सौंदर्य वह उपहार है जिसे प्रकृति ने मानव को दिया है. वैसे तो प्रकृति ने इस संबंध में कोई भेदभाव नहीं बरता है फिर भी लोगों में एक ललक होती है अत्यधिक सुंदर बनने और दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने की. इसी कारण सौंदर्य प्रसाधनों का प्रचलन होता है. पर अब बनावट इस कदर हावी हो चुकी है कि उस ने लोगों के स्वास्थ्य पर उलटा असर दिखाना शुरू कर दिया है. बिना सोचेसमझे सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल करना रोगों को आमंत्रण देना है.

सुंदर बनाने और सैल्फकेयर के नाम पर भारत सौंदर्य प्रसाधनों का एक उभरता बाजार बन गया है जिस में हर साल तेजी देखी जा रही है. साल 2021 में ब्यूटी और पर्सनल केयर मार्केट में सब से अधिक रैवेन्यू इकठ्ठा करने में विश्व में भारत चौथे नंबर पर रहा है.

‘द मिंट’ में प्रकाशित लेख के मुताबिक, ब्यूटी बिजनैस तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिस के 500 बिलियन यूएस डौलर से बढ़ कर 2023 में 820 बिलियन यूएस डौलर होने का अनुमान है. यूरोमौनिटर इंटरनैशनल स्टडी के अनुसार, भारत 14 बिलियन यूएस डौलर की ब्रिकी के साथ दुनिया में 8वें पायदान पर है.

सामान्यतया सौंदर्य को 2 तरह का कहा जा सकता है. एक आंतरिक और दूसरी बाहरी. नाकनक्श, रंगरूप मिल कर बाहरी सौंदर्य का निर्माण करते हैं जो उम्र के साथसाथ ढलता जाता है. फिर भी महिलाएं इसी सौंदर्य को बनाए रखने के लिए किसी भी सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल करने कोर आतुर रहती हैं. नगरों में बढ़ते ब्यूटीपार्लर इस का एहसास कराते हैं जो जम कर तरहतरह के कैमिकल इस्तेमाल करते हैं. देश की अनपढ़ महिलाएं भी ब्यूटीपार्लरों में जाती हैं और ब्लीचिंग, स्टीमिंग, प्लकिंग, हेयरस्टाइल आदि से अपने शरीर को आकर्षक बनाती हैं. सौंदर्य प्राप्ति की नकली उपायों से कितनी हानि होती है, इसे वे नहीं जानतीं.

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