दिल की बीमारी अकसर कोरोनरी आर्टरी में ब्लौकेज के कारण होती है. हालांकि, कई बार, खासकर महिलाओं में, दिल की बीमारी और इस के लक्षण हृदय की धमनी से निकलने वाली छोटी धमनियों में बीमारी होने के कारण दिखते हैं. महिलाओं और पुरुषों में हार्ट अटैक का सब से आम लक्षण सीने में दर्द या असुविधा है. हालांकि जिन महिलाओं को हार्ट अटैक होता है उन में आधी को ही सीने में दर्द होता है. ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं कि महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों की तुलना में अलग हो सकते हैं और अधिकतर लोगों के पास संभावित हार्ट अटैक की स्थिति में करने के लिए कोई कार्ययोजना नहीं होती है. महिलाएं अकसर चेतावनी संकेतों को नजरअंदाज करती हैं और समझती हैं कि समस्या कुछ और है. कई ऐसी महिलाएं हैं जो घर और दफ्तर दोनों के कामों में लगी रहती हैं, इस से निजी देखभाल के लिए उन्हें कम समय मिलता है. इस के अलावा, महिलाओं में बीमारी के लक्षणों को गलत समझा जा सकता है. इस का नतीजा यह होता है कि महिलाओं की हृदय की अपनी बीमारी का पता बहुत देर से चलता है.
दूसरी ओर पुरुष अकसर चिकित्सकीय परीक्षणों में भाग लेते रहते हैं और उन का परीक्षण व उपचार होता रहता है. इस से लगता है कि उन्हें फायदा मिलता है. आइए, कुछ उदाहरणों से इस अंतर को समझें : 53 साल के देवेश बैंक मैनेजर हैं. उन्हें हाइपरटैंशन रहता है तथा करीब 5 वर्षों से इस के लिए रोज दवा ले रहे हैं. उन्होंने सीने में जलन की शिकायत की और अपने फैमिली डाक्टर से सलाह लेने का निर्णय लिया. लक्षणों को देख कर डाक्टर ने तुरंत हृदय रोग विशेषज्ञ से सलाह लेने के लिए कहा. पता चला कि देवेश की धमनियां जाम हो चुकी थीं. बहरहाल, समय पर इलाज से हार्ट अटैक टल गया.
49 साल की मधुरिमा गृहिणी हैं. वे 1-2 सप्ताह से ठीक महसूस नहीं कर रही थीं. उन्होंने एक डाक्टर से संपर्क कर पेट में गड़बड़ी व सांस फूलने की शिकायत की. उन्होंने असामान्य थकान और कभीकभी चक्कर आने की भी शिकायत की. डाक्टर ने उन्हें कुछ दिन आराम करने की सलाह और डाइट प्लान देते हुए लक्षणों का कारण बढ़ती उम्र व रजोनिवृत्ति के चलते हार्मोन में बदलाव को बताया. इस के 3 दिन बाद मधुरिमा को सीने में जोरदार दर्द हुआ. उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां बताया गया कि उन्हें जोरदार हार्ट अटैक हुआ था. मधुरिमा ने पहले जिस डाक्टर से सलाह ली थी उस डाक्टर ने हृदय की स्थिति से उसे जोड़ कर नहीं देखा था, इसलिए उस के द्वारा दी गई सलाह बेकार हो गई जिस का नतीजा मधुरिमा को हार्ट अटैक के तौर पर झेलना पड़ा.
मधुरिमा की तरह ज्यादातर महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह होती हैं. जब बात बिगड़ जाती है तभी वे डाक्टर के पास जाती हैं. आप ऐसा कतई न करें. गलत आदतें भी आप का जोखिम बढ़ा सकती हैं. महिलाओं में हार्ट अटैक के जोखिम वही होते हैं जो पुरुषों में. हालांकि कुछ जोखिम के घटक महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले अलग ढंग से प्रभावित कर सकते हैं. उदाहरण के लिए डायबिटीज से महिलाओं में हार्ट अटैक का जोखिम ज्यादा बढ़ता है. यही नहीं, कुछ जोखिम घटक जैसे गर्भनिरोधक गोलियां और रजोनिवृत्ति से सिर्फ महिलाएं प्रभावित होती हैं.
उपचार के विकल्प
द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन का मानना है कि अगर आप के परिवार में हृदय की बीमारी का इतिहास है तो आप अपने कोलैस्ट्रौल की जांच 20 साल में या उस से भी पहले करा लें. कोरोनरी हार्ट डिजीज के मरीजों के लिए उपचार, स्टंटिंग के साथ एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी का विकल्प मौजूद है. आज ड्रग एल्यूटिंग स्टंट्स यानी डीईएस उपलब्ध हैं जो कोरोनरी आर्टरी को ढांचागत सहायता मुहैया कराते हैं और साथ ही, इस पर लगी दवा की परत धमनी को फिर से संकरा होने से रोकती है. आज कई डीईएस उपलब्ध हैं और इन में रिजोल्यूट इंटीग्रिटी ऐसा ही एक डीईएस है जो पहला और एकमात्र अमेरिकी एफडीए से स्वीकृत ड्रग एल्यूटिंग स्टंट है. यह डायबिटीज के मरीजों के लिए है. हृदय की बीमारी से बचने के लिए आप की सही जीवनशैली न सिर्फ सर्वश्रेष्ठ बचाव है बल्कि यह आप की जिम्मेदारी भी है. आहार में मामूली संशोधन, नियमित व्यायाम और धूम्रपान के साथ शराब का सेवन भी छोड़ना हृदय को स्वस्थ रखने में काफी मददगार हो सकता है.
– डा. एस के अग्रवाल
(लेखक कैलाश अस्पताल, नोएडा में सीनियर इंटरवैंशन कार्डियोलौजिस्ट हैं.)