अपनी बिंदास, बेलौस और खनकती आवाज से संगीत प्रेमियों के दिलों  को जीत चुके अभिजीत भट्टाचार्य इन दिनों बेरोजगार हैं और काम न मिलने की खुन्नस वे सोशल मीडिया में ऊटपटांग बयानबाजी व महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर के निकाल रहे हैं. इस बाबत उन पर कई पुलिस केस भी चल रहे हैं फिर भी उन का बड़बोलापन कम नहीं हो रहा. बहरहाल, अभिजीत कहते हैं, ‘‘आज भी उन का संघर्ष जारी है.’’ पिछले दिनों पटना में प्रोग्राम देने पहुंचे इस अजीम फनकार का सब से बड़ा दर्द है कि आज पब्लिक के मनमिजाज को ध्यान में रख कर गीत बनाए जा रहे हैं, जिस से उन गानों में न मिठास होती है और न ही वे टिकाऊ होते हैं. आज के ज्यादातर गाने आयारामगयाराम की तरह होते हैं. किसी भी तरह से गाने को हिट बनाने की कोशिश की जाती है, पर लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि जब गाने में सुर, संगीत और मिठास ही नहीं होगी तो वह हिट हो ही नहीं सकता है.

‘यस बौस’ फिल्म के ‘बस इतना सा ख्वाब है...’ जैसा दिलकश गीत गाने वाले अभिजीत कहते हैं, ‘‘किसी भी क्षेत्र में कामयाबी के लिए सपने देखना जरूरी है, पर उस से भी ज्यादा जरूरी है सपनों को हकीकत में बदलने के लिए जीतोड़ मेहनत करना. गायन, वादन हो या कोई भी अन्य काम हो कड़ी मेहनत जरूरी है.’’ इस गायक का मानना है, ‘‘हर कोई गायक नहीं बन सकता. गायक तो जन्मजात होता है. गुरु उस में छिपी प्रतिभा को निखार सकता है. गायकी की ट्रेनिंग ले कर कोई गायक नहीं बन सकता है. ऐसा होता तो पैसेवाले अच्छे गुरुओं से ट्रेनिंग ले कर गायक बन जाते.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...