बहुत ज्यादा खून बह जाने की वजह से 24 साला संगीता (बदला हुआ नाम) जब डाक्टर के पास आई तो डाक्टर भी चकरा गई. डाक्टर के बारबार पूछने पर संगीता ने सचाई बताई कि कुछ दिन पहले वह किसी दाई के कहने पर दुकान से पेट गिराने की दवा ले कर खा चुकी थी जिस से थोड़ा खून बहा था, पर पेट की पूरी सफाई नहीं हुई थी. अब जब उस ने दोबारा दवा ली है तो बहुत ज्यादा खून बह रहा है.
संगीता को तुरंत अस्पताल में भरती कर खून चढ़ाया गया, क्योंकि उस का हीमोग्लोबिन का लैवल 4 तक गिर चुका था. इस वजह से उस की मौत भी हो सकती थी.
मां बनना हर औरत की इच्छा होती है लेकिन कभीकभार न चाहते हुए भी कई औरतें पेट से हो जाती हैं. परिवार नियोजन की वजह से बहुत सी औरतें दूसरे बच्चे के लिए तैयार नहीं होती हैं. ऐसे में सब से आसान और अच्छा तरीका पेट गिराना है, पर ऐसा कराने का भी एक तय समय होता है.
अनचाहे पेट से छुटकारा पाने के 2 तरीके हैं, मैडिकल अबौर्शन और सर्जिकल तरीका. मैडिकल अबौर्शन केवल 7 हफ्ते तक ही कर सकते हैं. ज्यादा से ज्यादा 8 हफ्ते तक. लेकिन जितनी जल्दी मैडिकल अबौर्शन किया जाएगा, उतने ही उस के कामयाब होने के चांस रहते हैं.
ये भी पढ़ें- दीवाली 2019: पटाखों का धुआं हो सकता है जानलेवा
इस बारे में मुंबई की अपोलो क्लिनिक और फोर्टिस अस्पताल की स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डाक्टर बंदिता सिन्हा बताती हैं कि रिसर्च में भी यह साबित नहीं हो सका है कि अबौर्शन पिल्स सौ फीसदी कारगर होती हैं या नहीं. कई बार 7 या 8 हफ्ते के बाद ये गोलियां पूरी तरह से अबौर्शन नहीं कर पाती हैं. यह ‘अधूरा अबौर्शन’ होता है जिसे बाद में सर्जिकल तरीके से साफ किया जाता है. इन गोलियों को देने से पहले इन बातों पर ध्यान देना जरूरी है:
* सब से पहले औरत की काउंसलिंग से पता किया जाता है कि वह पेट गिराना क्यों चाहती है.
* सोनोग्राफी कर के बच्चे की पोजीशन का पता लगाया जाता है.
* औरत का ब्लड टैस्ट कर के पता किया जाता है कि उस की जिस्मानी हालत कैसी है. अबौर्शन पिल्स उस के लिए ठीक रहेंगी या नहीं, क्योंकि अगर हीमोग्लोबिन का लैवल 12 है तो ऐसे अबौर्शन के बाद हीमोग्लोबिन लैवल घट कर 8 हो जाता है और अगर 8 है तो
4 होने का डर बना रहता है. ऐसे में उसे अस्पताल भेजा जाता है.
* इस के अलावा कोई पारिवारिक समस्या या दूसरी समस्या रहने पर भी दवा नहीं दी जाती है.
* अगर मरीज दिल, दमा, डायबिटीज, एनीमिया या किसी दूसरी बीमारी की शिकार है तो भी अबौर्शन पिल्स को नहीं दिया जाना चाहिए.
* ज्यादा बीड़ीसिगरेट पीने वाली और एचआईवी पीडि़त मरीज को भी ऐसी दवा लेने से मना किया जाता है.
* या तो पहले सर्जरी सैक्शन हुआ हो या फिर 2 सिजेरियन बच्चा हुआ हो, ऐसे में मैडिकल पिल्स से यूट्रस में ‘कैंप’ आ सकता है. वह फट भी सकता है, जो काफी दर्दनाक होता है.
* 18 से 35 साल की उम्र तक ये पिल्स सही रहती हैं लेकिन
40 साल की उम्र के बाद ये गोलियां ज्यादा देते हुए ध्यान रखना चाहिए.
कुंआरी लड़कियों में ऐसी दवाएं काफी मशहूर हैं. ऐसी लड़कियां कई बार परिवार नियोजन का कोई साधन अपनाए बिना सैक्स करने के चलते पेट से हो जाती हैं. ऐसे में पेट गिराने की दवा के इस्तेमाल से उन्हें अस्पताल जाने की जरूरत नहीं होती. बाजार से प्रैगनैंसी ‘किट’ ला कर ‘यूरिन टैस्ट’ पौजिटिव आने पर वे खुद ही पेट गिराने की दवा ले लेती हैं, जो कई बार खतरनाक हो सकता है, इसलिए डाक्टर की सलाह के बिना दवा लेना ठीक नहीं.
कई बार प्रैगनैंसी यूट्रस में न हो कर ट्यूब में हो जाती?है. ऐसे में लड़की के लिए खतरा बढ़ता है. सोनोग्राफी से उस का पता लगाया जा सकता है. इस के अलावा ज्यादा खून बहने से यूट्रस का इंफैक्शन वगैरह कई दूसरी बड़ी दिक्कतों से बचा जा सकता है.
ये भी पढ़ें- DIWALI SPECIAL 2019: संतुलित आहार हैल्दी त्योहार
वैसे, पेट गिराने की दवाएं बारबार लेना ठीक नहीं होता. इस से बाद में कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं, जो इस तरह हैं:
* कोई जवान लड़की अगर 2-3 बार या इस से ज्यादा बार ऐसी दवाएं लेती है तो उस के हार्मोनों में बदलाव होने का डर बढ़ जाता है.
* बांझपन की भी दिक्कत हो सकती है.
* बाद में बच्चा पैदा करने में दिक्कतें आ सकती हैं.
पेट गिराने की दवा देने के बाद डाक्टर इन बातों पर नजर रखते हैं:
* दवा लेने के 48 से 72 घंटे में खून का बहना शुरू होना चाहिए.
* अगर अच्छी तरह से साफसफाई नहीं हुई है तो दोबारा दवा देते हैं.
* इस के 2 हफ्ते बाद सोनोग्राफी कर के यूट्रस साफ हुआ है या नहीं, देखा जाता है. अगर यूट्रस साफ नहीं हुआ है तो सर्जिकल तरीके से उसे साफ किया जाता है.
डाक्टर बंदिता सिन्हा कहती हैं कि पेट गिराने की नौबत न आए, उस पर ध्यान रखना चाहिए. किसी भी दाई या दवा की दुकान से पेट गिराने की दवा खरीद कर न खाएं. माहिर डाक्टर की सलाह से ही ये दवाएं कारगर साबित हो सकती हैं, नहीं तो जान का खतरा भी हो सकता है.