कृषि मंत्री राधामोहन सिंह का ऐलान
सरकार किसानों की आय दोगुनी कर के रहेगी
नई दिल्ली : वैसे तो किसानों की आय दोगुनी करने की दुहाई देने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रटारटाया फार्मूला बासी हो चला है, मगर भाजपा वाले ढिठाई से जबतब इस फार्मूले का जिक्र करने में बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाते हैं. मौजूदा केंद्र सरकार अपना आधा सफर तय कर चुकी है,मगर हालात जरा भी नहीं बदले खास कर किसानों की हालत तो कुछ ज्यादा ही खराब हो चुकी है. किसानों की आमदनी दोगुनी होना तो खैर बहुत दूर की बात है उलटे नोटबंदी के कहर ने किसानों को कहीं का नहीं छोड़ा. नोटबंदी की नौटंकी ने किसानों को पैसेपैसे के लिए मुहताज बना दिया. तमाम किसान पैसे न होने की वजह से खादबीज जैसी जरूरी चीजें तक नहीं जुटा पाए.
ऐसे घटिया मौजूदा हालात के बावजूद केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने हाल ही में एक बैठक को संबोधित करते हुए फरमाया कि केंद्र सरकार अगले 5 सालों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए कमर कसे हुए है. इस मामले में कोई चूक नहीं होने दी जाएगी. राधामोहन सिंह ने कृषि और उस से जुड़े क्षेत्र में तेजी से तरक्की के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की तारीफ करते हुए कहा कि साल 1951 से ले कर अब तक देश के खाद्यान्न उत्पादन में करीब 5 गुने, बागबानी, उत्पादन में 9.5 गुने, मछली उत्पादन में 12.5 गुने, दूध उत्पादन में 7.8 गुने और अंडा उत्पादन में 39 गुने का इजाफा हुआ है. राधामोहन सिंह ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सोसायटी की 88वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि इस संस्थान ने कठिन चुनौतियों के बावजूद 87 सालों के अपने अब तक के कार्यकाल में कई कामयाबियां हासिल की हैं. इन कामयाबियों को कृषि की तरक्की में मील का पत्थर माना जा सकता है.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि खेतीबारी में उत्पादकता और आमदनी में इजाफा दर्ज कर के संस्थान ने कमाल किया है. केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि इसी तरह खेती से जुड़े अन्य तमाम क्षेत्रों में भी आईसीएआर ने कामयाबी की बुलंदियां तय की हैं. उन्होंने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि मौजूदा सरकार 5 सालों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए मुस्तैद है. राधामोहन सिंह ने कहा कि साल 2016 में अच्छे मानसून और सरकार की मदद की वजह से इस बार देश में खाद्यान्न का रिकार्ड उत्पादन हुआ है. साल 2016-17 के लिए दूसरे अग्रिम आकलन के मुताबिक देश में कुल 27 करोड़ 19 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का अंदाजा?है. यह साल 2013-14 के रिकार्ड उत्पादन 26 करोड़ 50 लाख टन के मुकाबले करीब 70 लाख टन ज्यादा है. साल 2015-16 के मुकाबले साल 2016-17 का उत्पादन 2 करोड़ 4 लाख टन ज्यादा है.
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किसानों के कर्ज माफ करें प्रधानमंत्री : राहुल
हरदोई/उन्नाव : पिछले दिनों हरदोई के सांडी और उन्नाव के घाटमपुर मुडकटी चौराहे पर हुई सभाओं में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर रखते हुए किसानों के प्रति उन के कामों का हिसाब तलब किया. राहुल ने मोदी पर उत्तर प्रदेश की मासूम जनता को बरगलाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि किसानों के कर्ज माफ करने के लिए नरेंद्र मोदी को उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने की जरूरत नहीं है. वे यानी मोदी चाहें तो दिल्ली में रह कर भी उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश के किसानों के कर्ज माफ कर सकते हैं. यह बात हकीकत है कि प्रधानमंत्री बनने से काफी पहले से मोदी किसानों की भलाई का राग अलापते चले जा रहे हैं, मगर अब तक किसानों की भलाई वाला कोई काम किया नहीं.
देखा जाए तो राहुल गांधी की बात में काफी दम नजर आता है. प्रधानमंत्री की हैसियत से नरेंद्र मोदी चाहें तो किसानों के कर्ज भी माफ कर सकते हैं और उन्हें तमाम सहूलियतें भी दे सकते हैं. मगर यहां लालच तो उत्तर प्रदेश की सत्ता हथियाने का है, बाकी बातें तो महज चुनावी चाले हैं.
