फसल को खेतखलिहान में दीमक से महफूज रखने और पैदावार को नुकसान से बचाने के लिए राजस्थान के सीकर जिले की एक महिला किसान भगवती देवी की देसी विधि कारगर साबित हुई है. यह विधि दूसरे किसान भी अपने खेतों में अपना कर दीमक से होेने वाले नुकसान से बच सकते हैं.

जयपुर में किसानों की एक गोष्ठी में भाग लेने आई भगवती देवी ने बताया, ‘सीकर जिले के दांता में मेरा खेत है. मेरे पति सुंडाराम खेती के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किसान हैं. उन के साथ रह कर मुझे भी बहुतकुछ सीखने, समझने और करने का मौका मिला है. खेतों में दीमक की समस्या आम बात है. मेरे खेत में भी यह समस्या थी, लेकिन अब नहीं है.

‘गांवों में जलाने के लिए खेतों व जंगलों से लकडि़यां इकट्ठा की जाती हैं. मैं भी जलाने के लिए लकडि़यां लाती थी. एक दिन मैं ने देखा कि जलाने के लिए जमा की गई बबूल, खेजड़ी, बेर, आड़ू, शीशम व यूकलिप्टस आदि की लकडि़यों में से यूकलिप्टस की लकड़ी में  दीमकें लगी हुई थीं और वह भी बहुत ज्यादा तादाद में. यह देख कर मेरे दिमाग में खयाल आया कि अगर यूकलिप्टस की लकडि़यों के टुकड़े खेत में खड़ी फसलों के आसपास डाल दिए जाएं, तो फसल में लगने वाली दीमक से फसल को बचाया जा सकता है.

‘मैं ने इस बारे में अपने पति से सलाहमशविरा किया और प्रयोग के तौर पर अपने खेत में खड़ी बाजरे की फसल के पास यूकलिप्टस (जिसे बोलचाल की जबान में सफेदा कहते हैं) की लकड़ी के छोटेछोटे टुकड़े कुछकुछ दूरी पर रख दिए. कुछ दिनों बाद मैं ने देखा कि डाले गए लकड़ी के टुकड़ों में काफी तादाद में दीमकें लगी हुई थीं और फसल दीमकों से बची हुई थी.

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