अगर आपके बच्चे में भी है कुछ अलग सा करने का हुनर तो उसे नजरअंदाज न करें. क्योंकि क्या पता उसी में उसका उज्वल भविष्य छिपा हो. जी हां, कई बार अगर बच्चा अपनी पसंद का कोई काम कर रहा होता है. जैसे डांस ,पेंटिंग या कोई पुरनी चीजों को ठीक कर के उन्हें दोबारा से बना देने का हुनर रखता है. या उसे गाने का शौक है. आप उसे हर समय गाना गाते रहने का ताना मार रही है.
अगर आप उसे उसकी पसंद का काम करने से रोकती हैं तो उसकी रचनात्मक शैली भी धीरे धीरे खत्म होने लगेगी. इसलिये जरूरी है कि आप अपने बच्चे की प्रतिभाओं को समझे, उनपर गौर करें कि उनके अंदर ऐसा क्या हुनर है. जो उनका भविष्य संवार सकता है. जरूरी नहीं कि हर बच्चा पढ़ाई में अव्वल हो. हो सकता है कि उसका वो हुनर ही उसका करियर बन जाये. जरूरी है की माता पिता या उसके अध्यापक बच्चे की रचनात्मकता को समझे.
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जिस काम में रूचि है वो करने दें
छोटे बच्चों को आदत होती है कि वो कुछ न कुछ करते रहते हैं. कभी कोई पेंटिंग अच्छे से बनता है या किसी में अपनी बात को खूबसूरत शब्दों में ढालने का हुनर होता है या कोई और ऐसी खूबी होती है बस पेरेंट्स को उन्हें समझने की कोशिश की जरूरत होती है. अगर उसका मन घर में बैठकर कलरिंग करने का है या फिर वह टीवी पर थोड़ी देर के लिए अपना पसंदीदा कार्टून देखना चाहता है, तो इसके लिए आप उसे मना ना करें. अगर आपके पास समय है, तो उसके साथ बैठकर वो काम करें, जिसमें उसे मजा आ रहा हो. उसे बातों-बातों में जिंदगी के बारे में अच्छी बातें बताएं.
जबरदस्ती अपनी इच्छाएं न थोपे
अगर बच्चा अपनी पसंद का काम करना चाहता है तो उसको उस काम की जगह कोई और काम करने को न बोले. या उसको ये न कहें कि तुम्हारा दोस्त बौलीबौल खेलता है तुम भी वहीं खेलो ऐसा करने से बच्चे का आत्मविश्वास डगमगाता है. और बच्चे को परफेक्ट बनाने के लिये दबाव न डालें इससे बच्चे का उस काम के प्रति रूचि खत्म होती चली जाएगी. बच्चे को उतना ही करने दें जितना वो सहजता से कर पाए. बहुत सारे के चक्कर में वो कोई भी काम ठीक से नहीं कर पाएगा.
उसे सफलता व असफलता दोनों समझाएं
अगर आपके बच्चे को सिर्फ सफलता का मतलब ही पता होगा तो वो अपनी असफलता के बाद डगमगा जायेगा. पेरेंट्स के तौर पर यह आपका दायित्व है कि अपने बच्चे के अंदर सफलता और असफलता को लेकर सही सोच विकसित करें. अपने बच्चे के अंदर असफलता से भी सीखने का भाव भरें.
बच्चे को किसी भी चीज़ का लालच देने से बचें
यदि बच्चा पढ़ाई नहीं कर रहा है या कोई काम जो की वह अभी नहीं करना चाहता है तो उससे जबरदस्ती न करें और न ही किसी चीज का लालच दें. लालच देने से उसकी यह आदतों मे शुमार हो जाएगा . और वह उस काम को ठीक से नहीं करेगा क्योंकि उसका ध्यान उस चीज़ में पड़ा रहेगा जिसका अपने वादा किया है.
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अपने बच्चे के साथ वक्त गुजारें
अगर आपका बच्चा किसी काम को कर रहा है तो उसके साथ थोड़ी देर बैठे उस काम में अपनी रूचि दिखाए व उसको उसके लिये प्रोत्साहित करें क्योंकि पेरेंट्स का स्पोर्ट ही बच्चे को ऊंचाइयों तक ले जाता है व उसका नजरिया उस काम के लिये सकारात्मक सोच पैदा करता है.