साल 2013 में हौलीवुड की मशहूर अभिनेत्री और औस्कर विजेता एंजेलिना जौली ने एक अलग ही स्टंट किया है. वैसे तो वह हमेशा से ही प्रसिद्धि के शिखर पर रही है लेकिन ब्रैस्ट निकालने का औपरेशन करवाने के बाद तो वह और भी चर्चा में आ गई है. मगर यह प्रसिद्धि एकतरफा नहीं है. कोई इसे स्टंट कहता है, तो कोई फैड. कुछ भी हो, उस ने दुनियाभर में ब्रैस्ट कैंसर से लड़ने वाली महिलाओं को एक नई राह दिखाई है.
देशदुनिया की मीडिया और फैंस उस समय आश्चर्यचकित रह गए थे जब जौली ने अपने ब्रैस्ट सर्जरी के फैसले से सब को वाकिफ कराया. दरअसल, डाक्टरों के मुताबिक जौली को कैंसर होने का 87 प्रतिशत खतरा था. ऐसे में इस ब्रैस्ट सर्जरी की बदौलत कैंसर का खतरा मात्र 5 प्रतिशत रह गया है. जौली कहती है कि इस औपरेशन के बाद उस के महिलापन में कोई कमी नहीं आई है. उलटा अब वह इस साहसिक फैसले से मिली शक्ति की बदौलत पहले से ज्यादा मजबूती से अपने बच्चों को मातृत्व सुख दे सकेगी.
गौरतलब है कि जौली को ब्रैस्ट सर्जरी तथा फिर उन के पुनर्निर्माण की सर्जरी में 3 माह का वक्त लगा. इस पूरी प्रक्रिया का सामना जिस अदम्य साहस के साथ जौली ने किया वह दुनियाभर की औरतों के लिए प्रेरणास्पद है.
विश्वभर में हर 3 मिनट में एक महिला के स्तन कैंसर का निदान होता है. यानी हर साल लगभग 1 करोड़ महिलाओं को यह कैंसर होता है. भारतीय महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर की बीमारी तो डेंगू व मलेरिया सरीखी एक आम बात हो गई है. भारत के शहरी क्षेत्र में हर 16 महिलाओं के पीछे 1 महिला को ब्रैस्ट कैंसर है. अमेरिका में यह तादाद 8 महिलाओं के पीछे 1 है.
कैंसर की बीमारी शहर वालों को होती है, ऐसा कहा जाता है. ब्रैस्ट कैंसर के बारे में यह सच भी है. क्योंकि भारत के ग्रामीण क्षेत्र में ब्रैस्ट कैंसर का प्रमाण 40 महिलाओं के पीछे केवल 1 है. यह बीमारी बहुत डरावनी है यह सोच कर भयभीत होने से अच्छा है ब्रैस्ट कैंसर का समय पर इलाज कराया जाए. महिलाओं के स्तन में जो गांठें होती हैं वे सभी क्षति पहुंचाने वाली नहीं होती हैं. इन्हीं गांठों में कभीकभी तकलीफ होती है तो उस का इलाज कराया जाता है. कभीकभी यह तकलीफ कैंसर का संकेत होती है. ब्रैस्ट कैंसरग्रस्त महिलाओं में से केवल 25 प्रतिशत महिलाओं की मृत्यु होती है. समय पर इलाज कराने से 95 प्रतिशत महिलाएं फिर से स्वस्थ जिंदगी जी सकती हैं.
स्तन कैंसर के लक्षण
- शुरू में ब्रैस्ट कैंसर के कोई विशेष लक्षण नहीं दिखाई देते हैं लेकिन गांठ का आकार बढ़ने के साथसाथ स्तन का आकार भी बदलने लगता है.
- स्तन पर गोलाई से हाथ घुमाने से हाथ से ही गांठ महसूस होने लगती है.
- बगल में भी गांठ या सूजन महसूस होती है.
- स्तन का आकार बदलता है.
- स्तन में गड्ढा होता है और झुर्रियां पड़ती हैं.
