भारतीय हौकी प्रेमियों ने ऐसा मंजर वर्षों बाद देखा जब टीम के हर मूव पर दर्शकों से खचाखच भरे स्टेडियम में ‘इंडिया इंडिया’ के नारे लगाए जा रहे थे. कोई तिरंगा लहरा रहा था तो कोई खुशी से झूम रहा था. ऐसा अकसर क्रिकेट मैचों में देखने को मिलता है. लेकिन इस बार मौका था जूनियर हौकी विश्व प्रतियोगिता के फाइनल मैच का.

जीत के अवश्मेघी रथ पर सवार भारतीय टीम ने 15 साल बाद हौकी का खिताब बेल्जियम को 2-1 से हरा कर जीत लिया. इस से पहले वर्ष 2001 में आस्ट्रेलिया के होबर्ट में भारतीय टीम ने अर्जेंटीना को 6-1 से हरा कर जूनियर वर्ल्ड कप जीता था.

इतने वर्षों बाद यह खिताबी जीत वाकई उम्मीद जगाने वाली है. देश के लिए यह जीत कई माने में खास रही. कई ऐसे प्रतिभावान खिलाड़ी उभर कर निकले हैं जो भविष्य में लंबी पारी खेल सकते हैं.

जिस प्रकार युवा खिलाडि़यों ने आक्रामकता दिखाते हुए यह खिताबी जीत हासिल की है उस से युवा खिलाडि़यों को विदेशी मैदानों में इस का फायदा मिलेगा. वैसे भी, हौकी तेज गति का खेल है और इस में आक्रामक तेवर दिखाने होंगे. भारतीय जूनियर टीम को इसी शैली को बरकरार रखना होगा.

बहरहाल, ऐसा कम ही देखा गया है कि क्रिकेट के बाद किसी दूसरे खेल में दर्शकों ने इतना उत्साह दिखाया हो. पिछले कुछ समय में दूसरे खेलों के प्रति भी खेलप्रेमियों का उत्साह बढ़ा है चाहे वह कबड्डी हो, हौकी हो या फिर कुश्ती. मगर खेलप्रेमी तभी खुश होते हैं जब उन के खिलाड़ी या उन के देश के खिलाड़ी प्रदर्शन अच्छा करते हैं.

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