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लूट
बदमाशों ने चीनी से भरा कैंटर लूटा
गाजियाबाद/लोनी : आजकल बदमाशों और चोरडाकुओं के हौसले काफी बुलंद हो रहे हैं. कभी भी और कहीं पर भी कांड करने में उन्हें जरा भी दिक्कत नहीं होती. खास कर गाजियाबाद के इलाके तो इस मामले में सब से आगे हैं. पिछले दिनों ट्रक पर सवार सशस्त्र बदमाशों ने 8 लाख रुपए की चीनी से भरा कैंटर लूट लिया. डाका डालने वाले बदमाश कैंटर के ड्राइवर को अपने ट्रक में बंधक बना कर बागपत ले गए और बाद में एक खेत में फेंक दिया. हाल ही में हुई यह वारदात रात के वक्त एनएच 57 पर मंडोला गांव के पास हुई. चीनी से लदा कैंटर बुढ़ाना की बजाज शुगर मिल से चल कर लोनी की सीमा से सटे दिल्ली के जवाहरनगर की तरफ जा रहा था. खेत में पटके जाने के बाद पहले कैंटर चालक ने खुद को संभाला और फिर एक ईंट के भट्ठे पर पहुंच कर अपने मालिक को चीनी लूटे जाने की खबर दी.
कैंटर का मालिक ड्राइवर को भट्ठे से ले कर लोनी आया और फिर ट्रोनिका सिटी थाने पहुंच कर चोरों के खिलाफ मामला दर्ज कराया. कैंटर के मालिक व पुलिस ने ड्राइवर से डाकुओं के बारे में पूछताछ तो की, मगर हादसे से घबराया ड्राइवर कुछ खास बातें बता नहीं पाया. लोनी की गिरी मार्केट कालोनी में रहने वाले सुशील जिंदल चीनी के थोक व्यापारी हैं. उन की दिल्ली जवाहरनगर में रघुवर दयाल एंड संस के नाम से कंपनी है. सुशील जिंदल ने बताया कि वारदात वाली रात को उन का आयशर कैंटर बुढ़ाना मुजफ्फरनगर की बजाज शुगर मिल से 50 किलोग्राम के 400 कट्टे चीनी ले कर जवाहरनगर आ रहा था. इस चीनी की कीमत 8 लाख रुपए थी. गिरी मार्केट में रहने वाले कैंटर के ड्राइवर अफजाल ने बताया कि रात में 1 बज कर 20 मिनट पर जैसे ही वह चीनी से भरा कैंटर ले कर मंडोला गांव के सामने पहुंचा, तभी पीछे से एक खाली ट्रक आया और उस ने ओवर टेक कर के कैंटर रुकवा लिया.
खाली ट्रक से 8 गुंडे उतर कर अफजाल के कैंटर में आ गए. एन बदमाशों ने तमंचे और रिवाल्वर अफजाल की कनपटियों पर लगा कर उस के दोनो मोबाइल और 500 रुपए छीन लिए. इस के बाद उन्होंने अफजाल को उठा कर अपने ट्रक में डाल लिया. सुशील जिंदल ने बताया कि उन्होंने 1 साल पहले ही 17 लाख 87000 रुपए में नया कैंटर खरीदा था. केंटर में लदी चीनी की कीमत 8 लाख ऊपए थी. इस प्रकार चीनी और कैंटर सहित जिंदल को करीब 26 लाख रुपए का चूना लग गया.
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कमाल
हर पौधे में पैदा होंगे 25 किलोग्राम टमाटर
नई दिल्ली : तेजी से बढ़ती आबादी और कम होती जमीन के आलम में जरूरत भर की चीजें उगाना दिनबदिन मुश्किल होता जा रहा है. वैसे तो जमीन उतनी ही है, मगर खेतों को काट कर कालोनियां बनाने का जो सिलसिला चल रहा है, उस से खेती का रकबा लगातार घट रहा है. ऐसी हालत में यही एक मात्र रास्ता बचता है कि कम से कम जगह में ज्यादा से ज्यादा पैदावार हासिल की जाए. इसी के तहत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने टमाटर की एक ऐसी किस्म तैयार की है, जिस के 1 पौधे में 25 किलोग्राम टमाटर फलेंगे.
आईसीएआर के मुताबिक इस नई किस्म से विपरीत हालात में भी किसान हर पौधे से 20 से 25 किलोग्राम तक टमाटर पैदा कर सकेंगे. आईसीएआर के कर्नाटक में स्थित भारतीय बागबानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर) हेसरघट्टा में 3-4 उच्च उत्पादकता वाली संकर किस्मों के विकास का काम आखिरी दौर में?है. इन किस्मों को किसी भी वक्त किसानों के लिए जारी किया जा सकता है. खोजबीन में लगे वैज्ञानिक नई किस्म के टमाटर के फल का वजन 120 ग्राम तक करने की कोशिश कर रहे?हैं. साथ ही इन टमाटरों की तापमान प्रतिरोधी कूवत को बढ़ाने की भी कोशिश की जा रही?है. टमाटर की मौजूदा किस्में 30 से 35 डिगरी तक तापमान ही झेल सकती हैं, जबकि नई किस्म के टमाटर के पौधे 40 डिगरी तापमान में भी बेहतर पैदावार देंगे. इस नई किस्म को वायरस की वजह से होने वाली बीमारी ‘टास्पो’ का प्रतिरोधी भी बनाया जा रहा?है. इस नई किस्म में इसी तरह की और भी कई लाजवाब खूबियां मौजूद होंगी.
