लेखक- ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’
इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जिन्होंने बारबार असफल होने के बावजूद सफलता को हासिल किया है और पूरी दुनिया के लिए मिसाल बने हैं. आइए जानते हैं ऐसा क्या खास उन्होंने खुद में बदलाव किया. जै?क मा दुनिया के सब से अमीर व्यक्तियों में से एक हैं. अलीबाबा कंपनी इन्हीं के नाम से जानी जाती है. पहलेपहल उन्हें लगता था कि बिल गेट्स और स्टीव जोब्स ने सभी अवसर खत्म कर दिए हैं. अब वे कुछ नहीं कर सकते. इस स्थिति को उन्होंने जल्दी स्वीकार कर लिया. यह मानसिक असफलता का प्रथम दौर था. तभी उन के दिमाग में दूसरी बिजली कौंधी. अवसर कभी खत्म नहीं होते हैं.
यदि ऐसा होता तो दुनिया में आविष्कार और खोज कब की रुक गई होती. बस, यह स्वीकार करते ही उन के दिमाग में अवसर खोजने की चुनौती आ गई. आज वे दुनिया के सब से सफलतम व अमीर व्यक्तियों में से एक हैं. चुनौतियों को स्वीकार कीजिए :चुनौतियां स्वीकार करते ही दिमाग काम करने लगता है. इस से हमारे अंदर एक चिंतनमनन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. यही चिंतनमनन की प्रक्रिया हमें चुनौती का समाधान खोजने में मदद करती है. इसी मदद के द्वारा हम में चुनौतियों का सामना करने का हौसला पैदा होता है. इसी की वजह से हम बाधाओं से लड़ने व उन्हें पार पाने में सक्षम होते हैं. सफलता के लिए सहयोग स्वीकार करें : हमेशा आप का ज्ञान काम नहीं आता है. आप का विचार सफलता का एक नक्शा होता है. उस नक्शे पर सफलता का भवन खड़ा होता है.
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इस के लिए सहयोगरूपी कच्ची सामग्री की आवश्यकता होती है. तभी सफलतारूपी भवन खड़ा होता है. टेस्ला की सफलता उस के मालिक के विचार पर फलीभूत हुई है. मगर उस विचार को सफलतारूपी भवन खड़ा करने में हजारों सहयोगियों की मेहनत व धैर्यरूपी वैचारिक सामग्री लगी हुई है. जिन के सहयोग के बिना यह सफलता हरगिज नहीं मिलती. असफलता को स्वीकार करना सीखिए : हर असफलता हमें कोई न कोई नई बात सिखा कर जाती है. यह नई बात उस गलती को दोबारा न दोहराने की प्रेरणा देती है. जो असफलता को स्वीकार कर लेते हैं वे उस से सीख ले लेते हैं. भविष्य में उसे दोहराने से बचते हैं. तभी सफलतारूपी लक्ष्य उन के हाथ लगता है. बल्ब के आविष्कारक थामस अल्वा एडिसन ने 9999 बार असफलता का स्वाद चखा था. तभी वे बल्ब का आविष्कार करने में सफल हुए. असफलता स्वीकार करने से नए विकल्प खुल जाते हैं. इस से दुख के बजाय खुशी का एहसास ज्यादा होता है. मैं ने कोई तो नई चीज सीखी है. यह एहसास आनंद भरता है. तभी उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नई ऊर्जा, नई प्रेरणा और नई राह सुझाई देती है.
हमेशा नया सोचने को तैयार रहें : यह तभी संभव होगा जब आप हमेशा कल के लिए तैयार रहें. कल क्या नया किया जाना है, इस पर चिंतनमनन व दिशानिर्देश कर के दिमाग में बैठा लें. उसी के लिए तैयार रहें. आप कल क्या नया करेंगे, जो आप के जीवन में बदलाव लाएगा. वह विचार स्वयं अपने, अपने परिवार के लिए और समाज के लिए लाभदायक होगा. यह सोचते रहें. तभी आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगे. आज की हर असफलता कल की सफलता की गारंटी होती है. इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए. कई आविष्कारक अपने सफल आविष्कार के पहले अधिक बार असफल हुए हैं. उन्होंने कई बार असफल प्रयास किए हैं. तभी वे सफल आविष्कार करने में सफल हुए हैं. राइट बंधु अपने आरंभिक असफलता से निराश हो जाते तो आज हम हवाई जहाज में उड़ान नहीं भर रहे होते.
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चुनौतियों में अवसर खोजते रहें : यदि जीवन में सफल होना है तो इस मंत्र को अपनाना होगा. आप को जिस चीज या चुनौती से डर लगता है, उसे स्वीकार करें. उस का सामना करने को तैयार रहें. उस से कैसे निबटें, इस पर विचार करें. फिर देखें, आप को चुनौतियां आकर्षित करना शुरू कर देंगी. यह आकर्षण आप को चुनौती से पार पहुंचाने का जज्बा पैदा करेगा. तब वह दिन दूर नहीं होगा जब आप उस चुनौती पर विजय प्राप्त कर लेंगे. इतिहास में ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े हैं जिन्होंने चुनौतियों का सामना कर के सफलता पाई है. यदि वे चुनौतियों से भागने लगते तो वे सफलता की सीढि़यां चढ़ न पाते. मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम बहुत गरीब घर में पैदा हुए थे. वे अपना खर्चा चलाने के लिए अखबार बेचते थे. मगर उन के सामने आकाश में उड़ते पंछी सब से बड़ी चुनौती थे.
वे उसी के सपने देखते थे. उसी सपने को साकार करने के लिए अकसर खोज करते रहे. उस से मिली चुनौतियों का सामना करते रहें. बस, केवल उसी पथ पर डटे रहे, तभी जा कर उन की चुनौती व उस से जुड़ा सपना साकार हुआ. उन्हीं की वजह से भारत अंतरिक्ष में सफलता के झंडे गाड़ने में सफल हुआ है. यदि आप भी सफल होना चाहते हैं तो उक्त पांचों बातों को जीवन में उतार लें. चुनौतियों को स्वीकार करें. सफलता के लिए सहयोग करें. असफलता को स्वीकार करें. हमेशा नया सोचते रहें और चुनौतियों में अवसर खोजते रहें. फिर देखिए, सफलता आप के कदम चूमती जाएगी.