“देखो कपिल, मैं बारबार औफिस से छुट्टी नहीं कर सकती. औफिस में मेरी एक पोजीशन है,” सारिका ने किचन में से ही जोर से कपिल से अपनी बात कही.

दरअसल, सारिका और कपिल की बेटी रिया की स्कूल की छुट्टी है, कामवाली आज आई नहीं, तो रिया के लिए किसी एक को घर में रहना होगा.

“तुम क्या चाहती हो, मैं नौकरी छोड़ कर घर बैठ जाऊं? मेरी आज बहुत ही अहम मीटिंग है, मैं छुट्टी नहीं कर सकता. तुम मैनेज करो, मुझे देर हो रही है.”

“तो क्या, मैं नौकरी छोड़ दूं? पिछली बार भी रिया जब बीमार हुई थी तो 3 दिन मैं ने छुट्टी की थी तो इस बार तुम भी तो कर सकते हो. यह जिम्मेदारी हम दोनों की है.” कपिल सारिका की इस बात को अनसुनी कर के घर से निकल गया.

सारिका ने छुट्टी तो कर ली पर वह बारबार यह सोच रही थी कि शादी से पहले तो कपिल की पूरी फैमिली को नौकरी वाली पढ़ीलिखी बहू चहिए थी और बीवी की तनख्वाह तो पूरी चहिए पर अब सपोर्ट के नाम पर जीरो. काश, शादी से पहले हम दोनों ने सारी बातें खुल कर की होतीं कि पैसे कमाने की जिम्मेदारी आधीआधी है, तो घर संभालने की जिम्मेदारी भी आधीआधी होनी चहिए थी.

यह कहानी सिर्फ कपिल और सारिका के घर की नहीं है बल्कि घरघर की है. आजकल लड़कियां भी लड़कों की तरह आत्मनिर्भर हो गई हैं, नौकरी करती हैं, पैसे कमाती हैं. यही नहीं, वे हर उस जिम्मेदारी को बराबरी से निभाती हैं जो आज से बरसों पहले घर के मर्द की होती थी.

महिलाएं तो अपनी सीमाओं को तोड़ कर मर्दों की घर चलाने की जिम्मेदारियों को बांटने लगीं पर अभी भी मर्दों ने उस सीमा को नहीं तोड़ा जहां वे महिलाओं के साथ घर संभालने की ज़िम्मेदारी को बांट सकें. इसलिए यह सुनिश्चित करना बेहद ज़रूरी है कि दोनों पार्टनर एकदूसरे की अपेक्षाओं, मूल्यों और जीवन के लक्ष्यों को समझते हों. शादी से पहले कुछ विषयों पर स्पष्ट बातचीत करने से भविष्य के संघर्षों को कम किया जा सकता है.

आजकल लड़कालड़की दोनों समझदार हैं, दोनों आत्मनिर्भर हैं और दोनों अपनी मरजी से जीवन बिताना चाहते हैं पर अचानक शादी के कुछ दिनों बाद ही छोटीछोटी बातों को ले कर मतभेद होने लगते हैं. इन मतभदों से बचने के लिए जरूरी है कि शादी से पहले ही दोनों आपस में कुछ जरूरी बातों पर खुल कर चर्चा करें.

दोनों की सैलरी से संबंधित योजना और जिम्मेदारियां

बहुत सारे घरों में शादी के बाद महिला की कमाई को ले कर बहस होती है. महिलाएं अपनी कमाई को अपनी मरजी से खर्च नहीं कर पातीं. शादी के बाद इन मामलों को ले कर कई बार तनाव उत्पन्न हो सकता है. सो, शादी से पहले यह जानना ज़रूरी है कि दोनों की बचत, खर्च और निवेश को ले कर क्या सोच है. कौन किस हद तक घर के खर्चों की जिम्मेदारी लेगा, महिला पर पैसों को ले कर रोकटोक न हो, यह शादी से पहले ही सुनिश्चित करें.

कैरियर को ले कर भविष्य की योजनाएं

कपल को एकदूसरे के कैरियर के लक्ष्यों के बारे में खुल कर बात करनी चाहिए. आप दोनों कैरियर को प्राथमिकता देंगे या परिवार को? अगर एक पार्टनर कैरियर बदलना चाहता है या दूसरे शहर या देश में काम करना चाहता है, तो उस स्थिति में क्या योजना होगी? यह भी जानना ज़रूरी है कि आप दोनों का कार्यजीवन का संतुलन कैसा होगा.

परिवार और बच्चों की योजना

शादी के बाद अकसर परिवार की तरफ से परिवार को बढ़ाने का दबाव शुरू हो जाता है. परिवार बढ़ाने की बात किसी भी दबाव में नहीं बल्कि आपसी सूझबूझ से करनी चाहिए. ऐसे में लड़कालड़की को शादी से पहले ही इस बारे में खुल कर बात करनी चाहिए कि वे अपने परिवार को कब बढ़ाना चाहते हैं, बाद में बच्चे की देखभाल की ज़िम्मेदारी किस तरह से बांटी जाएगी, बच्चे के जन्म से ले कर स्कूल की पीटीएम तक पर खुल कर बात करें. इस में दोनों अपनेअपने कैरियर और समय को ध्यान में रख कर एकदूसरे से पहले ही विचारविमर्श करें और दोनों अपने-अपने परिवारों को इस बारे में खुल कर भी बताएं. कई बार ऐसा होता है कि लड़का और लड़की आपस में बात कर लेते हैं लेकिन बाद में परिवारों के दबाव में आ कर दोनों में झगड़ा शुरू हो जाता है. सो, इस बात को सुनिश्चित करें कि परिवार कब बढ़ना है, यह पूर्ण रूप से लड़के और लड़की दोनों की आपसी सहमति से ही हो.

