भारत में खुशबूदार औषधीय पौधों की खेती लगातार बढ़ती जा रही?है, जिस की वजह है इस की लगातार बढ़ती मांग और अच्छा मुनाफा. देश में अब किसान नई तकनीकों को अपना कर सुगंधित पौधों की खेती व्यावसायिक स्तर पर करने लगे?हैं. ऐसा ही एक सुगंधित पौधा है लवेंडर.

लवेंडर के तेल की मांग तेजी से बढ़ रही है. यह लैमियेसी कुल के लैवेंडुला वंश का पौधा है, जिस की दुनियाभर में करीब 28 प्रजातियां पाई जाती हैं. इन में से 3 प्रजातियों को खुशबूदार तेल निकालने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ये 3 प्रजातियां हैं लवेंडर अंगस्टीफोलिया या ट्रू लवेंडर, लवेंडर लैटीफोलिया या स्पाइक लवेंडर और लवेंडर इंटरमीडिया या लावेंडीन. लवेंडर इंटरमीडिया या लावेंडीन, लवेंडर अंगस्टीफोलिया व लवेंडर लैटीफोलिया से बनाई गई संकर प्रजाति है. इन तीनों प्रजातियों में से लवेंडर अंगस्टीफोलिया या ट्रू लवेंडर का तेल खुशबूदार तेलों में सब से अच्छा माना जाता?है, जबकि लवेंडर लैटीफोलिया या स्पाइक लवेंडर का तेल, ट्रू लवेंडर की तुलना में कम खुशबूदार होता है और इस की महक लवेंडर और रोजमैरी के मिश्रण जैसी होती है. लवेंडर इंटरमीडिया के तेल में अन्य दोनों प्रजातियों के गुण पाए जाते हैं और इस के तेल की गुणवत्ता ज्यादा नहीं होती है. लेकिन यह तेल ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि इस की उपज ज्यादा होती है और तेल की कीमत भी अच्छी मिल जाती है.

लवेंडर भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में पाया जाने वाला पौधा?है. यह दक्षिणी फ्रांस, इटली और बुल्गारिया की ऊंची पहाडि़यों पर जंगली अवस्था में उगा हुआ पाया जाता है. लेकिन यूरोप और अन्य कई देशों में भी इस की खेती की जाती?है. भारत में इसे कश्मीर घाटी में उगाया जा चुका है और अब हिमाचल प्रदेश और उत्तरांचल के पहाड़ी क्षेत्रों में कम वर्षा वाले इलाकों में पहाडि़यों की ढलानों पर इसे उगाया जा रहा है.

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