Parenting Tips : मौम, डैड आप हमेशा से दीदी से ज्यादा प्यार करते हो, उन्हें हर बात में इंपौर्टेन्स देते हो, कहीं जाना हो तो आप उन से ही पूछते हो, क्या खाना है- इस के लिए भी दीदी की चौइस पूछते हो, वो आप की फेवरेट और बेस्ट हैं, आप ने उन्हें हमेशा उन के बड़े होने का फायदा दिया है, दीदी जितना मरजी गलत करें वो कभी गलत नहीं होतीं, आप उन्हें कुछ नहीं कहते, हमेशा मुझे ही गलत कहते हो. आखिर, आप ऐसा क्यों करते हो?
ऊपर लिखे डायलौग्स वो हैं जो अकसर उन युवाओं के मुंह से सुनने को मिलते हैं जिन्हें बचपन से मन ही मन में यह लगता है कि उन के पेरैंट्स उन के सिबलिंग और उन में भेदभाव करते हैं. और वे ये डायलौग्स कभी मजाक में, कभी शिकायत में, कभी रो कर, कभी हंस कर तो कभी गुस्सा हो कर बोलते हैं और युवावस्था तक आतेआते उन का अपने पेरैंट्स के साथ रिश्ता इतना खराब हो जाता है कि कई बार वे अपने पेरैंट्स के साथ डिस्टेंस तक बना लेते हैं. उन्हें विश्वास नहीं होता कि पेरैंट्स अपने ही 2 बच्चों के साथ ऐसा भेदभाव कैसे कर लेते हैं.
हमेशा पेरैंट्स ही होते हैं कल्प्रिट
पेरैंट्स का काम होता है अपने बच्चों के बीच प्यार और अपनापन बनाए रखना. लेकिन पेरैंट्स अपने फायदे के लिए एक बच्चे को अच्छा दूसरे को बुरा, एक को सही दूसरे को गलत बोलबोल कर न केवल दोनों बच्चों के बीच कभी न टूटने वाली दीवार खड़ी कर देते हैं बल्कि अपने लिए भी बच्चे के मन में जहर भर देते हैं जो बचपन से ले कर पूरी ज़िंदगी बच्चे को अंदरअंदर खोखला कर देता है.
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