‘‘अस्वच्छ आदतें, स्वच्छता का अभाव, आसपास फैली गंदगी, कचरे का अनुचित निस्तारण और खुले में शौच जैसी समस्याएं देश में बीमारियों का ग्राफ तेजी से बढ़ाती हैं.’’ ऐसा मानना है इंडियन मैडिकल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष व जानेमाने कार्डियोलौजिस्ट डा. के के अग्रवाल और गुड़गांव के मेदांता द मेडिसिटी के सीएमडी डा. नरेश त्रेहन का.

दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित परफैक्ट हैल्थ मेले में तमाम बड़ेबड़े डाक्टर लोगों को बता रहे थे कि अगर आप साफसफाई पर ध्यान देंगे, अपने आसपास के वातावरण को साफ रखेंगे तो पूरे राष्ट्र को स्वस्थ और रोगमुक्त बना सकते हैं. लगभग तमाम विशेषज्ञों ने माना कि अगर देश में ‘स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत’ के महत्त्व को समझ कर इसे अपनाया जाए तो बड़ी संख्या में लोग अस्पताल पहुंचने से बच सकते हैं. सिर्फ पानी और वातावरण संबंधी स्वच्छता का ध्यान रख लिया जाए तो 50 फीसदी बीमारियों से बचाव हो सकता है. 

हालांकि पूरे देश में सफाई की जिम्मेदारी ज्यादातर सरकारी एजेंसियों के पास है लेकिन अगर यह समझ लिया जाए कि सबकुछ सरकारी एजेंसियां ही करेंगी तो यह गलत होगा क्योंकि यह हर नागरिक का कर्तव्य होना चाहिए कि अपने आसपास के वातावरण की साफसफाई रखे. स्वच्छता को अपने जीवन में सामाजिक सरोकार से जोड़ना होगा. इस से बड़ी देश सेवा कुछ नहीं. स्वच्छ भारत अभियान को गंभीरता से अपनाकर राज्यों, शहरों, कसबों, गली, चौराहों आदि को साफ कर एक आदर्श प्रस्तुत करना होगा और एक रोगमुक्त भारत का निर्माण करना होगा. इस मेले में लोगों ने सेहत से जुड़े तमाम पहलुओं को जाना. आप भी जानिए इस हैल्थ मेले में स्वास्थ्य के लिहाज से क्या रहा खास.

तनाव बीमारी की जड़

कई तरह की मानसिक परेशानियों से उच्च रक्तचाप, मधुमेह, स्ट्रोक और दिल संबंधी बीमारियां होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. तनाव के कारण कई बार सिर में दर्द होने लगता है. सिरदर्द अकसर दोपहर बाद होता है जो मध्यम किस्म का होता है जिस से व्यक्ति को भारीपन का एहसास या दबाव का अनुभव होता है. जब गरदन, कंधे और सिर की मांसपेशियों में तनाव आ जाता है तो तनाव महसूस होने लगता है. अगर इस से निजात पाना चाहते हैं तो भोजन करना न भूलें, भरपूर नींद जरूर लें, तनाव व थकावट से बचें. रिलैक्सेशन थेरैपी जरूर सीख लें. इस के अलावा रोज सुबह सैर करें, व्यायाम करें और धूम्रपान बिलकुल न करें.

धूम्रपान से रहें सावधान

हृदय रोगी को धूम्रपान से दूर रहना चाहिए, खासकर भांग का सेवन तो बिलकुल नहीं करना चाहिए. इस से दिल की धड़कन और ब्लडप्रैशर तेजी से बढ़ सकता है. गांजा भी खतरनाक होता है. कई बार लोग हुक्के या सिगरेट में जो निकोटिन होता है उसे निकाल कर गांजा मिक्स कर सिगरेट में भर कर कश लगाते हैं जोकि खतरनाक है. अगर जिंदगी प्यारी है तो ऐसा कतई न करें.

हैल्थ मेले में आए मुकेश कुमार कहते हैं कि यहां आ कर उन्होंने बहुत सारी जानकारियां प्राप्त कीं. उन के कई ब्लड टैस्ट और ईसीजी यहां निशुल्क हो गए. डाक्टर से भी चैकअप करवा लिया. अगर हम यह सब टैस्ट बाहर से करवाते और डाक्टर को दिखाते तो शायद हजारों रुपए खर्च करने पड़ते. अब मैं हर वर्ष परिवार समेत यहां स्वास्थ्य जानकारी लेने आया करूंगा और जैसा कि डाक्टरों ने यहां बताया कि हर वर्ष जरूरी चैकअप हर किसी को कराना चाहिए ताकि आप तंदुरुस्त रहें, यह बात मैं दूसरों को भी बताऊंगा.

