किसी के मौलिक हकों का चीरहरण न करना और किसी की किसी भी तरह की गुलामी बरदाश्त न करना स्वतंत्रता है. हम अपना जीवन किसी के हाथों गिरवी न रख कर उसे अपने ढंग से जीने के लिए स्वतंत्र हैं. इस सच को नैसर्गिक नियम भी स्वीकार करते हैं और संवैधानिक प्रावधान भी. लिंग परिवर्तन के मामले विदेशों में तो होते ही रहे हैं पर अब देश में भी लिंग परिवर्तन होने लगे हैं. भले ही समाज ऐसे लोगों को हेयदृष्टि से देखे पर ये अपनेआप में संतुष्ट रहते हैं. ऐसा ही एक मामला हाल ही में देखने को मिला. जी हां, इंडियन एयरफोर्स के एक अधिकारी से प्यार करने वाले 21 वर्षीय युवक विधान बरुआ को मुंबई उच्च न्यायालय ने सैक्स चेंज करवा कर युवती बनने की इजाजत दे दी. अब वह स्वैच्छिक वैवाहिक जीवन जी सकेगा. ऐसे लोग, जो खुद को उस लिंग का नहीं पाते, जिस के वे हैं, तो उम्र भर अभिशप्त जीवन जीने को मजबूर रहते हैं. वे समाज के ठेकेदारों के कारण खुद का सच सार्वजनिक करने का साहस नहीं कर पाते. लेकिन अब लोगों ने साहस दिखाना शुरू किया है.
17 अप्रैल, 2012 को बरुआ को अपनी सर्जरी करवानी थी, लेकिन पारिवारिक विरोध के चलते वे सर्जरी नहीं करा पाए. अगर इस तरह के अन्य मामलों पर नजर डालें, तो परिवार वालों की ओर से ट्रांसजैंडर को जायदाद से बेदखल करने की भी धमकियां दी जाती हैं, लेकिन ऐक्सपर्ट्स की मानें, तो पुरुष से महिला बनने पर ट्रांसजैंडर को मिलने वाली पारिवारिक प्रौपर्टी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि उस ने अपना सैक्स चेंज कर लिया है, क्योंकि पुरुष और महिला में ऐसा कोई फर्क नहीं है. हालांकि अगर परिवार वाले चाहें, तो उसे उस प्रौपर्टी से बेदखल कर सकते हैं, ऐसा करने का उन्हें राइट है.
‘रोज’ बना देश की पहली पब्लिक फिगर
रोज वेंकटेश देश की पहली ट्रांसजैंडर टीवी होस्ट हैं. उन्हें देश की पहली पब्लिक फिगर माना जाता है. रोज ने अपना सैक्स चेंज करने के लिए सर्जरी कराई. 30 वर्षीय रोज ने बैंकौक में सैक्स रीसाइन्मैंट सर्जरी कराई. रोज के सैक्स चेंज करने के क्रेज का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपनी सर्जरी की तारीख को फर्स्ट बर्थडे के रूप में सैलिब्रेट किया.
सरेंडर करता समाज
प्लास्टिक सर्जनों के मुताबिक उन के पास अब साल में 4-5 केस सैक्स चेंज के आ रहे हैं, जबकि कुछ साल पहले तक ऐसा एक भी केस नहीं आता था. भारत में कुछ ऐसे मामले सुर्खियों में रहे हैं और समाज ने भी कुछ खास रिऐक्ट नहीं किया. साउथ में तो बाकायदा एक ऐसा शख्स टीवी शो भी होस्ट कर रहा है. पिछले दिनों मिस यूनिवर्स फाउंडेशन ने कनाडा के एक मेल से फीमेल बनी ब्यूटी क्वीन को मिस यूनिवर्स कंपीटिशन में हिस्सा लेने की इजाजत दी थी. वहीं इंगलैंड में भी एक ट्रांसजैंडर मिस इंगलैंड के ताज के काफी करीब पहुंच गया था.
सैक्स चेंज दिमागी फुतूर नहीं
भले ही समाज सैक्स चेंज कराने को दिमागी फुतूर मानता हो, लेकिन ऐक्सपर्ट्स का मानना है कि यह जैंडर आइडैंटिटी डिसऔर्डर है. प्लास्टिक सर्जनों के अनुसार सैक्स चेंज दिमागी फुतूर नहीं, बल्कि एक मैडिकल प्रौब्लम है. कई रिसर्च में साबित हो चुका है कि यह जेनेटिक और यूरोलौजिकल प्रौब्लम है, जिस के कारण कई बार पेशैंट डिप्रैशन में भी चला जाता है. जो खुद को अपने मौजूदा जैंडर के अपोजिट फील करता है, सब से पहले मनोचिकित्सक उस की काउंसिलिंग करता है. उस की फैमिली, फ्रैंड्स और औफिस में भी उस के बारे में लोगों से बात की जाती है. सैकंड स्टेज में हारमोन स्पैशलिस्ट बौडी एलाइनमैंट के लिए पेशैंट को उस की चौइस के जैंडर के हिसाब से हारमोन देना शुरू करता है. सबकुछ ठीक होने पर प्लास्टिक सर्जन सर्जरी करता है. मेल टू फीमेल सैक्स चेंज करने के लिए 2 और फीमेल टू मेल सर्जरी करने के लिए 3 सर्जरी करानी पड़ती हैं.
एक रिसर्च की मानें तो नौर्मल कंडीशन में नौर्मल के मुकाबले ट्रांसजैंडर्स के मरने की आशंका पांचगुना ज्यादा होती है.
खुशहाल जिंदगी जीते हैं
साइबर वर्ल्ड में ऐसे लोगों का बाकायदा एक ग्रुप है. यहां वे अपने अनुभव शेयर करते हैं. सैक्स चेंज ऐसी सर्जरी है, जिस के बाद पुरानी चीजें वापस नहीं पाई जा सकतीं. ऐसे में सैक्स चेंज कराने वालों को वर्षों तक काउंसिलिंग की जरूरत होती है. ऐक्सपर्ट्स के मुताबिक इस के कुछ साइड इफैक्ट्स भी हो सकते हैं. मनोचिकित्सक डा. समीर पारिख कहते हैं, ‘‘अगर कोई इंसान अपना सैक्स चेंज करना चाहता है, तो उस से पहले उस की प्रौपर काउंसिलिंग की जाती है. आमतौर पर ऐसे लोग खुशहाल जिंदगी जीते हैं.’’