व्यक्तिगत स्वतंत्रता

आजकल औफिसेस में सोशलसर्कल पर बहुत जोर दिया जाता है. औफिस की तरफ से औफिस के स्टाफ को घूमनेफिरने के लिए भी ले जाया जाता है. ऐसे में हर इंसान की अपनी व्यक्तिगत सीमाएं और स्वतंत्रताएं होती हैं. शादी से पहले यह जानना ज़रूरी है कि आप दोनों की सीमाएं क्या हैं और एकदूसरे की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कैसे सम्मान देंगे. इस का संबंध सोशल लाइफ, मित्रों से मिलना और व्यक्तिगत समय से भी हो सकता है.

परिवार के साथ संबंध

शादी के बाद अकसर दोनों पार्टनर्स के परिवारों के साथ संबंध महत्त्वपूर्ण होते हैं. आप को यह स्पष्ट करना चाहिए कि शादी के बाद परिवार के सदस्यों की भूमिका क्या होगी और उन के साथ आप कैसा संबंध बनाए रखना चाहते हैं. अगर किसी के परिवार के साथ कोई समस्या है, तो इसे पहले ही सुलझा लेना चाहिए.

खानपान व जीवनशैली

हर घर का खानपान और जीवनशैली अलगअलग होती है. हमारा ऐसा मानना है की एक हद तक ही दोनों को चाहे वह लड़का हो चाहे लड़की अपनी जीवनशैली में बदलाव करना चाहिए. बहुत से घरों में शादी के बाद मतभेद का एक मुख्य कारण यह भी होता है कि पहले तुम क्या करती थी, कितने बजे उठती थी, क्या कब खाती थी, अब यह यहां नहीं चलेगा क्योंकि तुम्हारी शादी हो गई है. ऐसे में अकसर पढ़ीलिखी महिलाएं एक मानसिक दबाव में आ जाती हैं जिस का असर उन की जीवनशैली और औफिस दोनों पर पड़ता है. अच्छा यही है कि शादी से पहले ही अपनी दिनचर्या के बारे में खुल कर बात करें और समझें कि आप कितनी हद तक एकदूसरे की जीवनशैली को अपना सकते हैं जिस से दोनों में से किसी को भी किसी भी तरह का कोई मानसिक दबाव महसूस न हो.

कैसे और कब करें बात

जो कपल पहले से एकदूसरे को जानते हैं, मतलब love cum arrange marriage वाले लड़केलड़किया, उन के पास तो काफी मौके होते हैं इन सब बातों के बारे में बात करने के लिए लेकिन मातापिता द्वारा चुने रिश्ते में आपस में खुल के बात करने के लिए सही समय और कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी होता है. सब से पहले बेशक रिश्ता मातापिता ने चुना हो पर पहली मीटिंग और शादी के बीच कुछ महीने का समय जरूर रखें जिस से आपस में एकदूसरे को समझने का मौका मिले. दरअसल, शादी से पहले लड़का और लड़की को एकदूसरे से खुल कर बात करना महत्त्वपूर्ण होता है, ताकि वे एकदूसरे को बेहतर समझ सकें और भविष्य के लिए अच्छे निर्णय ले सकें. इस के लिए सही समय और तरीका भी महत्त्वपूर्ण है.

सही समय चुनें : दोनों डिनर डेट का प्लान करें और दोनों ही एकदूसरे के प्रति सहज महसूस करें तो शहर से बाहर एकदो दिन घूमने जाएं और तब ये बातें करें. ऐसी स्थिति में हों जब दोनों को पर्याप्त समय और ध्यान मिले, बिना किसी दबाव या बाहरी तनाव के बात कर सकें. आप उदाहरण के तौर पर आर्टिकल मार्क कर के किताब तोहफे में भी एकदूसरे को दे सकते हैं.

पहले छोटीछोटी बातें शुरू करें : शुरुआत में हलके और सामान्य विषयों पर बात करें, जैसे कि शौक, पसंदनापसंद, परिवार, दोस्त आदि. इस से दोनों को एकदूसरे को सहज महसूस करने में मदद मिलेगी. फिर अपनी किसी सहेली या दोस्त की शादीशुदा समस्याओं का उदाहरण दे कर जानें कि सामने वाला आप जैसी सोच रखता भी है या नहीं.

समझ और सहानुभूति दिखाएं : एकदूसरे की भावनाओं और विचारों को ध्यान से सुनें और उन्हें समझने की कोशिश करें. अगर किसी विषय पर मतभेद हों तो खुल कर समझने का मौका दें और समाधान पर चर्चा करें.

गोपनीयता का सम्मान करें : हर किसी की कुछ व्यक्तिगत बातें हो सकती हैं जो वे समय के साथ ही साझा करना चाहेंगे, इसलिए धैर्य बनाए रखें. अगर किसी कारणवश कुछ बातों पर असहमति रहे तो भी एकदूसरे की बातों को अपने तक ही रखें.

सही समय पर खुल कर बात करने से रिश्ते में सम्मान, विश्वास और सचाई बढ़ेगी, जो शादी के लिए मजबूत नींव साबित होगी. इन सभी मुद्दों पर स्पष्ट संवाद से शादीशुदा जीवन को बेहतर और तनावमुक्त बनाया जा सकता है. रिश्ते में पारदर्शिता और आपसी समझ से ही एक खुशहाल भविष्य की नींव रखी जा सकती है.

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