मौसी, चाची, मामी, बूआ, भाभी, दीदी या फिर पड़ोस की आंटी के भड़कीले मेकअप को देख कर अकसर बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम वाली कहावत याद आ जाती है. मौसी के होंठों पर लाल गहरी लिपस्टिक देख बरबस हंसी छूट जाती है. थुलथुल शरीर वाली मामी जब पेंसिल हील वाली सैंडल पहन गिरतेसंभलते चलती हैं, कैसा दिलचस्प नजारा होता है. सांवली और मोटी चाची जब किसी समारोह में पीली गोटेदार साड़ी पहन कर पहुंचती हैं तो सरसों के खेत में भैंस की कल्पना को सच साबित कर जाती हैं. अपने कई महिला रिश्तेदारों का पहनावा और मेकअप देख खुद को शर्म आने लगती है, ऐसा गाहेबगाहे होता ही रहता है.

दरअसल, बढ़ती या ढलती उम्र का एहसास छिपाने के लिए वह चटकदार कपड़े पहनती हैं और भड़कीला मेकअप करती हैं. फैशन डिजाइनर अमित कुमार कहते हैं कि उम्र के साथ पहनावा बदलना जरूरी है. 40-45 साल की उम्र के बाद औरतें अपने शरीर और हेल्थ को ले कर लापरवाह हो जाती हैं. बेडौल शरीर पर किसी भी तरह का पहनावा अच्छा नहीं लगता है. दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में ज्यादातर औरतें थुलथुली हो जाती हैं और उस पर जींसटौप पहन लेती हैं. अब उन को कौन समझाए कि उम्र और शरीर की बनावट के हिसाब से ही पहनावा बदलना चाहिए.

उम्र के चौथे दशक के बाद महिलाओं को देखभाल की अधिक जरूरत होती है. शरीर को फिट और चुस्तदुरुस्त रख कर खुद को स्मार्ट बनाए रख सकती हैं. पटना यूनिवर्सिटी की 48 वर्षीय प्रो. रेखा बताती हैं कि बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं को खुद के स्वास्थ्य की देखभाल तो करनी ही चाहिए साथ ही सुंदर दिखने के बजाय चुस्तदुरुस्त दिखने की कोशिश करनी चाहिए. योग, व्यायाम, खानपान पर नियंत्रण और खुद की देखभाल के जरिए शरीर को फिट बनाए रखा जा सकता है. 40 के बाद इस तरह का मेकअप करें जिस से कि व्यक्तित्व निखरे, न कि लोग चुड़ैल, भूतनी कह कर हंसी उड़ाएं.

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