डिलिवरी के फौरन बाद आप ने डाक्टर को यह कहते सुना होगा कि बच्चे को ब्रैस्टफीड जरूर कराएं, क्योंकि मां का दूध बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होता है. डाक्टर ही नहीं दादी मां, सास या फिर आसपास की अनेक महिलाएं भी शिशु को ब्रैस्टफीड कराने की सलाह देती हैं, क्योंकि वे इस के फायदों को बखूबी जानती हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन शिशु को जन्म के बाद पहले 6 महीने तक केवल ब्रैस्टफीड कराने की सलाह देते हैं. इतना ही नहीं यदि बच्चा ठोस आहार शुरू कर देता है, तो उस के बाद भी आप शिशु को ब्रैस्टफीडिंग कराना जारी रख सकती हैं. इस से आप के स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा.

डाक्टर अनिता गुप्ता, वरिष्ठ सलाहकार व स्त्री रोग विशेषज्ञा, फोर्टिस ला फेम, कहती हैं कि जैसे ही डिलिवरी होती है हम तुरंत ब्रैस्टफीड शुरू करा देते है. इस से 2 फायदे होते हैं. पहला, मां जिस पीड़ा में होती है उस से उस का ध्यान हट जाता है और दूसरा बच्चे की मां का गाढ़ा पीला दूध जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं पीने को मिल जाता है, जिस से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

डा. अनिता यह भी बताती हैं कि हाइजीनिकली भी ब्रैस्टफीडिंग सुरक्षित होती है, क्योंकि बोतल या कटोरी चम्मच से दूध पिलाने में इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है.

 

मां को ब्रैस्टफीडिंग के फायदे....

ब्रैस्टफीडिंग कराने से केवल शिशु का ही विकास नहीं होता, बल्कि मां की सेहत में भी सुधार होता है.

ब्रैस्टफीडिंग कराने से गर्भाशय सिकुड़ कर पहले की स्थिति में आ जाता है.

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