भारतीय बागबानी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक टीएच सिंह के मुताबिक 3-4 सालों पहले आईआईएचआर ने प्रति पौधा 19 किलोग्राम पैदावार देने वाले?टमाटर की अर्क रक्षक किस्म को खेती के लिए जारी किया था. कर्नाटक के तमाम प्रगतिशील किसान अपने खेतों में अर्क रक्षक किस्म के पौधों से प्रति पौधा 19 किलोग्राम पैदावार ले रहे हैं. डा. सिंह का कहना है कि अर्क रक्षक मध्यम आकार का पौधा होता?है और इस के फलों का वजन 80 से 100 ग्राम के बीच होता है.
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राहत
19 फीसदी नम धान की खरीद
पटना : केंद्र सरकार ने बिहार सरकार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए 19 फीसदी नमी वाले धान की खरीद को मंजूरी दे दी है. इस से पहले केंद्र सरकार द्वारा फीसदी तक नमी वाले धान को खरीदने की मंजूरी दी गई थी. साल 2013-14 तक भारतीय खाद्य निगम धान की खरीद किया करता था. उस के बाद निगम ने धान की खरीद बंद कर दी थी. राज्य सरकार ने केंद्र से यह मांग भी की थी कि भारतीय खाद्य निगम को दोबारा खरीद प्रक्रिया में शामिल किया जाए. गौरतलब है कि खाद्य सुरक्षा योजना के तहत विकें्रदीकृत तरीके से धान की खरीद की जाती है. साल 2013-14 से राज्य में एसएफसी, पैक्स और व्यापार मंडल के जरीए ही धान की खरीद का काम हो रहा है. एफसीआई के जनरल मैनेजर संदीप पांडे ने बताया कि इस साल दी गई रकम किसानों को प्रति क्विंटल 1470 रुपए दिया जा रहे हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 60 रुपए ज्यादा हैं. ग्रेड ए धान की कीमत 1525 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है. कुल मिला कर 19 फीसदी तक नमी वाले धान की खरीद की मंजूरी मिलने के बाद किसानों में खुशी की लहर है. इस नए फरमान से यकीनन तमाम किसानों को काफी फायदा होगा और उन की मुसीबतें कम होंगी.
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फैसला
घाटों पर नावों का रजिस्ट्रेशन
पटना : पिछले दिनों पटना के गंगा दियारा इलाके में हुए नाव हादसे में दर्जनों लोगों की मौतें होने के बाद बिहार सरकार की नींद खुली है. अब सरकार ने गैरकानूनी तरीके से गंगा में चल रही नावों पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने अब बगैर रजिस्ट्रेशन के नावों के चलने पर रोक लगाने का फरमान जारी किया है. नावों के रजिस्टे्रशन के लिए नदी घाटों पर ही इंतजाम किया गया है. आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि कम पढ़ेलिखे नाविकों को परिवहन कार्यालय का पता नहीं चल पाता है और वे कार्यालयों के चक्कर नहीं लगा सकते हैं, इसलिए घाटों पर ही नावों का रजिस्टे्रशन कर दिया जाएगा. इस नए बंदोबस्त से अनपढ़ नाविकों को काफी सहूलियत हो जाएगी.
राज्य के सभी जिधाधीशों को इस सिलसिले में पत्र लिखे गए हैं. डीटीओ हर महीने की तय तारीख को घाटों पर शिविर लगा कर रजिस्ट्रेशन करेंगे. इस के अलावा नदी थानों को खोलने की कवायद भी शुरू की गई है. पटना जिले के फतुहा प्रखंड में पहला नदी थाना बनाया गया था. नदी थानों के जरीए तस्करी और नावों की ओवरलोडिंग पर लगाम लग सकेगी. कुल मिला कर नदी थानों के बनने व घाटों पर ही रजिस्ट्रेशन होने से मामला काफी सुधर जाएगा.
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खुराक
36 लाख टन बिस्कुट खाने का रिकार्ड
नई दिल्ली : आमतौर पर बिस्कुट खाना सभी को भाता है. हर घर में बिस्कुटों की अच्छीखासी खपत होती है. खासकर भारतीय लोगों को बिस्कुट खाना बेहद पसंद है. इस हकीकत को इस बात से महसूस किया जा सकता है कि बीते साल के दौरान भारत में 36 लाख टन बिस्कुट खाए गए. बिस्कुटों के लोकप्रिय होने की खास वजह यह भी है कि ये कम कीमत पर हर जगह आसानी से मिल जाते हैं. इन्हें खाने से लोगों की भूख काफी हद तक शांत हो जाती है और इन्हें खाने से कोई खास नुकसान भी नहीं होता. अपने तरहतरह के जायकों व फ्लेवरों के कारण बिस्कुट लोगों को काफी पसंद आते हैं.
