जल संक्रमण से उत्पन्न रोग, जिन का प्रादुर्भाव मानसून काल में होता है, हमारे कृषि प्रधान देश की विकट समस्या है. मैडिकल शोध, दवाइयां व टीकाकरण भी इस का पूरी तरह से निदान करने में असमर्थ हैं. प्रश्न यह उठता है कि जीवनशैली को किस तरह बेहतर बनाएं कि जल संक्रमण से होने वाली बीमारियों से बचा जाए. इस का संक्षिप्त जवाब यह है कि पेयजल स्वच्छ रहे. उबाल कर, आरओ इत्यादि तरीकों से पेयजल को शुद्ध किया जाए. जल संक्रमण से होने वाले कुछ सामान्य रोग ये हैं :
फ्लूरोसिस :
प्रकृति द्वारा जमीन से प्राप्त जलस्रोतों में यदि फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा हो तो फ्लूरोसिस हो सकता है. शरीर में फ्लोराइड की अधिक मात्रा इकट्ठा हो जाने से दांतों की (इनामेल) सफेद पर्त नष्ट हो जाती है. ऐसे में ठंडे या गरम पेय से तेज झनझनाहट होती है.
मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया :
ये रोग मच्छर द्वारा उत्पन्न होते हैं. इन में तेज बुखार कंपन के साथ, सिरदर्द, मांसपेशी में अत्यधिक कसाव व पीड़ा, कमजोरी आदि हो सकती है. चिकनगुनिया से जोड़ों में दर्द होता है. इस से बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें. जलजमाव न होने दें ताकि मच्छर का प्रजनन न हो.
टाइफाइड, दस्त, हैजा एवं जिगर रोग :
ये रोग संक्रमित भोजन व दूषित पेय पदार्थों से होते हैं. इन में पेट में दर्द, उलटी, दस्त व बुखार हो सकता है. इस से बचने के लिए शुद्ध जल, उबला हुआ पानी का प्रयोग करें. खाद्य पदार्थों को ढक कर रखें. बाजार का खुला भोजन न खाएं.
सर्दी, जुकाम, फ्लू :
लगातार नाक से पानी बहना, नाक का लाल हो जाना, छींकना, गले व सीने में दर्द, बुखार, गले में कफ आदि रोग राइनोवाइरस के कारण होते हैं. ये व अन्य कई वायरस बारिश के मौसम में अत्यधिक सक्रिय हो जाते हैं. यह छूत की बीमारी है और हवा में पानी की बूंदों एवं नम हवा से एक से दूसरे इंसान तक फैलता है. इन रोगों से बचाव के लिए हाथों को समयसमय पर धोएं एवं साफ रखें. खांसते व छींकते समय रूमाल या टिशू का प्रयोग करें और मुंह पर हाथ रख लें. इस्तेमाल में लाए रूमाल या टिशू को सावधानी से कूड़ेदान में डालें और फिर हाथ को धोएं.