पहाड़ में पैदा होने वाली मूली भी मैदानी मूली की ही तरह खाद्य जड़ों वाली सब्जी है, जो कि क्रूसीफैरी परिवार की सदस्य है. मूली इतनी आसानी से पैदा होने और फैलने वाली फसल है कि यह न तो अधिक देखभाल मांगती है और न ही बहुत अधिक खाद आदि.  पहाड़ी मूली तकरीबन 2 किलो से 3 किलो वजन की होती है

दरअसल, यह एक जल्दी उगने वाली और सदाबहार फसल है. इस की जड़ें विभिन्न रंगों जैसे सफेद से लाल और हलके भूरे रंग की होती हैं.

पहाड़ी क्षेत्र में कुमाऊं मंडल, गढ़वाल, हिमाचल प्रदेश आदि मुख्य मूली उत्पादक राज्य हैं. पहाड़ की मूली के लिए अगस्त महीने का समय खेत तैयार कर के उत्पादन के लिए सही है.

पिछले कुछ सालों से पहाड़ में मूली की खूब पैदावार हो रही है. मूली की मांग हर शहर, हर गांवकसबे में सालभर बनी रहती है. वर्तमान में दूसरी फसलों की तरह मूली के दाम भी बहुत महंगे होते हैं.

मूली की खेती से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए हाईब्रिड मूली की खेती करनी चाहिए, क्योंकि हाईब्रिड मूली का बीज बोने से उन की जड़ें दूध की तरह सफेद, लंबी और चमकदार होती हैं, इसलिए आप को बीज भंडार की दुकानों पर तमाम तरह की उन्नत किस्में मिल जाएंगी.

अगर हम मूली की उन्नत किस्मों की बात करें, तो पंजाब अगेती, पंजाब सफेद, पूसा देशी, पूसा चेतकी, जौनपुरी, बांबे रैड, पूसा रेशमी, अर्का, कल्याणपुर आदि के बीज मिल जाएंगे. मूली अगर घर पर ही गमले या मोटे डब्बे में लगाने जा रहे हैं, तो अखबार की गली हुई खाद और पत्तों को मिट्टी में मिला कर एक दिन बाद बीज बोने चाहिए. गमले या टीन और गत्ते के बक्से में मूली बहुत अच्छी होती है.

गमले में मूली लगाने का न कोई सीजन होता है और न ही मौसम. कभी भी मूली का बीज लगाया जा सकता है. अगर अगस्त महीने में मूली की खेती करते हैं, तो इन दिनों मूली के बीजों की बोआई मेंड़ पर नहीं की जाती है, बल्कि इन दिनों छिटकवां विधि से बोआई करते हैं, जैसे गेहूं की बोआई की जाती है.
3-4 दिन में अंकुरण होने के तुरंत बाद हलकी सिंचाई कर देनी चाहिए. इस के अलावा अगर मूली की खड़ी फसल में खरपतवार लग जाएं, तो हाथ से निकाल दें.

मूली की बोआई के तकरीबन 30-40 दिन बाद वह मंडियों में बेचने लायक तैयार हो जाती है. इन की जड़ों को हाथ से बहुत ही आसानी से उखाड़ कर उन्हें पानी से धो कर मंडी तक ले जाया जाता है.

मूली को खेत से उखाड़ने से पहले हलकी सिंचाई कर देनी चाहिए. ऐसा करने से जड़ें टूटने से बच जाती हैं. यदि सब्जी मंडी आप के गांव के नजदीक है, तो इन्हें सुबह उखाड़ कर धोएं और यदि मंडी गांव से दूर शहर में है, तो शाम के समय ही खेत से उखाड़ कर अच्छी तरह धो कर ले जाना चाहिए.

खेत से मूली को उखाड़ने के बाद साफ पानी से धुलाई करते समय पीली और खराब पत्तियों को निकाल देना चाहिए. साथ ही, ऐसी मूली, जिन की जड़ें उखाड़ते समय टूट गई हैं, उन्हें भी निकाल देना चाहिए. इस के बाद जूट की बोरियों की झिल्ली बना कर उस में मूली को अच्छी तरह बांध कर और ऊपर से पानी डाल कर सब्जी मंडी में ले जाना चाहिए.

इस तरह से मूली की मार्केटिंग करने से जड़ें ताजी रहती हैं और इन के दाम भी अच्छे मिलते हैं, जिस से मूली की खेती से कमाई बहुत अच्छी होती है. मूली की प्रोसैसिंग कर इस का सलाद और अचार बना कर बाजार में बेच सकते हैं, जिस से उत्पादक को और भी ज्यादा मुनाफा होगा.

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