बिना रंगों यानी गुलाल के होली का आंनद नहीं आता. लेकिन होली में कैमिकल रंगों के बढ़ते प्रभाव से लोगों में होली के प्रति आकर्षण खत्म होता जा रहा है. बाजार में बिकने वाले हर्बल कलर महंगे होने के कारण आम लोगों की पहुंच से दूर होते हैं. ऐसे में घर पर भी हर्बल कलर तैयार किए जा सकते हैं.

स्किन पर होता है असर

कैमिकल कलर से सैंसिटिव स्किन ज्यादा प्रभावित होती है. कई बार स्किन पर लाल रंग के चकत्ते पड़ जाते हैं, खुजली होने लगती है. खुजली करने से स्किन फट जाती है और खून निकलने लगता है. ज्यादा प्रभाव होता है तो यह परेशानी लंबे समय तक बनी रह सकती है.

बालों को भी पहुंचता है नुकसान

केवल स्किन ही नहीं, बालों को भी कैमिकल कलर से बहुत नुकसान होता है. कैमिकल कलर बालों के साथ स्कैल्प की स्किन को नुकसान पहुंचाता है. वहां पर फंगल इन्फैक्शन से ले कर खुजली तक कुछ भी हो सकता है. स्किन में इन्फैक्शन से बालों की जड़ें कमजोर हो सकती हैं जिस से बालों के झड़ने की परेशानी शुरू हो सकती है. इस से बचने के लिए जरूरी है कि रंग खेलते समय बालों को ढक कर रखें.

ऐसे बनाएं हर्बल रंग

1 हल्दी और बेसन को मिला कर पीला रंग तैयार कर सकते हैं.

2 गुलमोहर की पत्तियों को पीस कर नीला गुलाल तैयार हो सकता है. ये प्राकृतिक रंग त्वचा के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं.

3 होली में पीले रंग का अपना महत्त्व होता है. पीला रंग बनाने के लिए एक टी स्पून हल्दी में 4 टी स्पून बेसन मिला कर पीला रंग तैयार कर सकते हैं.

4 गेंदे या टेसू के फूल की पंखुडि़यों को पानी में उबाल कर प्राकृतिक पीला रंग बनाया जा सकता है.

5 होली का दूसरा सब से खास रंग गुलाबी होता है. इस को बनाने के लिए चुकंदर के टुकड़े काट कर पानी में भिगो कर गहरा गुलाबी रंग बनाया जा सकता है.

6 प्याज के छिलकों को पानी में उबाल कर भी गुलाबी रंग बनाया जा सकता है.

7 गुलाबी रंग से मिलता हुआ लाल रंग बनाने के लिए लाल चंदन के पाउडर को लाल रंग के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं.

8 हरा रंग बनाने के लिए मेहंदी में बराबर मात्रा में आटा मिला कर रंग बना सकते हैं.

9 त्वचा पर सूखी मेहंदी लगने पर कोई नुकसान भी नहीं होता है. मेहंदी में पानी मिला कर गीला हरा रंग भी तैयार किया जा सकता है.

 

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