भारत में जिस रफ्तार से डायबिटीज की संख्या बढ़ रही है, वह चिंता की बात है. लोग अकसर शरीर के बाकी अंगों का ध्यान रखते हैं और पैरों की देखभाल को भूल जाते हैं, तो ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए.

 

शरीर है तो बीमारियां भी होंगी. बीमारियां भी ऐसीऐसी कि नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. ऐसी ही एक बीमारी है वैस्कुलर डिजीज. वैस्कुलर डिजीज से बचने के लिए ही वैस्कुलर सोसाइटी औफ इंडिया की तरफ से दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नैशनल स्टेडियम में राष्ट्रव्यापी वाकथोन का आयोजन किया गया, जिस में लोगों को वैस्कुलर से संबंधित बीमारियों के बारे में बताया गया. कुल मिला कर संदेश यही था कि इस डिजीज के बारे में लोग जानें और जागरूक रहें व लोगों को जागरूक करें भी.

 

क्या है वैस्कुलर डिजीज
वैस्कुलर डिजीज रक्त वाहिनियों (आर्टरी और नसों) की बीमारियों को संदर्भित करता है. आर्टरी खून को दिल से दूर और नसें खून को वापस दिल तक पहुंचाती हैं. कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम का काम शरीर में कोशिकाओं और अंगों को पोषक तत्व, औक्सीजन, हार्मोन व अन्य महत्वपूर्ण पदार्थ पहुंचाना है.

 

Closeup side view of female doctor massaging legs and calves of a senior female patient with visible varicose veins.

वैस्कुलर डिजीज के लक्षण
वैस्कुलर डिजीज के लक्षण कई प्रकार के हो सकते हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि किस अंग में रक्त संचार बाधित हो रहा है. पैरों में दर्द या ऐंठन, चलने या गतिविधि करने पर दर्द, जिसे इंटरमिटेंट क्लोडिकेशन कहा जाता है ,पैरों में ठंडापन या सुन्नता जो रक्त प्रवाह कम होने के कारण होता है, पैरों में घाव या अल्सर जो ठीक नहीं हो रहे हैं. पैरों में नीलापन या काला पड़ना जो रक्त संचार में कमी के कारण होता है. नसों में सूजन जिसे वैरिकोज वेन्स कहते हैं. यदि आप को ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत किसी डाक्टर को दिखाने की जरूरत है.

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