हम सभी ने सुना है कि मधुमेह यानी डाइबिटीज़ होने पर डॉक्टर इन्सुलिन देता है. कभी टेबलेट के रूप में तो कभी इंजेक्शन के रूप में. मधुमेह रोग इन्सुलिन की कमी से होता है. पहले मधुमेह को दवाओं के ज़रिये कण्ट्रोल करने की कोशिश की जाती है लेकिन जब ये ज़्यादा बिगड़ जाता है तब मरीज़ को इन्सुलिन के इंजेक्शन लेने पड़ते हैं. ये इन्सुलिन शरीर में शुगर की मात्रा को कण्ट्रोल करता है.

इन्सुलिन क्या होता है, शरीर के अंदर कैसे बनता है, यह शरीर में किस तरह काम करता है और डायबिटीज से बचने के लिए क्यों जरूरी है? इसकी जानकारी होनी बहुत ज़रूरी है. आज की तनाव से भरी जिंदगी और अपौष्टिक आहार ने इंसान के शरीर को रोगों का घर बना दिया है जिसमे प्रमुख है शुगर की बीमारी यानी मधुमेह. ये कब चुपके से शरीर पर अपना कब्ज़ा जमा लेता है पता ही नहीं चलता. इसका एहसास तब होता है जब अत्यधिक थकान और शरीर दर्द से मरीज़ परेशान हो जाता है. वह चिड़चिड़ा और तनावग्रस्त रहने लगता है. तब डॉक्टर उसको शुगर टेस्ट की सलाह देते हैं. और पता चलता है कि वह शुगर का मरीज़ हो चुका है.

शरीर में शुगर को कण्ट्रोल करने वाला इन्सुलिन एक तरह का हॉर्मोन होता है, जो शरीर के अंदर प्राकृतिक रूप से बनता है और रक्त में मिलकर ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने का काम करता है. हममें से ज्यादातर लोग इन्सुलिन को डायबिटीज जैसे खतरनाक रोग के कारण ही जानते हैं. इन्सुलिन के बारे में हम बस इतना ही जानते हैं कि यदि शरीर के अंदर इन्सुलिन का उत्पादन ठीक से ना हो या यह अपना काम ठीक से ना कर पाए तो हम शुगर के पेशंट बन जाते हैं. लेकिन इन्सुलिन और भी तमाम कार्य हमारे शरीर में करता है.

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