बारिश के मौसम में इन्फेक्शन का होना आम बात है, क्योंकि इस मौसम में उमस और मौइस्चर के कारण संक्रमण जल्दी फैलता है. इस के चलते छोटी समस्या भी बड़ी बन जाती है.

इस मौसम में कान में इन्फेक्शन बहुत जल्दी होता है. इस में हमें असहनीय दर्द होता है. ऐसा नहीं हैं कि यह परेशानी सिर्फ बच्चों को ही होती है, बल्कि बड़ों को भी हो सकती है.

कुछ लोग कान के दर्द को या तो नजरअंदाज कर देते हैं या फिर घरेलू उपचार करने लग जाते हैं, जो आगे चल कर एक बड़ी परेशानी को जन्म देता है, इसलिए दर्द को नजरअंदाज करने के बजाय जरूरी है कि आप को उस का कारण पता हो, जिस से आप समय पर सही उपचार कर सकें.

कान में दर्द के कारण

  • औटोमीकोसिस : बारिश के मौसम में फंगल इन्फेक्शन हो जाता है. यह उमस के कारण होता है. इस के मरीज को सीधे कूलर के सामने नहीं सोना चाहिए.

यूस्टेचियन ट्यूब का बंद होना : कान, नाक व गला एक नली द्वारा एकदूसरे से जुड़े होते हैं. इसी कारण गले व नाक में होने वाली बीमारी साइनस और टौंसिल जैसी समस्या मध्य कान को प्रभावित करती है, जिस से कान में सूजन आ जाती है और यूस्टेचियन ट्यूब बंद हो जाती है. इस वजह से कान में तरल पदार्थ यानी मवाद बन जाता है और धीरेधीरे यह कान के परदे को नुकसान पहुंचाता है.

  • वैक्स जमा होना : जिन लोगों की तैलीय त्वचा होती है, उन को वैक्स यानी मैल जमा होने की परेशानी ज्यादा होती है. वैक्स नाखून की तरह बढ़ता है. जो साफ करने के कुछ दिनों बाद ही दोबारा बनने लगता है.

ज्यादा समय तक वैक्स के जमा हो जाने से वह सख्त हो जाता है और कैनाल को ब्लौक कर देता है. इस वजह से कान में दर्द व कम सुनाई देने लगता है.

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