सफाईपसंद यानी हाईजीनिक किस्म के लोग भी कंपनियों के मशीनों द्वारा पैक किए गए बिस्कुट सहजता से खा लेते हैं. ऐसे लोग ब्रेकफास्ट या क्रंच में चाटपकौड़ी, छोलेकुलचे या खाने की दूसरी खुली चीजें कतई नहीं खाते. इन्हीं तमाम वजहों ने बिस्कुटों का रुतबा बढ़ा दिया है. बिस्कुट मैन्यूफैक्चरर्स वेलफेयर एसेसिएशन के मुताबिक देश में बिस्कुटों की 37500 करोड़ रुपए की सालाना बिक्री होती है. यह आंकड़ा वाकई कल्पना से परे है. अकेले रहने वाले लोग भी अकसर खाने के तौर पर बिस्कुट खा कर काम चला लेते हैं. दाल, चावल, सब्जी, रोटी वगैरह पका कर खाने की बजाय ऐसे लोग मीठेनमकीन बिस्कुट चाय या काफी के साथ खा कर पेट भर लेते हैं और चैन की नींद लेते हैं.
पुराने जमाने में भारत में ग्लूकोज के बिस्कुट ज्यादा लोकप्रिय थे. स्वादिष्ठ होने के साथसाथ इन से पेट भी आसानी से भर जाता था. बिस्कुटों को आमतौर पर स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा माना जाता है, इसी वजह से डाक्टर अकसर मरीजों को बिस्कुट खाने की राय देते हैं. महाराष्ट्र सूबे में सर्वाधिक 1.90 लाख टन बिस्कुटों की खपत होती है, जबकि उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में 1.78 लाख टन बिस्कुट खाए जाते हैं. हरियाणा व पंजाब सूबों में बिस्कुटों की खपत बहुत कम होती है. बिस्कुटों से 3400 करोड़ रुपए का राजस्व सरकार को मिलता है. यानी बिस्कुटों की महिमा से इनकार नहीं किया जा सकता. बिस्कुट तो सोने के भी होते?हैं, मगर यहां बात महज आटे, चीनी, मेवे व मैदे से बने स्वादिष्ठ व करारे बिस्कुटों क है.
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नुमाइश
शताब्दी समारोह में खादी का जलवा
मुजफ्फरपुर : चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह समूचे तिरहुत प्रमंडल में धूमधाम से मनाया जाएगा. समारोह में खादी को फैशन के तौर पर अपनाने पर जोर दिया जाएगा. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की खादी को जनजन तक पहुंचाने के लिए मुजफ्फरपुर, बेतिया और मोतिहारी में खादी के कपड़ों की बड़ी प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी. इस के साथ इन जिलों में खादी का महत्त्व बताने के लिए लेजर शो का भी आयोजन किया जाएगा. मुजफ्फरपुर के आम्रपाली आडीटोरियम में खादी पर रैंप शो का आयोजन होगा, जिस में बिहार और देश की बड़ी हस्तियां खादी के कपड़े पहन कर रैंप पर चलेंगी. 20 फरवरी से शुरू हुए इस समारोह का समापन 22 मार्च को होगा. उस के बाद 10 अप्रैल से 12 जून तक गांधी ट्रायल का आयोजन होगा. इस के तहत महात्मा गांधी का प्रतिरूप मुजफ्फरपुर स्टेशन से ले कर भितिहरवा तक यात्रा करेगा. 10 अप्रैल को चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह पर स्पेशल डाक टिकट जारी किया जाएगा. इस के लिए वैशाली के जिलाधीश को नोडल आफिसर बनाया गया है.
15 अप्रैल से 30 जनवरी के बीच 10 लाख लोगों को समझा कर से अंग दान करवाने का लक्ष्य भी रखा गया है. अंगदान समारोह के लिए अलगअलग जगहों पर शिविर लगाए जाएंगे. 20 अप्रैल से 12 जून तक पूर्वी और पश्चिमी चंपारण में महात्मा गांधी जहांजहां गए थे, वहांवहां संबंधित जिलों के जिलाधीशों की अगुवाई में जन शिकायत निवारण शिविर भी आयोजित किए जाएंगे.
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योजना
सफाई माडल बनेंगी 160 पंचायतें
पटना : बिहार की 160 पंचायतों को सफाई माडल के तौर पर विकसित किया जाएगा. उन पंचायतों द्वारा हर?घर में पीने का पानी, शौचालय और ठोस व तरल कचरा प्रबंधन का इंतजाम किया जाएगा. विश्व बैंक की मदद से चुनी गई पंचायतों को माडल रूप देने का काम शुरू कर दिया गया?है. उन पंचायतों को कचरा प्रबंधन के लिए अलग से राशि मुहैया कराई जाएगी. इस योजना को सही तरीके से जमीन पर उतारने के लिए जिला प्रबंधन परियोजना इकाई के पदाधिकारियों की कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा?है और उन्हें समुदायों को योजना से जोड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की प्रधान सचिव अंशुल आर्या ने कार्यशाला में कहा कि परियोजना में चुनी गई पंचायतों को साफ बनाने का लक्ष्य 100 फीसदी पूरा होगा. नल का जल और शौचालय योजना पर काम शुरू हो चुका है और जल्द ही कचरा प्रबंधन का काम भी शुरू हो जाएगा.
