कुछ लोग अक्सर भीड़ में भी खुद को अकेला महसूस करते हैं। लोगो से कम मिलना झूलना,जरूरत से ज्यादा शर्माना उनके व्यक्तित्व का हिस्सा होता है जिसके कारण लोगो के बीच उनकी छवि प्रभावित होने लगती है इस सब का प्रमुख कारण है उनका शर्मिला व्यवहार.
ऐसा नहीं है की शर्म या झिझक केवल महिलाओं के भीतर होती है यह किसी के भी व्यक्तित्व का हिस्सा हो सकता है ।जो लोग शर्मीले व्यवहार के होते हैं वो अपनी एक अलग दुनिया में खोये रहते हैं। ऐसा व्यवहार हमारी सफलता और संबंधो मे रोड़ा बन जाता है.
1.कारण जो बनाते हैं शर्मीला
हमारे व्यक्तित्व की नीव हमारे बचपन पर निर्भर करती है। अक्सर देखा जाता है की बाल पन में ही यदि किसी बात से मन को ठेस पहुंच जाती है तो धीरे धीरे ऐसे लोगो में आत्म-विश्वास की कमी होने लगती है कई बार स्कूल के दबाव के कारण भी बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है.मुख्य तोर पर तीन लोग व्यक्ति के व्यक्तित्व की गढ़ना करते है ।उसका परिवार ,उसके टीचर व दोस्त .अधिकतर इनकी कही बात उसके मन मे घर कर जाती है जिस से वह सोचने लगता है की मैं किसी लायक नहीं हूँ. किसी के शर्मीले व्यवहार के पीछे उसके वंशानुक्रम, संस्कृति व समाज और परिवेश का मिला-जुला या अलग-अलग प्रभाव हो सकता है .
इसके अलावा यदि बच्चे को हमेशा यह जताने का प्रयास करते रहेंगे कि वह किसी काम का नहीं या लोग उसके बारे क्या राय रख़ते हैं या उसे खुद को व्यक्त करने की आज़ादी नहीं देंगे. उसके साथी साथ खेलने से बचते हैं ,तो इस वजह से उसका सामाजिक विकास रुक जाता है और उसके स्वाभिमान में गंभीर गिरावट होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में लोगो से मेल झोल बढ़ाने का कौशल न होने के कारण व्यक्ति अकेलेपन या अवसाद अर्थात डिप्रेशन का शिकार भी हो सकते हैं जिस के कारण वह खुद को हिन् भावना से देखने लगता है और हमेशा अपनी ही अलग दुनिया में खोया रहता है .बड़े होने पर भी यही व्यक्तित्व उसकी पहचान बन जाता है. ऐसी परस्थिति से निकलने के लिए जरूरी है की आप गुमनामी के अँधेरे से बाहर निकलें.