तमाम तिल उगाने वाले देशों में भारत का नाम सब से ऊपर है. भारत के राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक सूबों में बड़े पैमाने पर तिल बोया जाता है. भारत में सभी मौसमों में तिल लगाया जाता है. दुनिया में तिल की मांग तेजी से बढ़ रही है. तिल में सेहत सुधारने के सभी गुण मौजूद हैं. इस में उच्च गुणवत्ता का प्रोटीन व जरूरी अमीनो अम्ल मौजूद होते हैं, जो बुढ़ापा रोकने में मददगार होते हैं. तिल के तेल को तेलों की रानी कहा जाता है, क्योंकि इस में त्वचा निखारने और खूबसूरती बढ़ाने के गुण मौजूद होते हैं. तिल की फसल में भी कई रोग व कीट लग जाते हैं, जिस से इस के उत्पादन व गुणवत्ता पर काफी असर पड़ता है.

तिल के खास रोग

फाइटोफ्थोरा अंगमारी : यह रोग ‘फाइटोफ्थोरा पैरासिटिका’ नामक फफूंद से होता है. सभी आयु के पौधों पर इस रोग का हमला हो सकता है, पर पुष्प अवस्था तक पौधे इस की ज्यादा चपेट में आते हैं. शुरू में यह रोग जमीन की सतह के साथ पौधों के तनों पर नम काले दागों के रूप में दिखाई पड़ता है. इस से तनों पर काली धारियां बन जाती हैं. रोग ज्यादा फैलने से पौधों की मौत हो जाती है.

इलाज

* एक खेत में लगातार तिल की बोआई न करें.

* बोआई के लिए अच्छी, रोग रहित व रोगरोधी किस्म का चुनाव करना चाहिए.

* संक्रमण रोकने के लिए बोआई से पहले 0.3 फीसदी थीरम, केप्टान या रिडोमिल से बीजोपचार करें.

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