फसल बोने से ले कर पैदावार लेने तक किसानों को तमाम परेशानियों से जूझना पड़ता है. चाहे बिजलीपानी की समस्या हो या फसल में कीटबीमारी लगने या फिर मौसम की मार, तो कभी सूखा या कभी बाढ़. जंगली जानवरों से भी फसल को बचाना पड़ता है. ऐसे कई इलाके हैं, जहां जंगली जानवर फसल को रौंद कर खराब कर देते हैं. ये जंगली जानवर झुंड में आते हैं और खड़ी फसल को बरबाद कर जाते हैं. कुछ खाते हैं, तो कुछ बिगाड़ जाते हैं. इन में नीलगाय, जंगली सूअर, बंदर, हाथी जैसे अनेक जंगली जानवर हैं, जिन से फसल बचाव के लिए किसानों को अनेक तरीके अपनाने पड़ते हैं. ऐसे तरीकों में खेत के चारों तरफ कंटीले तार लगाना, झाडि़यां लगाना, गड्ढे खोदना या दीवार बनाना खास हैं. इन तरीकों से कुछ राहत तो मिलती है, लेकिन ये पूरी तरह से कारगर नहीं हैं. ऐसे में खेतों के चारों तरफ सोलर पावर फैंसिंग लगाना अच्छा उपाय है. यह किफायती और सुरक्षित भी है, क्योंकि पावर फैंसिंग से जानवरों को केवल तेज झटका लगता है. इस में जानवरों के मरने का कोई खतरा नहीं है. सोलर फैंसिंग के लिए खेतों के चारों ओर खंभे लगाए जाते हैं, इन पर तारों की बाड़ लगाई जाती है, जो अनेक लाइनों में हो सकती है. जानवरों की ऊंचाई के हिसाब से भी बाड़ लगाई जाती है. जैसे नीलगाय व सूअर के लिए 5 तार लगाए जाते हैं. सोलर पावर फैंसिंग में सोलर प्लेट लगाई जाती है, जिस से बैटरी चार्ज होती है. बैटरी को पावर फेज कंट्रोलर से जोड़ा जाता है. फिर उस के द्वारा तारों में डीसी करेंट छोड़ा जाता है, जो कि बहुत ही कम समय के लिए आताजाता रहता है. तार के संपर्क में आने पर जानवरों को तेज झटका लगता है और वे डर कर वहां से भाग जाते हैं. जानवर इस करंट से मरते नहीं हैं.

एक बार बैटरी चार्ज होने पर 48 घंटे तक मशीन चालू रहती है. इसलिए कभीकभार मौसम खराब होने पर सूरज की रोशनी सौर पैनल पर नहीं पहुंच पाती है, तो भी कोई समस्या नहीं है. दिन में ज्यादातर किसान खेतों की खुद ही देखरेख कर सकते हैं और रात के समय सोलर पावर मशीन को चालू कर सकते हैं.

चूंकि मशीन 1 बार चार्ज होने पर 48 घंटे तक चलती है, तो उसे आप 4 रातों तक इस्तेमाल कर सकते हैं. बैटरी लगभग 2 साल तक चलती है, जो 12 वोल्ट की होती है. अगर किफायत से चलाई जाए, तो ज्यादा भी चल सकेगी. उस के बाद बैटरी बदलने का खर्च भी महज 700-800 रुपए ही आता है.

सोलर यूनिक सोल्यूशन

सोलर पावर फैंसिंग के बारे में अधिक जानकारी लेने के लिए सोलर यूनिकसोल्यूशन, वर्धा, महाराष्ट्र के आशीष कुमार से बात की. उन्होंने बताया कि वे 1 फुट से 6 फुट की ऊंचाई तक के जानवरों से फसल सुरक्षा के लिए फैंसिंग करते?हैं. जिस इलाके में जैसे जानवरों का खतरा होता है, उसी ऊंचाई के हिसाब से सोलर फैंसिंग की जाती है. बाड़ लगाते समय वे सिल्वर के मजबूत तारों का इस्तेमाल करते हैं, जो जल्दी से टूटते नहीं और 10-15 सालों तक आसानी से चलते हैं. वे 12 वोल्ट की टाटा कंपनी की बैटरी और 20 वाट से 100 वाट तक का सोलर पैनल इस्तेमाल करते हैं. इन्हें फैंसिंग के अनुसार लगाया जाता है. वे ज्यादातर ऐनरगाइजर ई 100 का इस्तेमाल करते हैं. फैंसिंग करने के लिए लकड़ी या सीमेंट के खंभे लगाए जाते हैं. खंभे 1 से 2 फुट की गहराई में खोद कर लगाए जाते हैं. इन खंभों के सहारे ही तारों को बाड़ के रूप में लगाया जाता है.

आशीष कुमार ने बताया कि उन की कंपनी द्वारा लगाई गई सोलर पावर फैंसिंग का खर्चा 1 एकड़ खेत का तकरीबन 1 लाख रुपए, 5 एकड़ खेत का 2 लाख रुपए और 10 एकड़ खेत का 3 लाख रुपए आता है. सोलर का 1 यूनिट 20 से 25 एकड़ तक का एरिया कवर कर सकता है. सोलर फैंसिंग लगाना बहुत ही आसान है और यह लंबे समय तक चलने वाला सिस्टम है. किसान खुद भी फैंसिंग तार लगा सकते हैं. इस बारे में कंपनी के लोग किसानों को जानकारी दे कर अच्छी तरह समझा देते हैं. सोलर पावर सिस्टम लगवाने या अधिक जानकारी के लिए आशीष कुमार के मोबाइल नंबर 08055159047 पर बात कर सकते है. 

 

 

 

 

खास बातें

* अगर कोई चोर या जानवर खेत में बारबार घुसने की कोशिश करेगा, तो उस में लगा अलार्म भी बजेगा. इसे सुन कर किसान तुरंत चौकन्ना हो जाएगा. * लगाई गई फैंसिंग के नीचे उगे पेड़पौधों को काटते रहें, नहीं तो उन के छूने से भी बारबार अलार्म बजेगा और बैटरी जल्दी डिस्चार्ज हो जाएगी.

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