अवसाद एक ऐसा डिसऔर्डर है जिसे दिमाग से जोड़ कर देखा जाता है. मगर इस के लक्षण शारीरिक रूप से भी दिखाई देते हैं. जिन्हें अवसाद की समस्या होती है उन में से लगभग 50% लोगों को शरीर में दर्द महसूस होता है. दरअसल, शरीर और मस्तिष्क आपस में जटिल रूप से जुड़े होते हैं. जब एक ठीक नहीं होता है तो इस बात की आशंका बहुत बढ़ जाती है कि दूसरे पर भी इस का प्रभाव दिखाई देने लगे. कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि अवसाद व्यक्ति के दिमाग में दर्द पैदा करने वाले हिस्सों को ऐक्टिव कर देता है, जिस से मसल्स पेन, जौइंट पेन, चैस्ट पेन, हैडेक आदि हो सकता है.

कई दफा हम दर्द दूर करने की दवा खाते रहते हैं पर इस दर्द की मूल वजह यानी अवसाद पर ध्यान नहीं देते और लंबे समय तक तकलीफ सहते रहते हैं.

‘यूनिवर्सिटी औफ कोलोरैडो, हैल्थ साइंस सैंटर’ के डाक्टर रोबर्ट डी कीले ने 200 से ज्यादा मरीजों का अध्ययन कर पाया कि शुरुआत में डाक्टर्स भी उन की शारीरिक तकलीफों खास कर गले और बदन में दर्द की वास्तविक वजह यानी अवसाद का अंदाजा नहीं लगा सके. इस वजह से लंबे समय तक उन्हें अपनी तकलीफों से छुटकारा नहीं मिला. केवल डाक्टर ही नहीं, बल्कि मरीज भी ऐंटीडिप्रैशन मैडिसिन लेने को तैयार नहीं थे, क्योंकि उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि वे डिप्रैशन के मरीज हैं.

क्या है अवसाद

अवसाद एक गंभीर स्थिति है. हालांकि यह कोई रोग नहीं, बल्कि एक संकेत है कि आप के शरीर और जीवन में असंतुलन पैदा हो गया है. अवसाद से निबटने में दवा उतनी कारगर नहीं होती जितनी आप की सकारात्मक सोच और जीवनशैली में बदलाव का प्रयास. साधारणतया अवसाद के प्रारंभिक शारीरिक लक्षणों के तौर पर नींद की कमी, कमजोरी, थकावट, आदि की पहचान की जाती है, पर कईर् दफा इस की वजह से शारीरिक पीड़ा जैसे बैक, नैक और जौइंट पेन आदि भी पैदा होने लगता है.

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