टैलीमैडिसिन से लाभ

हैल्थ मेले में लोगों ने अपनीअपनी समस्या लाइव टैलीमैडिसिन के जरिए सुलझाई और इस के लिए मेदांता द मेडिसिटी के डाक्टरों ने लोगों की समस्या सुनी और परामर्श भी दिया. मेदांता द मेडिसिटी के सीएमडी डा. नरेश त्रेहन ने बताया कि इस सेवा में भागीदार बनना खुशी की बात है. उन्होंने बताया कि वे मरीजों को निशुल्क सलाह, टैलीमैडिसिन की सुविधा और जन्मजात दिल की बीमारियों से पीडि़त गरीब मरीजों को कम कीमत पर सर्जरी की सुविधा देंगे. इस के अलावा लोगों ने सेहत से जुड़ी तमाम बीमारियों और उस का कहां किस अस्पताल में बेहतर इलाज संभव है व अपनेआप को कैसे रखें सेहतमंद आदि की जानकारी प्राप्त की.

  

सीपीआर की ट्रेनिंग

अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हार्ट अटैक से हो जाती है और यदि मरने के 10 मिनट के अंदर कम से कम अगले 10 मिनट तक 10×10=100 प्रति मिनट की गति से उस की छाती में प्रैशर दिया जाए या यों कहा जाए कि सीपीआर फार्मूले के तहत अपनी छाती पीटने के बजाय मरे हुए व्यक्ति की छाती पीटने से शायद उस की जिंदगी बचाई जा सकती है.

डा. के के अग्रवाल ने बताया कि अमेरिका में 25 साल से कम उम्र के 2 हजार से अधिक लोग हर साल अचानक हृदय संबंधी बीमारी से मौत के शिकार हो जाते हैं. भारत में यह आंकड़ा 8-10 के बीच होने का अनुमान है. 3 वर्ष से 13 वर्ष के बीच अचानक मौत की वजह जन्मजात हृदयरोग होता है. सीपीआर की ट्रेनिंग हर किसी को लेनी चाहिए. शिक्षकों और स्कूली बच्चों को कार्डिएक फर्स्ट एड के बारे में जानना जरूरी है जिस से अचानक बच्चे की हृदय संबंधी कारणों से मौत से उसे बचाया जा सके. बच्चों की सीपीआर ट्रेनिंग वयस्कों की सीपीआर ट्रेनिंग से थोड़ी अलग होती है. क्योंकि बड़ों की तुलना में बच्चों के सीने को हलके से दबाया जाता है. इस के लिए यह ध्यान रहे कि दबाने पर सीना डेढ़ से 2 इंच ऊपरनीचे हो.

सांस की समस्या अस्थमा नहीं

आमतौर पर सांस संबंधी समस्या की वजह से अस्थमा नहीं होता. मोटापा और एनीमिया दोनों की वजह से एग्जर्शनल ब्रैथलेसनैस हो सकती है. इस के अलावा अनियंत्रित रक्तचाप, डायस्टौलिक हार्ट का डिसफंक्शन और हार्ट बीट के बढ़ जाने से भी सांस संबंधी समस्या हो सकती है. अगर 40 की उम्र के बाद जिंदगी में पहली बार किसी भी तरह की सांस संबंधी समस्या हुई तो जब तक कुछ और साबित न हो जाए, उसे हृदय संबंधी समस्या ही मानना चाहिए. दरअसल, हृदय के आराम करने के फंक्शन का असंतुलित हो जाना आज एक नई महामारी के रूप में फैल रहा है. इस में हृदय की धमनियों में किसी भी तरह का ब्लौकेज नहीं होता मगर हृदय को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता.

हृदय के डायस्टौलिक फंक्शन के बारे में टिश्यू डौप्लर इकोकार्डियोग्राफी परीक्षण से पता लगाया जा सकता है. साधारण ईको से इस की डायग्नौसिस नहीं हो पाती क्योंकि इस से आमतौर पर हृदय के सिस्टौलिक फंक्शन का पता लगता है.

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