फेफड़ों का कैंसर एक खतरनाक रोग होता है. यह जानलेवा हो सकता है और साधारण तौर पर यह महीनों, सालों तक अस्थायी लक्षणों के बिना विकसित होता है. इस के कारण इस कैंसर की पहचान और उपचार में देरी हो जाती है.
कुछ कारणों से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. जैसे, तंबाकू का उपयोग, धूल और एनवायरमैंटल प्रदूषण का अधिक संपर्क, परिवार में कैंसर का इतिहास और अन्य उपयोगकर्ता जैसे कारकों से यह जुड़ा होता है.
फेफड़ों के कैंसर को उस के प्रारंभिक चरण में पहचाना और उपचार किया जाता है तो सफल उपचार की संभावना बढ़ जाती है.
फेफड़ों के प्राइमरी कैंसर की 2 मुख्य श्रेणियां होती हैं-
स्मौल सैल लंग कैंसर : यह कैंसर फेफड़ों की छोटी कोशिकाओं में शुरू होता है. यह तेजी से बढ़ता है और अकसर शरीर के दूसरे क्षेत्रों में फैल सकता है.
नौन स्मौल सैल लंग कैंसर : यह कैंसर फेफड़ों की थोड़ी बड़ी कोशिकाओं में शुरू होता है और इस के अंदर कई उपश्रेणियां होती हैं, जैसे कि एडेनोकार्सिनोमा, स्क्वेमस सैल कार्सिनोमा और लार्ज सैल कार्सिनोमा.
इन 2 मुख्य श्रेणियों के अलावा कई अन्य भिन्न प्रकार के फेफड़ों के कैंसर भी हो सकते हैं, जैसे कि कैविटी तंत्रिका एडेनोकार्सिनोमा, अल्वियोलर कैंसर और क्रायडर कैंसर. इन प्रकार के कैंसर का इलाज और रोग की प्रगति का अनुसरण भिन्न होता है.
कैंसर के लक्षण
फेफड़ों के कैंसर के लक्षण व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं. इन में से कुछ लक्षण शुरुआत में हलके हो सकते हैं लेकिन समय के साथ वे गंभीर और परेशानीदायक हो सकते हैं. फेफड़ों के कैंसर के कुछ प्रमुख लक्षण ये हो सकते हैं :
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