आम भारत की खास फसल है. भारत के अलावा आम पाकिस्तान, अमेरिका, फिलीपींस, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण अफ्रीका, जांबिया, माले, ब्राजील, पेरू, केन्या, जमायिका, तंजानिया, मेडागास्कर, जायरे, हैती, आईवरी कोस्ट, थाईलैंड, इंडोनेशिया व श्रीलंका आदि देशों में भी उगाया जाता है. भारत में आम उगाने वाले इलाकों में सब से ज्यादा रकबा उत्तर प्रदेश में है. आम की सब से ज्यादा पैदावार आंध्र प्रदेश में होती है. आम गरम व कम ठंडी आबोहवा में पैदा होता है. यह 4.4 से 43.4 डिगरी सेंटीग्रेड तापमान वाले इलाकों में उगता है, लेकिन 24.4 से 26.4 डिगरी सेंटीग्रेड तापमान वाला इलाका इस के लिए सब से अच्छा माना गया है.

आम नम व सूखी दोनों प्रकार की जलवायु में उगता है. लेकिन जिन इलाकों में जून से सितंबर तक अच्छी बारिश होती है व बाकी महीने सूखे रहते हैं वहां आम की फसल अच्छी होती है. आकर्षक रंग, स्वाद व सुगंध वाले इस फल में विटामिन ए व बी काफी मात्रा में होते हैं. आम का इस्तेमाल फल की हर अवस्था में किया जाता है. कच्चा आम चटनी, अचार व कई तरह के पेय बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इस के अलावा इस से कई तरह के शरबत, जैम, जैली व सीरप वगैरह बनाए जाते हैं. गरम व सूखी आबोहवा में उगने वाले आम के पेड़ों व फलों को रोगों से बचाना बहुत जरूरी है. आम में लगने वाली खास बीमारियों व उन की रोकथाम के बारे में यहां बताया जा रहा है:

सफेद चूर्णिल आसिता : गरम व नम आबोहवा और ठंडी रातों में यह बीमारी ज्यादा लगती है. बौरों और नई पत्तियों पर सफेद या सफेद चूर्णिल वृद्धि दिखाई पड़ती है. बीमारी पेड़ के ऊपर से शुरू हो कर नीचे की ओर फूल, नई पत्तियों और पतली शाखाओं पर फैल जाती है. इस से पेड़ की बढ़वार रुक जाती है. फूल और पत्तियां गिर जाती हैं. यदि बीमारी लगने से पहले फल लग गए हों तो वे कच्ची अवस्था में ही गिर जाते हैं. यह बहुत ही नुकसानदायक बीमारी है, जो कभीकभी पूरी फसल को बरबाद कर देती है. इस की वजह से फूलों की संख्या में भारी कमी आ जाती है.

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