संभव है कि वायरस के खत्म होने के बाद भी मनुष्यों का स्वभाव और उसकी सामाजिक परिस्थिति भी बदल जाए.  इसके साथ ही कुछ आदतों में भी बड़े स्तर बदलाव होगा.  ब्रिटेन के नोटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी में समाज विज्ञान के प्रो. रॉबर्ट डिंगवॉल का कहना है कि सामाजिक और सामुदायिक दूरी का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव देखने को मिलेगा.

वे कहते हैं कि जिस तरह का समय अभी है इसको देखते हुए कम से कम अगले पाँच साल तक लोग अभिवादन के लिए एकदूसरे को गले नहीं लगाएंगे.  यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के प्रो. पामेला पैरेस्की का कहना है कि लगता है कि अब हाथ मिलाना बीते जमाने की बात हो गई है.

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लोगों के बीच सावधानी बरतने की आदत हो गई है जिसे अब खत्म करना मुश्किल होगा.  युवाओं के भावनात्मक लगाव पर खतरा अमेरिका सामाजिक विज्ञान विशेषज्ञ जोए फेगिन का कहना है कि स्पर्श से अभिवादन का तरीका खत्म होने से युवाओं में भावनात्मक लगाव को अधिक खतरा है.

अमेरिका और ब्रिटेन में हुए अध्ययन में 90 फीसदी लोग मुस्कुरा कर अभिवादन करना पसंद करने लगे हैं जबकि 50 फीसदी से अधिक युवा दोस्त को हाथ मिलाने के बजाय हैलो बोलने में दिलचस्पी दिखाने लगे हैं.

1 मानव स्पर्श से मजबूती मिलती है—

वैज्ञानिकों का मानना है कि स्पर्श से एकदूसरे को ताकत मिलती है.  इसी से व्यक्तिगत और सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं, लेकिन वायरस के चलते इसका चलन कम होगा और इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे.

2 गैजेट्स का बढ़ेगा दखल—

आदतों में इतना ज्यादा बदलाव संभव है कि वे दूर रहना ही पसंद करेंगे.  ज़िंदगी में फोन और दूसरे गैजेट्स, जो पहले ही जगह बना चुके हैं, अब इनका दायरा और बढ़ेगा और हर कोई मुलाकातों से बचकर फोन, वीडियो कॉल और टिम के तौर पर ऑनलाइन गेम खेलकर उस दूरी को पटाने की कोशिश करेंगे.

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लॉकडाउन और वायरस के डर से दुनियाभर के लोग जितने दिन घरों मे कैद रहेंगे उनके भीतर साफ-सफाई की आदत में सुधार होगा.  हालात सामान्य होने के बाद भी लोग बार-बार हाथ धोएंगे, क्योंकि वो उनकी आदत बन जाएगी. लोगों से दूर होकर ही बात कारण पसंद करेंगे, क्योंकि दिमाग एक चीज को जब लंबे समय से करता है तो उससे अलग करने की कोशिश करने वाले व्यक्ति को वैसा करने से रोकता है.

3 रिश्तों में आएँगी दूरियाँचीजें छूने में लगेगा डर—

जॉर्जटाउन में भाषाओं के प्रो. और लेखक डेबोर टैनन का कहना है कि इस समय लोग चीजों को छूने, समूहों में रहने को खतरनाक मान रहे हैं.  उन्हें डर है कि इस तरह से संक्रमन फैल सकता है.  सरकारें भी सोशल डिस्टेन्सिंग को प्रोसाहित कर रही है.  डर के कारण सामने आई बातें हमारे मन में हमेशा के लिए घर कर जाएगी.  चीजों को छूने से परहेज करना, लोगों से हाथ मिलाने से कतराना, बारबार हाथ धोना, सोसायटी से कटकर रहना आने वाले समय में लोगों को डिसऑर्डर की तरह सामने आ सकता है.  लोग किसी की मौजूदगी के बजाय अकेले रहने में ज्यादा सुकून महसूस करने लगेंगे.  हम ये पूछने के बजाय कि क्या इसे ऑनलाइन करना जरूरी है ? पूछने लगेंगे कि क्या मिलना जरूरी है ?

ऑनलाइन कम्यूकेशन बहुत ज्यादा बढ़ा जाएगा.  इससे आपसी रिश्तों में दूरियाँ बढ़ेती चली जाएगी. हालांकि, हम एकदूसरे का हालचाल जानने के लिए अब के मुक़ाबले ज्यादा बातचीत करने लगेंगे.

4 पढ़ाई और ख़रीदारी के तरीकों में होगा बदलाव—

कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में स्कूल और यूनिवर्सिटीज़ कोशिश कर रही है कि पढ़ाई के तरीके को बदला जाए.  ऑनलाइन क्लास के जरिये छात्रों को पढ़ाया जा रहा है.  प्रो. सिंधल के मुताबिक, दुनिया भर में कई यूनिवर्सिटी ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी है.  तमाम स्कूल, कॉलेज भी ऐसी संभावनाओं पर काम कर रहे हैं.  भविष्य में छात्रों कॉ क्लासरूम के बजाय ऑनलाइन क्लासेस से पढ़ाये जाने का कल्चर विकसित हो सकता है.  इससे बच्चों में ऑनलाइन पढ़ाई आदत में तब्दील हो सकती है.  इसके अलावा लोगों में इंटरटेंमेंट के तरीके भी बदल सकते हैं.  लोग थियेटर में जाने के बजाय ऑनलाइन इंटरटेंमेंट कोतव्वजो देने लगेंगे.  मॉल जाने के बजाय ऑनलाइन शॉपिंग को तरजीह दी जाएगी.  उनके मुताबिक,मॉल्स अगर अपने ग्राहकों को सुरक्षित माहौल देंगे तो लोग आते रहेंगे.  मॉल्स को संक्रमणयुक्त होने की गारंटी डिस्प्ले करनी होगी.

5 खाने में हाइजीन को दी जाएगी ज्यादा तव्वजो—

संक्रमन ने लोगों को साफ-सफाई और हाइजीन की अहमियत अच्छे से समझा दी है.  भारत में हाइजीन के स्टैंडर्ड विकसित देशों जैसे नहीं है. लेकिन अब इनमें काफी बदलाव आता दिख रहा है. ये बदलाव स्थायी रूप ले लेगा, जो हमेशा के लिए अच्छा है.  लोगों के खान-पान में भी बदलाव आयेगा.  अब लोग क्वालिटी के साथ हाइजीन खाने को ज्यादा तव्वजो देंगे.  इसके अलावा ऑनलाइन फूड ऑर्डर में वृद्धि होगी.

6 सार्वजनिक वाहनों से यात्रा में बना रहेगा बीमारी का डर—

सिंघल का कहना है कि भारत की आबादी बहुत ज्यादा है.  ऐसे में लोगों को संक्रमण से उबरने के बाद फिर सार्वजनिक वाहनों %

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