इस योजना की हर महीने समीक्षा होगी. इस परियोजना पर 1606 करोड़ रुपए खर्च होंगे. इन में से 50 फीसदी विश्व बैंक, 33 फीसदी केंद्र सरकार, 16 फीसदी राज्य सरकार और 1 फीसदी समुदाय की ओर से दिया जाना?है. 25 करोड़ रुपए की पहली किस्म राज्य सरकार को मिल चुकी?है. कचरा प्रबंधन योजना पर प्रति व्यक्ति 825 रुपए खर्च आएगा.
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प्रजाति
मूंग जनकल्याणी कम समय में ज्यादा पैदावार
वाराणसी : जनकल्याणी गरमी के मौसम में खेती में अधिक लाभ व अधिक उपज देने वाली मूंग की रोगमुक्त प्रजाति है. इस के लंबे गुच्छों में हरी फलियां होती हैं. उन में गहरे हरे रंग के मोटे, चमकीले व बड़े दाने होते?हैं. पौधा गहरा हरा होता?है. यह दालमोठ के लिए खास प्रजाति है. मात्र 55 दिनों में इस की फसल पक कर तैयार हो जाती है. बारबार फलियों की तोड़ाई नहीं करनी पड़ेगी. पूरी फसल एकसाथ पकती है. बोआई का समय फरवरी से 15 अप्रैल व जूनजुलाई तक?है. बीजों की मात्रा 6 किलोग्राम प्रति एकड़ लगती है. पौधों पर अधिक शाखाएं बनती हैं. फूलफल ज्यादा लगते हैं. यह निरोगी प्रजाति है. इस में पीला रोग भी नहीं लगता है. इस प्रजाति के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए प्रकाश सिंह रघुवंशी और उन के पुत्र रणजीत कुमार से उन के मोबाइल नंबरों 09956941993 व 09005740560 पर संपर्क कर सकते हैं.
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सहूलियत
मछलीपालकों को बड़ी राहत
पटना : बिहार सरकार ने मछलीपालकों को बहुत बड़ी राहत देने का ऐलान किया है. बाढ़ और सूखे के दौरान मछलीपालकों को होने वाले नुकसान का मुआवजा दिया जाएगा. इतना ही नहीं बीमारी या तालाब में जहर देने की वजह से बड़े पैमाने पर हुई मछलियों की मौत का मुआवजा भी मछलीपालक ले सकेंगे. मछलीपालकों को हर तरह के नुकसान से बचाने के लिए साल 2017-18 से नए नियमों के तहत मछलियों का बाकायदा बीमा भी कराया जा सकेगा. 1 एकड़ तालाब में मछलियों का बीमा कराने के लिए मछलीपालकों को बतौर प्रीमियम 4000 रुपए देने होंगे. इस में किसानों को 50 से 30 फीसदी तक की राशि देनी होगी और बाकी रकम राज्य सरकार बीमा कंपनी को देगी. प्रीमियम की राशि मेंआगे बदलाव किया जा सकता है. 1 एकड़ में मछली का नुकसान होने पर 60000 से 1 लाख रुपए तक का मुआवजा मिल सकता है. राज्य के पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री अवधेश कुमार सिंह ने बताया कि मछलीपालकों को होने वाले नुकसान की?भरपाई करने की योजना बन कर तैयार हो गई है. मछलीपालन को कृषि का दर्जा मिलने के बाद मछलीबीमा योजना लागू करना जरूरी हो गया है.
मछलीपालक और कंफेड के अध्यक्ष ऋषिकेश कश्यप ने राज्य सरकार से मांग की है कि मछलीबीमा को एकसाथ पूरे राज्य में शुरू किया जाए. इस से सभी बड़ेछोटे मछलीपालकों को एकसाथ फायदा मिल सकेगा. गौरतलब है कि प्रति व्यक्ति मछली उपलब्धता का राष्ट्रीय औसत 8.54 किलोग्राम है, जबकि बिहार में यह आंकड़ा 7.7 किलोग्राम है.
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अजूबा
1150 किलोग्राम का लाटसाब भैंसा
टेक्सास : अमेरिका के टेक्सास शहर में रौनी नाम का एक व्यक्ति अपने साथ अपने घर में 1150 किलोग्राम वजन वाले जंगली भैंसे को रखता है. रौनी भैंसे को अपने बेडरूम में सुलाता?है, उसी के साथ खाना खाता है और एकसाथ बैठ कर टीवी पर एक्शन फिल्में भी देखता?है. खबर के मुताबिक 60 साला रौनी और उस की 44 साला बीवी शेरोन ब्रिज जंगली भैंसे के साथ ही रहते?हैं. रौनी को पशुओं से ज्यादा ही प्यार है. वे साल 2004 तक अपने साथ 52 भैंसे रखते थे, लेकिन बाद में उन्होंने वे तमाम भैंसे बेच दिए.
