तपिश से भरा मई का महीना हर किसी की हालत खराब कर देता है. हर वक्त तो एसी की छांव तले रहना मुमकिन नहीं होता, लिहाजा गरमी का कहर झेलना लाजिम है. वैसे?भी हिंदुस्तान का हर घर अभी एसी के दायरे में नहीं आता. और जब बात खेती के होनहारों यानी किसानों की हो, तब तो आराम हराम होता है. किसान गरमी के थपेड़े व लपट झेलते हुए बदस्तूर अपना कर्म निभाते रहते हैं और धरती का दामन चीर कर अनाज व अन्य फसलें उगाते रहते हैं.
इस साल मार्च का मौसम खेती व किसानों को रास नहीं आया था. बिन बुलाई बरसात ने मार्च में किसानों का?भट्ठा बैठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी और मौसम की उलटपलट का आलम यह रहा कि अप्रैल में भी दबा कर गरमी पड़ी.
बहरहाल, मौसम व हालात के झमेले के बीच कर्मयोगी किसान हमेशा डटे रहते?हैं और उन के कामों का सिलसिला बदस्तूर जारी रहता?है. पेश?है मई के दौरान किए जाने वाले खेती के कामों का एक बयोरा:
* गेहूं की कटाई की मुहिम खत्म होने के बाद खाली खेतों को अगली फसल के लिहाज से तैयार करना एक खास मकसद होता है.
* गेहूं के साथसाथ जई व जौ वगैरह फसलें दे चुके खेतों की मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करें ताकि पिछली फसल के बचेखुचे हिस्से खेत की मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाएं और मिट्टी भी मुलायम हो जाए. पिछली फसल का मोटामोटा कचरा बटोर कर खेत से अलग कर देना चाहिए.
* मई की गरमी का खास फायदा यह होता?है कि इस के ताप से तमाम कीड़ेमकोड़े झुलस कर खत्म हो जाते?हैं. इसीलिए करीब 2 हफ्ते के अंतराल से खेतों की लगातार जुताई करते रहना चाहिए. ऐसा करने से गरमी व लू का असर मिट्टी में अंदर तक जाता?है और वहां मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया व फफूंदी खत्म हो जाते?हैं.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन