हड्डियां मानव शरीर का मजबूत आधार हैं, जिन पर शरीर का ढांचा बना होता है. हड्डियां लगातार बनती रहती हैं. शारीरिक प्रक्रिया में हड्डियां घुलती और साथ ही नई बनती रहती हैं. इन दोनों के संतुलन से हड्डियों की मजबूती तय होती है. जब जीवन कोख में होता है तब से ले कर जीवन के हर पड़ाव तक टूटनेबनने का यह सिलसिला चलता रहता है. दोनों में से क्या ज्यादा होगा, यह जीवन के पड़ावों पर निर्भर करता है. किशोरावस्था में हड्डियों का सब से तेजी से विकास होता है. जैसेजैसे उम्र बढ़ती है, हड्डियों के नष्ट होने की प्रक्रिया बढ़ जाती है. महिलाओं में यह पुरुषों के मुकाबले जल्दी होता है.
इस प्रक्रिया को कौन तय करता है? शरीर में काम कर रहे हार्मोंस, कैल्शियम और फौसफेट जैसे मिनरल बिल्डिंग ब्लौक्स, विटामिन डी, उम्र, सैक्स और भोजन में प्रोटीन की मात्रा मिल कर हड्डियों को मजबूत और सेहतमंद बनाते हैं. किशोर उम्र में हड्डियां अधिकतम मजबूत होती हैं, उस उम्र में उन का आधार बनता है. उसी उम्र में लिया गया कैल्शियम, किया गया व्यायाम हड्डियों की नींव बनाता है. इसलिए याद रखें कि मजबूत हड्डियों की शुरुआत बचपन से होती है. महिलाओं में 30 साल की उम्र से हड्डियों के घिसने की शुरुआत हो जाती है जबकि पुरुषों में 40 साल बाद. मीनोपौज के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी होने के कारण हड्डियों का घिसना तेज हो जाता है. इस उम्र में हड्डियां मजबूत रखने के लिए अधिक खयाल रखने की आवश्यकता होती है. हड्डियों की सेहत किसी भी उम्र में सुधारी जा सकती है. इंसान के जीवन में 8 साल की उम्र तक 200-800 एमजी,