राजस्थान सूबे के जोधपुर जिले के फलौदी इलाके के किसान मांगीलाल10वीं तक पढ़ाई करने के बाद खेती के काम में जुट गए. 40 साल के मांगीलाल के पास 200 बीघे जमीन है. वे इस में मूंगफली, कपास, मूंग, मोठ, बाजरा, जीरा व मेथी की फसलें लेते हैं. सब से ज्यादा 60 बीघे खेत में मूंगफली की फसल की बोआई करते हैं. 10 साल पहले जब उन्होंने मूंगफली की खेती की शुरुआत की थी, तब उत्पादन कम मिलता था. मूंगफली में कीटरोग व कई दूसरी समस्याएं थीं. समस्याओं की जानकारी कर के उन्होंने अपने खेत में नवाचार अपनाए. नतीजतन अब मूंगफली सब से ज्यादा फायदेमंद फसल साबित हो रही है.

मांगीलाल ने पहले मूंगफली के अच्छे किस्म के बीज एचएनजी 10 व जीजी 20 उर्द्ध विस्तारी किस्मों की बोआई की. उन्होंने रोगी बीजों को निकाल कर स्वस्थ बीजों को बीटावेक्स से 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर के बोआई की. इस उपचार से मूंगफली में कालर राट रोग पर काबू पाया. मांगीलाल के पास बीज उपचार करने का ड्रम है, इसलिए पड़ोसी किसान भी बीज उपचार के लिए उन के पास आते हैं. मांगीलाल उन को बीज उपचार की सेवा मुहैया कराते हैं. फलौदी लोहावट इलाके में सफेद लट का प्रकोप बढ़ रहा है. इस की रोकथाम के लिए मांगीलाल ने बीजों को क्लोरोपाइरीफास 5 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार कर के राइजोबियम कल्चर की 600 ग्राम मात्रा से प्रति हेक्टेयर की दर से बीजों को उपचारित करने के बाद बोआई की. बोआई से पहले खेत में 250 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से जिप्सम का इस्तेमाल किया व 1 ट्राली गोबर की खाद और 20 किलोग्राम सुपर फास्फेट प्रति बीघा की दर से डाला. कुछ खेतों में जड़गलन से घेरे पड़ने वाली बीमारी हो गई थी. इसे खत्म करने के लिए ट्राइकोडर्मा विरिडी की ढाई किलोग्राम मात्रा को 100 किलोग्राम गोबर की खाद में 15 दिनों तक रखने के बाद प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डाला.

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