गलत तरीके से सिंचाई करने और रासायनिक उवर्रकों के अंधाधुंध इस्तेमाल की वजह से धान के खेतों से नाइट्रस आक्साइड और मीथेन गैसें निकलती हैं. ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देने में मीथेन का 15 फीसदी और नाइट्रस आक्साइड का 5 फीसदी योगदान होता है, जिसे निम्न विधि द्वारा कम किया जा सकता है:

* नाइट्रीफिकेशन व यूरियेज अवरोधक का इस्तेमाल कर के. धान की खेती में नाइट्रीफिकेशन व यूरियेज अवरोधकों से नाइट्रीफिकेशन/डीनाइट्रीफिकेशन प्रभावित होता है. इस के लिए नीमतेल, अमोनियम थायोसल्फेट, थायोयूरिया, नीमतेल लेपित यूरिया का इस्तेमाल करते हैं.

* एकीकृत पोषण प्रबंधन द्वारा टिकाऊ फसल उत्पादन के लिए एकीकृत पोषण प्रबंधन के तहत संतुलित खाद उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए.

* जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल कर के.

* कम पानी में एरोबिक धान उगाने की विधि द्वारा.

प्रजाति का चयन

जल्दी पकने वाली : नरेंद्र 80, पंत धान 12.

मध्यम समय वाली : पंत 10, पंत 4, सरजू 52, पूसा 44.

खुशबू वाली : पूसा संकर धान

10, पूसा 1121 (सुगंधा 4) बासमती, पूसा 217, पूसा बासमती 1, पूसा 1509, पूसा बासमती 6, बल्लभ बासमती 21,22, बासमती सीएसआर 30.

संकर धान : पंत संकर 1, नरेंद्र संकर 2, प्रोएग्रो 6111, संकर धान 3, प्रोएग्रो 6201, प्रोएग्रो 6444.

बीज दर : धान की प्रजाति के मुताबिक बीज की दर तय की जाती है. सामान्य प्रजाति के लिए 30-35 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, खुशबूदार प्रजाति के लिए 25-30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर व संकर प्रजाति के लिए 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की जरूरत पड़ती है.

बीज उपचार : 2 फीसदी साधारण नमक के घोल में बीज डालने पर पतले व हलके बीज पानी की ऊपरी सतह पर तैरने लगते हैं, जबकि स्वस्थ बीज नीचे बैठ जाते हैं. स्वस्थ बीजों को 2-3 बार साफ पानी से धोएं. 25 किलोग्राम बीजों के लिए 19 ग्राम एमईएमसी 3 फीसदी और 15 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या 40 ग्राम प्लांटोमारलीन को 45 लीटर पानी में मिलाएं और इस घोल में बीजों को रात भर भिगोएं. जीवाणु झुलसा से बचाव के लिए 3 ग्राम थीरम या 2 ग्राम कार्बंडाजिम से प्रति किलोग्राम की दर से बीजों को उपचारित करने के बाद छाया में गीले बोरे में 24-36 घंटे तक रखें और जमाव होने के बाद पौधशाला में डालें. उर्वरक प्रबंधन : अच्छी पैदावार के लिए 50 फीसदी रासायनिक खाद, 25 फीसदी कंपोस्ट हरी खाद व 25 फीसदी जैव उर्वरक इस्तेमाल करना चाहिए. कंपोस्ट खाद खेत की आखिरी जुताई के समय डालें. रासायनिक खादों में नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस, पोटाश व जिंक की पूरी मात्रा रोपाई के वक्त डालें.  बाकी नाइट्रोजन 2 बार में डालें. जैविक उर्वरक व हरी खाद का सही तरीके से इस्तेमाल करने पर नाइट्रोजन की मात्रा 50-55 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर कम कर देनी चाहिए.

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