आजकल तान्या के किसी ग्रुप में शामिल होते ही लोग धीरेधीरे खिसकने लगते हैं. उस की बात शुरू होते ही कुछ लोग काम का बहाना ढूंढ़ निकल लेते हैं, या कुछ कन्नी काटते हैं. परेशान सी तान्या मन ही मन कुढ़ती रहती है. बहुत दिनों से इस बात पर वह गौर कर रही है कि वह किसी भी ग्रुप में शामिल होती है तो लोग धीरेधीरे सभा खत्म करने की फिराक में रहते हैं. आखिर ऐसा क्यों होता है?

संदीप के साथ भी अब ऐसी ही स्थिति है. औफिस में उस के बोलते ही लोग एकदूसरे को देख अजीब सा मुंह बनाने लगते हैं या हंस देते हैं. घर पर पत्नी भी ‘अभी आई’ या ‘रसोई में काम पड़ा है’ कह कर कन्नी काट लेती है. बेटियां भी कुछ देर ऊबभरी नजरों से देख कर संदीप से ही उलटा पूछ लेती हैं, ‘पापा, मैं पढ़ाई करने जाऊं?’ जबकि संदीप जब बात नहीं कर रहा होता तो ये बच्चियां अपने हंसीखेल में मस्त रहती हैं.

क्या है माजरा?

बोलना हमारेआप के व्यक्तित्व का अहम हिस्सा है. कुदरत का दिया यह एक अच्छा जरिया है जो इंसान के लिए न सिर्फ अभिव्यक्ति होने पर जीने को आसान बनाता है बल्कि इस के सही इस्तेमाल से वह उच्च पद पर प्रतिष्ठित भी हो सकता है. इसलिए इस बोलने की ताकत का सही इस्तेमाल करना जरूरी है. यह बोलने की ताकत यानी वाकशक्ति का दुरुपयोग ही है कि इस के चलते झगड़े, घृणा, बदला लेने की भावना उभरती है और आजकल तो सोशल मीडिया पर निरर्थक संदेशों से दिमागी सुकून ही छिन गया है.

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