उत्तर प्रदेश अधिकतर सभी राज्य एक या 2 मसाले उगाते हैं. लेकिन मुख्य मसाला उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, केरल, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडि़शा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश महत्त्वपूर्ण मसाला उत्पादक क्षेत्र है. यहां पर धनिया, अदरक, मेथी, हलदी प्रमुखता से उगाई जाती है. पिछले कुछ सालों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मसालों की पैदावार और क्षेत्रफल में काफी बढ़ोतरी हुई है,

जो कि क्रमश: 3.6 और 5.6 फीसदी है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मेरठ, आगरा, बरेली और मुरादाबाद मंडलों में हलदी, सूखी मिर्च, धनिया, अदरक, लहसुन, मेथी और सौंफ की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इन सभी मसालों की इस क्षेत्र में काफी मांग होते हुए भी इन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बहुत कम है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में वैसे तो मसाला फसलों को उगाने के लिए भौगोलिक संसाधन भरपूर हैं, पर उत्पादकता में गिरे हुए स्तर को सुधारने में ये बाधाएं सामने आती हैं :

* भौगोलिक अनुकूलता के अनुरूप उन्नतशील प्रजातियों की कमी.

* परिष्कृत उत्पादन तकनीकों का न होना.

* मसाला उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर प्रचारप्रसार न होना.

* मसाला उत्पादन के लिए सामाजिक कुरीतियों का होना. भविष्य व विस्तार उत्तर प्रदेश में मसाले की खेती की संभावनाएं हैं, क्योंकि यहां पर इस के उत्पादन के अनुकूल सभी कारक मौजूद हैं, जिस से इस का भविष्य उज्ज्वल है,

जिन में मुख्य कारक निम्न हैं : अच्छे किस्म के बीज उत्पादन उत्तर प्रदेश की अनुकूलता के लिए मसाले वाली फसलों की अच्छी किस्मों का विकास किया जा चुका है, जिस से अधिक उत्पादन व अच्छी गुणवत्ता के बीज तैयार कर मसालों की औद्योगिक रूप से फसल पैदा की जा सकती है. विशेष पैकिंग द्वारा अधिकतर मसाले जल्दी खराब होने वाले होते हैं और उन की गुणवत्ता के लिए विशेष पैकिंग की आवश्यकता होती है. पैकिंग द्वारा हम अच्छा मूल्य प्राप्त कर सकते हैं.

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