एक शहर में रहते हुए भी एक ही परिवार के लोग अलग अलग रह रहे हैं. शहर बडे़ हो गए हैं, परिवार के लोगों के घर दूरदूर होने लगे हैं. कोई शहर के एक कोने पर रहता है तो कोई दूसरे कोने पर. दीवाली के दिन सभी अपनेअपने घर में त्योहार मनाते हैं. ऐसे में अगर दीवाली के 4 से 5 दिन पहले से परिवार के लोग आपस में रोज एक जगह मिलें तो इस से रिश्तों को मधुर बनाने में मदद मिलेगी. जरूरत यह है कि परिवार के सभी लोग बारीबारी से डिनर पर बुलाएं. जिस में पूरा परिवार शामिल हो. इस से पूरा परिवार अलगअलग रहते हुए भी त्योहार में एकसाथ बैठ कर आनंद ले सकेगा. एक तरह से इसे डिनर डिप्लोमैसी की तरह देखा जा सकता है. डिनर डिप्लोमैसी का प्रयोग राजनीति में बहुत पहले से होता रहा है जिस में अलगअलग विचारधाराओं के लोग एकजुट हो जाते हैं. जबकि परिवार के लोग तो एक विचारधारा के ही होते हैं.

अब परिवार बढ़ने लगे हैं. ऐसे में एक ही शहर में अलगअलग रहना जरूरत और मजबूरी हो गई है. इसे अलगाव या परिवार के विघटन के रूप में नहीं देखना चाहिए. यह प्रयास जरूर किया जाना चाहिए कि परिवार के लोग त्योहार में एकसाथ अपना कुछ वक्त गुजार सकें. इस से आपस में प्यार बढ़ता है. अगर कोई मनमुटाव है तो वह भी आपसी बातचीत से दूर किया जा सकता है. पूरा परिवार एकसाथ बैठता है तो आपसी रिश्ते मधुर होते हैं. जब परिवार सहित लोग एकदूसरे से मिलते हैं तो परिवार में अगली पीढ़ी और पिछली पीढ़ी के बीच तालमेल बनाता है. खासकर, परिवार के बच्चे आपसी संबंधों को सहज करने का माध्यम बन जाते हैं.

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