भारत दुनिया में सब से ज्यादा पपीता उगाने वाला देश है. देश में पपीते की खेती करीब 73.7 हेक्टेयर रकबे में होती है और उत्पादन 25.90 लाख टन है. पपीते के पेड़ों में कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं. एक बार पेड़ पर कीटों का आक्रमण होने पर बीमारियां होने लगती हैं. मौसम में नमी के ज्यादा व कम होने से कई बीमारियों का असर बढ़ जाता है. पपीते के पेड़ को ज्यादा नमी नुकसान पहुंचाती है व मिट्टी या मौसम में नमी बढ़ने से पेड़ रोगों का शिकार होने लगता है. 

आक का टिड्डा

ये कीड़े पीले रंग के होते हैं. इन के सिर व वक्ष पर नीलेहरे रंग की और पेट पर नीचे काले रंग की चौड़ाई में धारियां पाई जाती हैं. टिड्डे की 2 पीढि़यां होती हैं, जिन में एक कम समय की और दूसरी ज्यादा समय वाली पाई जाती  हैं. कम समय वाली पीढ़ी जून से अगस्त तक पाई जाती है. इस में अंडे 1 महीने बाद ही फूट जाते हैं और बच्चे 2 महीने में ही पूरी तरह बड़े हो जाते हैं. ज्यादा समय वाली पीढ़ी में मादा सितंबर महीने में अंडे देती है, जो निष्क्रिय अवस्था में मार्च तक पड़े रहते हैं. ये मार्च के आखिर तक या अप्रैल के शुरू में फूटते हैं. इन से जो बच्चे निकलते हैं, वे ढाई महीने में पूरी तरह बड़े हो जाते हैं और संगम शुरू कर देते हैं. इन का मैथुन लगभग 5 से 7 घंटे तक चलता है. मैथुन के 25 से 30 दिनों बाद मादा अंडे देती है. ये अंडे जमीन के नीचे 18 से 20 सेंटीमीटर की गहराई पर 145 से 170 तक के समूहों में देते हैं. ये समूह चक्र के रूप में होते हैं और आपस में चिपकने वाले स्राव से जुड़े रहते हैं.

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