- निप्पल से खूनमिश्रित मवाद निकलता है.
- स्तन और उस के निप्पल के आसपास लाली आती है, चकत्ते और सूजन भी आती है.
कभीकभी ये लक्षण कैंसर के न हो कर अन्य कारणों से भी उभरते हैं. ऐसे में डाक्टरों की सलाह लेनी चाहिए.
कैसे होता है स्तन कैंसर
शहरी लाइफस्टाइल स्तन कैंसर की प्रमुख वजह है. देखा जाए तो इस की वजह लाइफस्टाइल से ही जुड़ी हुई है.
- तनाव, जंकफूड और मोटापा.
- कैरियर की वजह से देर से शादी, 30 वर्ष की उम्र के बाद बच्चा जनना.
- 30 वर्ष के अंदर की उम्र में बच्चा हो कर भी मां दुधमुंहे बच्चे को दूध नहीं पिलाती है. उस की वजह से हार्मोंस में बाधा आती है और ब्रैस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
- परिवार में अगर कैंसर की पैतृक परंपरा हो तो कैंसर की संभावना बढ़ती है.
- हार्मोनल दवाएं और नशीले पदार्थों का सेवन.
सुडौल वक्ष स्त्री के सौंदर्य का हिस्सा होते हैं. एक बार स्तन कैंसर होने के बाद महिलाओं को अपना जीवन समाप्त हुआ प्रतीत होता है. अगर उन में से कोई भाग निकालने की नौबत आती है तो महिलाओं में हीनभावना पनपने लगती है.
सामान्यतया स्तन कैंसर के 40 वर्ष की आयु के बाद होने की संभावना अधिक होती है. लेकिन यह बीमारी युवावस्था में होती है तो युवतियों को जैसे उन की जिंदगी खत्म हो गई, ऐसा एहसास होने लगता है. इस के लिए प्लास्टिक सर्जरी बेहतर विकल्प है.
केमोथेरैपी के बाद 100 प्रतिशत महिलाओं को मातृत्व सुख नहीं मिलता है, यह गलतफहमी है. यह समस्या स्त्री के आंतरिक सामर्थ्य और शारीरिक रचना पर निर्भर होती है. केमोथैरेपी के बाद करीब 20 प्रतिशत महिलाओं को ही इन्फर्टिलिटी की समस्या आती है.
बीमारी और मां होने का परस्पर संबंध क्या होता है, यह सवाल मन में उठना लाजिमी है. जाहिर है कि मां होने के कार्यकाल में इस्ट्रोजन हार्मोंस का निर्माण बंद हो जाता है. 9 महीने का प्रसूति काल और उस के बाद के स्तनपान के समय में इस्ट्रोजन हार्मोन का बनना बंद हो जाता है. यानी कि महिला अगर 2 बार प्रसूति हुई (पहली बार 25 वर्ष के अंदर और दूसरी 30 वर्ष के अंदर) तो 3 साल इस्ट्रोजन का निर्माण बंद रहता है. इस कारण ब्रैस्ट कैंसर की संभावना खत्म हो जाती है. आजकल माहवारी जल्दी आना, देर से मेनोपौज होना, बच्चे नहीं होने देना आदि के चलते स्तन और गर्भाशय पर इस्ट्रोजन के असर से कैंसर होने की संभावना बढ़ रही है.
एंजेलिना जौली एक सैलिब्रिटी है. इस कारण उस ने ब्रैस्ट निकालने का स्टंट किया है, ऐसा कहा जा रहा है, लेकिन यह बात सर्वथा गलत है क्योंकि अगर वह सैलिब्रिटी है तो उस की खूबसूरती को चारचांद लगाने वाले सुडौल वक्षस्थल की उसे सब से ज्यादा जरूरत है. उस के तो जीन में ही इस बीमारी के लक्षण हैं, उसे आगे यह बीमारी हो सकती थी. इसलिए उस ने यह साहसपूर्ण कदम उठा कर पूरी दुनिया के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया है.