आलू की खेती करने के लिए बोआई से ले कर निराईगुड़ाई, मिट्टी चढ़ाने व आलू की खुदाई तक के कामों के लिए अनेक मशीनें बाजार में मौजूद हैं, जो आलू किसानों का खेती का काम आसान कर रही हैं. लेकिन मौजूदा समय में आलू की ग्रेडिंग यानी छंटाई करने वाली मशीनें न के बराबर हैं. इसी समस्या का समाधान किया है महावीर जांगड़ा ने, जो पिछले कुछ अरसे से इस मशीन को बनाने में जुटे थे. उन की मेहनत रंग लाई और उन की बनाई आलू छंटाई मशीन अब पूरी तरह तैयार है. महावीर जांगडा इस से पहले भी अनेक कृषि यंत्र बना चुके हैं. उन के बनाए यंत्रों में जड़ वाली सब्जी की धुलाई मशीन, बैड प्लांटर व मल्टी क्रौप बीजाई मशीन, स्प्रे पंप, फल ग्रेडिंग मशीनें खास हैं. अपने बनाए यंत्रों के बारे में और ज्यादा जानकारी देते हुए महावीर जांगड़ा ने बताया, ‘कृषि यंत्रों से मेरा लगाव बचपन से ही रहा?है. जब मैं छठी क्लास में था, तभी से मैं छोटेमोटे कृषि के औजार बनाने लगा था. साल 1988 में मैं बैलगाड़ी बनाने और थ्रैसर रिपेयरिंग जैसे काम भी करने लगा था.

‘साल 1990 में मैं ने 500 लीटर व 1100 लीटर के स्प्रे पंप बनाए. उसी दौरान हमारे गांव बाडोपट्टी व बहबलपुर में गाजर की खेती होने लगी. तब मैं ने गाजर, अरबी व अदरक धोने की छोटी मशीन बनाई, जिसे आसपास के लोगों ने काफी पसंद किया. उस की सफलता को देखते हुए मैं ने ट्रैक्टर के साथ चलने वाली गाजर धोने वाली मशीन बनाई, जो आज काफी पसंद की जा रही है. ‘इसी तरह सिलसिला आगे बढ़ता रहा और मैं अनेक मशीनें बनाने की दिशा में काम करने लगा. मेरे बनाए कृषि यंत्रों पर सरकार द्वारा सब्सिडी भी मिलने लगी और मैं ने अमन विश्वकर्मा इंजीनियरिंग वर्क्स के नाम से अपने कृषि यंत्रों को विस्तार दिया. ‘अभी हाल ही में मैं ने आलू की छंटाई करने वाली मशीन बनाई है. आलू की खुदाई के बाद उन की छंटाई करना भी जरूरी होता है. बीज के लिए अलग, बाजार के लिए अलग, स्टोरेज के लिए अलग आलू की छंटाई करनी होती है. मजदूरों द्वारा छंटाई करने पर ज्यादा समय लगता है. अगर हम आलू के ढेर को ज्यादा समय तक खेत में खुला छोड़ देंगे तो उन पर सूरज की रोशनी पड़ने से वे हरे हो जाते हैं. इसलिए आलू के ढेर को कपड़े, टाट या बोरी से ढेर को ढक देना चाहिए, जिस से हवा तो पास हो लेकिन धूप न लगे. हवा लगने के बाद जब आलू की मिट्टी सूख जाए तो उन की छंटाई करनी चाहिए. बड़े, मध्यम व छोटे आलू को बाजार भेज दिया जाता है. बीज के लिए मध्यम आकार के आलू ठीक रहते हैं. उन्हें अगले साल के बीज के लिए रख लिया जाता है.

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