के पास या ज्वैलरी शोरूम में जाता है तो उस का भाव आज के भाव से कम मिलता है. वजह पूछने पर जवाब यही मिलता है कि हम खोट काट रहे हैं. कभीकभी तो यह 30 फीसदी तक होता है क्योंकि सोना पुराना और बिना हालमार्क का होता है.
अब बेचने वाले के पास कोई रास्ता नहीं रह जाता, सिवा इस के कि पैसों की जरूरत है या सोना एक्सचेंज करना है तो जो भाव मिल रहा है उसी में सौदा कर लिया जाए. इस स्थिति से बचने का एक अहम तरीका कैरेट मीटर से कैरेट की जांच कराने का है जो बड़े शोरूम में ही मिलता है. उन्हें निर्धारित शुल्क दे कर जांच करा लेनी चाहिए, जिस से ठगे जाने का अंदेशा न रहे.
कई बार ऐसा भी होता है कि लोग जिस दुकान या शोरूम से गहने खरीदते हैं, बेचने जाने पर वही खोट काटने की बात करने लगता है. ऐसा तब ज्यादा होता जब गहनों पर हालमार्क न हो या फिर उस का बिल न लिया गया हो. इसलिए सोने की खरीदी का बिल जरूर लेना चाहिए और उसे संभाल कर भी रखना चाहिए. यह जरूरत पड़ने पर कई कानूनी झंझटों से भी आप को बचाता है.
24 कैरेट लें
अगर सोना निवेश के लिए खरीदा जा रहा है तो हमेशा 24 कैरेट का ही लेना चाहिए. बाजार में सोने के सिक्के, बिस्कुट व ईंट आसानी से मिल जाते हैं. इन्हें लगभग सभी बड़े बैंक और नामी कंपनियां बेचती हैं. इन पर भी चूंकि हालमार्क होता ही है इसलिए इन्हें जरूरत पड़ने पर कभी भी आज की कीमत में बेचा जा सकता है जिस में कोई खोट नहीं कटता.
बैंक से खरीदने पर विश्वसनीयता ज्यादा रहती है लेकिन दिक्कत यह है कि बैंक इन्हें ज्वैलर्स की तरह आप से वापस नहीं खरीदते. आमतौर पर ज्वैलर्स भी ऐसा ही करते हैं लेकिन कुछ कम दाम दे कर वे इन्हें खरीद भी सकते हैं, यही उन का मुनाफा होता है.