अब वे अपने मनपसंद जंगली भैंसे को बच्चे की तरह पालतेपोसते?हैं. वे उस की पसंद का पूरापूरा खयाल रखते हैं. भैंसे की खातिर उन्होंने अपने घर को जंगल का लुक दे रखा है. उन के फर्नीचर व कारपेट वगैरह भी जंगल के रंग में रंगे नजर आते?हैं. वे चाहते?हैं कि भैंसे को जंगल की कमी न खले. शेरोन ब्रिज भैंसे का ज्यादा खयाल रखती हैं. रौनी व शेरोन भैंसे के साथ ब्रेकफास्ट, लंच व डिनर करते?हैं और उस के साथ ही सोफे पर बैठ कर टीवी देखते?हैं. ठ्ठ
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खोज
टूना मछली पर होगा शोध
नई दिल्ली : टूना मछली की जापान जैसे मुल्कों में बहुत ज्यादा कीमत है. अब भारत भी इस में दिलचस्पी ले रहा है. केंद्रीय मत्स्यिकी अनुसंधान संस्थान समुद्री टूना मछली के प्रजनन, जीर (सीड) उत्पादन और पालन पर शोध कार्यक्रम शुरू करेगा.
ज्यादातर पूर्वी मुल्क टूना मछली का पालन करते हैं, मगर इस का दायरा बहुत ज्यादा बड़ा नहीं है. केंद्रीय मत्स्यिकी अनुसंधान संस्थान अब जलवायु बदलने की वजह से समुद्री मछलियों पर पड़ने वाले असर और उन में आने वाले बदलावों की जांचपड़ताल करेगा.
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इजाफा
डेढ़ गुना ज्यादा धान की खरीद
पटना : बिहार में पिछले साल के मुकाबले इस साल डेढ़ गुना ज्यादा धान की खरीद होने का दावा किया गया है. खरीफ के सीजन में 2016-17 में पिछली 6 फरवरी तक 4.21 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई?है. पिछले साल खरीफ के सीजन में 6 फरवरी तक 3.22 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हो सकी थी. सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव अमृतलाल मीणा ने बताया कि मौसम में सुधार होने के साथ ही धान की खरीद में लगातार तेजी आती जा रही है. अभी धान खरीद का आंकड़ा और बढ़ेगा.विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक विभागीय पोर्टल पर धान की खरीद को ले कर 5 लाख 48 हजार 414 किसानों ने रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दिया था.
तमाम किसानों के आवेदनों में से कुल 4 लाख 476 आवेदन पूरी तरह सही थे. उन में से 3 लाख 33 हजार 664 किसानों के आवेदन मंजूर किए गए. अब तक 23 जिलों में राज्य खाद्य निगम को 23 हजार 249 मीट्रिक टन चावल की आपूर्ति कर दी गई?है. पिछले साल इस तारीख तक 9748 मीट्रिक?टन चावल की आपूर्ति निगम को की गई थी.
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निराशा
बिहार को ई कृषि मंडी का लाभ नहीं मिल पा रहा
पटना : बिहार को इलेक्ट्रानिक कृषि बाजार (ई मंडी) का नाम और सुविधा फिलहाल नहीं मिल सकेगी. केंद्र सरकार ने इस मामले में जो शर्त रखी है, उस में छूट के लिए बिहार सरकार ने आवेदन किया था. आवेदन पर केंद्र सरकार ने चुप्पी साध ली है. केंद्र की अनदेखी के बाद बिहार सरकार ने अब अपने बूते ई मंडी को विकसित करने के लिए कमर कस ली?है. पिछले साल अप्रैल महीने में केंद्र सरकार ने समूचे देश में ई मंडी बनाने की योजना की शुरुआत की थी. इस के साथ यह शर्त रखी गई थी कि ई मंडी उन्हीं राज्यों में बनेंगी, जहां कृषि उत्पादन विपणन कानून बना हुआ है. बिहार में यह कानून 10 साल पहले रद्द कर दिया गया था और उस के साथ ही 56 बाजार समितियों को भी भंग कर दिया गया था. इस वजह से बिहार को ई बाजार का लाभ नहीं मिल सकता है. बिहार के कृषि मंत्री रामविचार राय ने बताया कि केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह को पत्र लिख कर बिहार को ई मंडी के लिए कुछ रियायत देने की मांग की गई थी. उस पत्र का अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. केंद्र सरकार के नए बजट में ज्यादातर राज्यों में ई मंडी के लिए पैसे का इंतजाम किया गया है, पर बिहार को इस का लाभ नहीं मिला है. बिहार सरकार अब अपने बूते पर इस कवायद में लग गई?है.
ई कृषि मंडी में उत्पादों को तोलने से ले कर इंटरनेशनल मार्केट में उन की कीमत देखने तक की व्यवस्था होगी. इस के अलावा ई कृषि मंडी में कोल्ड स्टोर, राइपेंनिंग चैंबर, ग्रेडिंग और पैकेजिंग, 2 रेफर वैन, 4 साधारण वैन, वे ब्रिज, इलेक्ट्रानिक नीलामी, लोडिंगअपलोडिंग के लिए डौक लेबलर, लिफ्ट और टेस्टिंग व सर्टिफिकेशन लैब की आधुनिक सुविधाएं भी होंगी.
