आज के किशोर डिप्रैशन की गिरफ्त में तेजी से आ रहे हैं, जिस का कारण जहां किशोरों पर ओवरलोड पड़ना है वहीं आनुवंशिक कारण भी इस के लिए जिम्मेदार हैं. डिप्रैशन में नींद में कमी, बातबात पर उदास हो कर बैठ जाना, भूख में कमी, जल्दी थक जाना, किसी भी काम में मन न लगना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं. जिन परिवारों में पेरैंट्स या फिर घर के किसी और सदस्य में डिप्रैशन की समस्या होती है उन के बच्चों में डिप्रैशन होने की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है. इसलिए जरूरत है डेली व्यायाम करने की व परिवार के माहौल को सामान्य बनाने की ताकि अगर किशोर डिप्रैशन का शिकार हो भी तो उसे आसानी से इस स्थिति से बाहर निकाला जा सके.

इस के लिए आप नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करें. भले ही आप पतले हों लेकिन फिर भी आप ऐक्सरसाइज को इग्नोर न करें, क्योंकि ऐक्सरसाइज करने से मन शांत होता है, साथ ही शरीर में सेरोटोनिन पैदा होता है. यह ऐसा रसायन है जो डिप्रैशन रोगियों में धीमी गति से बनता है. आप डेली दौड़ लगा सकते हैं, पैदल चल सकते हैं, पसंद के खेल खेल सकते हैं. इस से आप खुद को काफी फ्रैश महसूस करेंगे और आप धीरेधीरे तनाव की स्थिति से खुद बाहर निकलने लगेंगे. इसी के साथ आप को खानपान पर भी ध्यान देना होगा.

कुछ भी खा लेने से बात नहीं बनेगी. कहा भी जाता है कि अच्छा खाओगे तभी दिमाग सही ढंग से काम करेगा. अच्छा भोजन खाने से मूड और सोच दोनों में परिवर्तन होता है. अपनी डाइट में फलसब्जियां, मछली, साबुत अनाज, दही, दालें आदि शामिल करें. इस से शरीर को ऊर्जा मिलेगी. कार्बोहाइड्रेट से सेरोटोनिन के स्तर में बढ़ोतरी होती है. सेरोटोनिन रसायन भाव व एहसास को नियंत्रित करता है. इस तरह किशोर तनाव की स्थिति से जल्दी ही बाहर आ सकते हैं.

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