संतान छोटी हो या बड़ी, मातापिता के लिए सभी बराबर होनी चाहिए. यदि वे उन से भेदभावपूर्ण व्यवहार करेंगे तो घरपरिवार का माहौल खराब होगा जिस का खमियाजा सभी को भुगतना पड़ सकता है. बनारस की अलका कहती है, ‘‘हम 4 भाईबहन हैं. मेरे मातापिता हमें प्यार तो करते हैं लेकिन उनका झुकाव मेरे छोटे भाई तुषार की तरफ ज्यादा रहता है. हमें अकसर डांटमार पड़ जाती है, लेकिन मजाल है कि वे कभी तुषार को नजर से घूरें भी. खानापीना, घूमनाफिरना चाहे कोई भी वजह हो, तुषार को कभी एडजस्ट नहीं करना पड़ता.’’
आप ने भी अपनी फैमिली, मिलनेजुलने वाले या पासपड़ोस के बच्चे से यह जरूर सुना होगा कि ‘मेरी मम्मी या पापा मुझे प्यार नहीं करते हैं, दीदी या भैया को करते हैं.’ लखनऊ के आलोक कहते हैं, ‘‘मैं और मेरे 2 भाई पढ़ाईलिखाई में एवरेज थे लेकिन मेरे मंझले भाई को दुनिया से कोई मतलब नहीं होता था. वह हर वक्त किताब में घुसा रहता था. यही वजह थी कि वह मातापिता का चहेता बेटा था. उस की राय लेना, उस के खानेपीने से ले कर कपड़ेलत्ते सब पर मांबाप का पूरा ध्यान रहता था. मुझे और दूसरे भाइयों को इस बात पर बहुत गुस्सा आता था. इसलिए हम लोग आपस में एकदूसरे से लड़ा करते थे.’’
ज्यादातर मांबाप शायद इसे स्वीकार न करें, लेकिन एक शोध के अनुसार, मातापिता का एक बच्चे की तरफ ?ाकाव आम है. ऐसा करना न सिर्फ फैमिली लाइफ में फर्क डालता है बल्कि कई बार यह हानिकारक हो सकता है और इस का असर लंबे वक्त तक देखा जा सकता है. इस तरह का रवैया लगभग 65 फीसदी परिवारों में देखा जाता है. कई अलगअलग संस्कृतियों और देशों में इस का अध्ययन किया गया है. इसे बच्चों में होने वाली कई इमोशनल प्रौब्लम्स की एक महत्त्वपूर्ण वजह मानी जा रही है.
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