आर्थ्राइटिस को आम बोलचाल की भाषा में गठिया कहते हैं. शरीर के जोड़ रोजाना विभिन्न तरह के काम करते हैं और घुटने व कूल्हे खासतौर से पूरे शरीर का वजन उठाते हैं. घुटनों के जौइंट के बीच जैली जैसा एक तत्त्व होता है जिसे कार्टिलेज कहते हैं. यह कुशन या शौक अब्जौर्बर का काम करता है. समय के साथ या फिर किसी दुर्घटना में यह कार्टिलेज घिसना शुरू हो जाता है जिस से हड्डियां एकदूसरे के संपर्क में आ जाती हैं और आपसी रगड़ से उन में दर्द व अकड़न आ जाती है, इसे ही आर्थ्राइटिस कहते हैं.

क्या हैं लक्षण

आर्थ्राइटिस से पीडि़त व्यक्ति के जोड़ों में बहुत अधिक दर्द रहता है. अगर समय पर इलाज न करवाया जाए तो समय के साथ यह दर्द लगातार बढ़ता रहता है. गंभीर स्थिति में दर्द इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि मरीज के लिए रोजमर्रा के काम करना तक मुश्किल हो जाता है. कई मामलों में तो रोगी बिस्तर तक पकड़ लेता है.

कैसे होता है आर्थ्राइटिस

आर्थ्राइटिस होने के मुख्य कारण रोजमर्रा की जीवनशैली, रहनसहन, खानपान, पोषण युक्त आहार, शारीरिक व्यायाम या काम न करना और सही मुद्रा में न बैठना व उठना है. इस वजह से उम्र के साथसाथ हड्डियों और जोड़ों में घिसाव होने लगता है जिस से वे विकृत हो जाते हैं.

इस के अलावा जो लोग लगातार कई सालों तक एक ही प्रक्रिया को बारबार दोहराते हैं और उस प्रक्रिया में घुटनों के या किसी भी और जोड़ पर दबाव पडे़ तो उस से भी घुटने का प्रभावित होना स्वाभाविक है. इसीलिए तो ऐथलीट और दूसरे खिलाडि़यों को जोड़ों की समस्या से जूझना पड़ता है.

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