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फरमान
मिड डे मील के लिए आधार जरूरी
नई दिल्ली : मौजूदा केंद्र सरकार की आधार कार्ड के प्रति दीवानगी जगजाहिर है. अभी तक वोटर कार्ड और पैन कार्ड के जरीए लोग आसानी से जी रहे थे. जिन के पास वोटर कार्ड या पैन कार्ड नहीं होते थे, वे राशन कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस या बिजली के बिलों से खुद को प्रमाणित कर देते थे. मगर मोदी राज में आधार के बगैर कुछ भी मुमकिन नहीं है. अब केंद्र सरकार ने स्कूलों में मिड डे मील योजना में भी आधार को जरूरी कर दिया?है. जिन स्कूली बच्चों के पास अभी तक आधार नंबर नहीं?हैं, उन्हें 30 जून तक हर हालत में आधार पंजीकरण कराना होगा. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है. स्कूली बच्चों के साथसाथ उन के लिए मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों के लिए भी आधार कार्ड अब जरूरी होगा. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्कूलों को निर्देश देते हुए कहा कि जिन छात्रों या छात्राओं के पास आधार कार्ड नहीं हैं, उन्हें जल्दी से जल्दी अपने आधार कार्ड बनवाने होंगे.
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जलसा
प्रयाग डिजिटल मेले में दिखी भारतीय संस्कृति की झलक
फरीदाबाद : 25 फरवरी 2017 का दिन देश के लोक कलाकारों, लोक गायकों व डिजिटल प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर के बदलाव लाने वाले लोगों व संस्थाओं के लिए खास रहा. क्योंकि उस दिन हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित विश्वविख्यात सूरज कुंड मेला ग्राउंड पर प्रयाग डिजिटल मेले का आयोजन किया गया. मेले में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से आए लोगों ने भी भारत की रंगबिरंगी संस्कृति के बारे में बहुत नजदीक से जाना और समझा.
नई दिल्ली की संस्था डिजिटल एंपावरमेंट फाउंडेशन द्वारा आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में जहां एक तरफ गांवों से गुम हो रही लोककलाओं व हस्तनिर्मित वस्तुओं को पहचान दिलाने का प्रयास किया गया, वहीं आर्गेनिक फूड, जैविक उत्पादों, देशी गाय के दूध से बने उत्पादों व विभिन्न खाद्य पदार्थों से बनी वस्तुओं के स्टाल भी लगाए गए. डब्ल्यूएस टेलीमेटिक्स प्रा. लि. ने भी अपना स्टाल लगा कर मिट्टी जांच मशीन को मेले में प्रदर्शित किया. रोजगार का सुनहरा अवसर प्रदान करने वाली उन की डिजिटल मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला के बारे में अनेक लोगों ने जानकारी ली. मौके पर मौजूद हर्ष दहिया ने किसानों को बताया कि इस यंत्र का नाम पूसा स्वायल टेस्ट एंड फर्टीलाइजर रिकमेंडेशन मीटर किट है. इसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई तकनीक के तहत बनाया है. इस मशीन को कोई भी अपने रोजगार का आसान साधन बना सकता है. इस मेले में गीतसंगीत, नुक्कड़ नाटक, वर्कशाप व सेमीनार जैसे तमाम कार्यक्रम आयोजित किए गए. गांवों में खेले जाने वाले गिल्लीडंडा व मिट्टी के खिलौनों जैसी चीजें भी दर्शकों का मन मोहने में कामयाब रहीं.
करघोड़वा नाच, कठपुतली नृत्य व युवा विकास समिति द्वारा लगाई घासफूस से बनी डलियों की प्रदर्शनी का लोगों ने खूब लुत्फ उठाया. इस मेले में बच्चों, बूढ़ों, जवानों व महिलाओं सभी के लिए कुछ न कुछ था. प्रयाग डिजिटल मेले के मंच से डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोगों को मंथन अवार्ड, ईएनजीओ चैलेंज अवार्ड, सीआईआरसी अवार्ड व डिस्ट्रिक कलेक्टर डिजिटल चैंपियन अवार्ड के तहत स्थायी कृषि आजीविका, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, सतत विकास हित कई कटेगरी के तहत पुरस्कृत व सम्मानित किया गया. पुरस्कार पाने वालों में भारत, नेपाल, बंग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, सहित कई देशों की संस्थाओं से जुड़े लोग शामिल रहे. इस विशाल डिजिटल मेले में नुक्कड़ नाटकों, रैलियों व खेलकूद वगैरह के माध्यम से सामाजिक बुराइयों पर भी चोट की गई. वहीं किस्सागोई में माहिर नीलेश मिश्र ने कहानी सुना कर नानानानी और दादादादी द्वारा सुनाए जाने वाले तमाम किस्सों व कहानियों की यादें ताजा कर दीं.
