जालिम नीलगायों के आतंक से परेशान उत्तर बिहार के कई इलाकों में किसान हजारों एकड़ खेतों में खेती नहीं कर पा रहे हैं. उन की मेहनत और पूंजी को एक झटके में नीलगायें चर जाती हैं और किसानों के सामने सिर पीटने के अलावा और कोई चारा नहीं रह जाता है. बिहार में हर साल नीलगायें किसानों को करीब 600 करोड़ रुपए की चपत लगा देती हैं. उन के खौफ की वजह से पिछले साल करीब 25 हजार हेक्टेयर खेत खाली रह गए. राज्य के पटना, भोजपुर, बक्सर, रोहतास, औरंगाबाद, सिवान, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली, सारण, बेगूसराय और मधुबनी में नीलगायें और जंगली सूअर करीब 21 हजार टन अनाज गटक जाते हैं, जिस से किसानों को हर साल 600 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

उत्तर बिहार के गंगा और सोन नदी के तटीय इलाकों में नीलगायों के आतंक से किसान परेशान और खेती तबाह है. खेतों में झुंड की झुंड नीलगायें घूमती रहती हैं और कई एकड़ में लगी फसलों को चट कर जाती हैं. मोतिहारी जिले के पिपरा गांव के किसान अजय राय कहते हैं कि उन्होंने अरहर की खेती के लिए कर्ज ले कर बीज, खाद से ले कर सिंचाई तक का इंतजाम किया था, लेकिन उन की सारी फसल को नीलगायें चट कर गईं. अब महाजन का कर्ज चुकान बहुत बड़ी समस्या बन गई है. मोतिहारी के तुरकौलिया, पीपरा, कोटवा, हरसिद्धि सहित कई प्रखंडों में नीलगायों के उत्पात ने खेती और किसानों को तबाह कर दिया है. नीलगायों के आतंक की वजह से गंगा और सोन नदी के तटीय इलाकों की करीब 70 हजार एकड़ जमीन पर किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं. लहलहाती फसलों को नीलगायें पलक झपकते ही खा जाती हैं और किसान अपनी मेहनत और पूंजी के लुटने का तमाशा देखते रह जाते हैं.

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