स्मार्टफोन और सोशल मीडिया आज लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं. हालात ये हैं कि अगर आपके पास स्मार्टफोन नहीं है तो आपको ऐसा लगता है जैसे दुनिया ही ख़त्म हो गई. यहां तक कि अगर आपका मोबाइल खराब हो जाए तो आप उसको जल्द से जल्द ठीक कराने की कोशिश करते हैं. जितना आप अपनी तबीयत को लेकर भी परेशान नहीं होते उतना तो मोबइल फोन के खराब होने से हो जाते हैं.

लोगों की दुनिया आजकल फोन के इर्दगिर्द घूमने लगी है. कहीं भी जाएं, कुछ भी खाएं, सबकुछ सोशल मीडिया पर अपलोड करना आजकल लोगों के लिए बहुत जरूरी सा हो गया. लेकिन मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करने से शारीरिक और मानसिक नुकसान होता है.ऐसा रिसर्च में खुलासा हुआ है. सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं, बड़ों के मानसिक संतुलन के लिए भी हानिकारक है मोबाइल और सोशल मीडिया में लगातार चिपके रहना.

स्मार्टफोन और सोशल मीडिया पर जरूरत से ज्यादा समय बिताने का मतलब है कि आप अपनी निजी जिंदगी से ज्यादा फोन की दुनिया में गुम हैं. जिसके कारण आप बाहरी दुनिया सेबिलकुल अनजान हो जाते हैं. अपने घरपरिवार बच्चों पर भी ध्यान नहीं जाता.

ऐसे में आपको डिजिटल डिटौक्सिफिकेशन की जरूरत हो सकती है. नई तकनीक और सोशल मीडिया हमें अनोखे और रचनात्मक तरीकों से संवाद स्थापित करने का मौका देती है. लेकिन, तकनीक में हो रहे बदलावों को समझने में बहुत बार आप गलती कर जाते हैं, क्योंकि इसका गलत उपयोग भी होता है.

आजकल सोशल मीडिया के जरिए आपको मददके साथ नेम और फेम मिलता है. तो वहीं दूसरी तरफ इसका खूब गलत इस्तेमाल भी होता है. लोग सोशल मीडिया के जरिए क्राइम करते हैं, गलत काम करके ब्लैकमेलिंग करते हैं.

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