प्रयाग डिजिटल मेले के मीडिया पार्टनर के?रूप में ‘दिल्ली प्रेस फार्म एन फूड’ का स्टाल भी लगाया गया, जहां लोगों ने दिल्ली प्रेस के गौरवशाली इतिहास व प्रकाशनों की जानकारी हासिल की. ‘फार्म एन फूड’ के स्टाल पर देश के कोनेकोने से आए खेती के मुद्दे पर काम करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधियों व प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया गया. इन में प्रमुख रूप से बस्ती जिले के प्रगतिशील किसान राममूर्ति मिश्रा, शिक्षिका संध्या व आलोक शामिल थे. प्रतापगढ़ की संस्था तरुण चेतना संस्थान व सिद्धार्थनगर से गौतमबुद्ध जागृति समिति को स्थायी कृषि के लिए किए जा रहे प्रयासों के लिए प्रमाणपत्र दे कर सम्मानित किया गया.
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पहल
एटू दूध का उत्पादन बिहार में
पटना : बिहार में एटू मिल्क के उत्पादन की कवायद शुरू की गई?है. एटू दूध के बारे में यह दावा किया जाता है कि इस का इस्तेमाल हृदय रोग, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मरीज भी कर सकते?हैं. बिहार विद्यापीठ के द्वारा यह पहल की जा रही है. इस के लिए सिवान, मोतिहारी और गोपालगंज के 500 किसानों को चुना गया है. चुने गए किसानों को पटना स्थित बिहार विद्यापीठ में एटू मिल्क उत्पादन की ट्रेनिंग दी जाएगी. एटू मिल्क के उत्पादन के लिए साहीवाल, गिर और थापर प्रजाति की 1000 गायों को दूसरे राज्यों से बिहार लाया जाएगा. इन गायों को चारा खिलाने के लिए सिवान, मोतिहारी और गोपालगंज के किसानों से सहजन और हरी घास मंगवाई जाएगी. इस दूध के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए 1000 कलस्टर बनाए जाएंगे.
बिहार विद्यापीठ के सदस्य संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि दूध उत्पादन कर के किसानों को उद्यमशील बनाने की मुहिम शुरू की गई?है. इस के साथ ही अगले कुछ सालों में बिहार दूध के मामले में अपने पैरों पर भी खड़ा हो जाएगा. वैज्ञानिकों द्वारा बारबार यह कहा जाता रहा है कि विदेशी नस्लों की गायों का दूध स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इस के बाद भी देश में धड़ल्ले से विदेशी नस्ल की गायों के दूध का इस्तेमाल हो रहा है. एटू दूध में बीटा कैबिज नाम का बेहद फायदेमंद प्रोटीन पाया जाता.
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चेतावनी
मीट व सोडे का इस्तेमाल खतरनाक
लास एंजिलिस : एक ओर मीट यानी मांस खाने के तमाम फायदे हैं, तो दूसरी तरफ अकसर मांस का सेवन घातक भी साबित होता है. ज्यादातर लोग स्वाद व सेहत के चक्कर में मीट का इस्तेमाल करते हैं, मगर जब इस से खतरनाक बीमारी हो जाए, तो मामला सोचने वाला हो जाता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक साफ्ट ड्रिंक और प्रसंस्कृत मांस खाने वाली महिलाओं और किशोरियों में स्तन कैंसर होने का खतरा ज्यादा हो सकता है. एक शोध में यह चेतावनी दी गई है. शोध करने वालों ने हाईस्कूल में खानपान की आदतों पर प्रश्नावली भरने वाली 45204 महिलाओं से आंकड़े इकट्ठा किए. इन महिलाओं की उम्र 33 से 52 साल के बीच है. अमेरिका में यूनिवर्सिटी आफ कैलीफोर्निया, लास एंजिलिस में प्रो. कैरीन बी मिशेल्स ने कहा कि स्तन कैंसर होने में कई साल लगते हैं. इसलिए शोधकर्ता जानना चाहते थे कि क्या किसी के जीवन के शुरुआती सालों का अनियंत्रित खानपान स्तन कैंसर की वजह हो सकता है.
आमतौर पर विदेशी महिलाएं रेड मीट और सोडे का ज्यादा इस्तेमाल करती?हैं, इसलिए उन्हें स्तन कैंसर जैसी शिकायतों का ज्यादा सामना करना पड़ता है. इस मामले में भारतीय महिलाएं बेहतर हालत में हैं, क्योंकि वे रेड मीट व सोडे का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करतीं. वैस भारत में?भी नए जमाने की लड़कियां रेड मीट व वाइन जैसी चीजें ज्यादा लेने लगी?हैं. मगर इस खोज के बाद तमाम महिलाओं को इस मामले में सतर्क हो जाना चाहिए.
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मदद
8 नई कृषि मशीनों पर अनुदान
पटना : बिहार में 8 नई खेती की मशीनों पर 50 फीसदी तक अनुदान देने का फैसला लिया गया है. कृषि विभाग के मुताबिक सूअरों, नीलगायों और जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के लिए बिजली से चलने वाली बायो एकोस्टिक मशीन पर अनुदान मिलेगा. फसल काटने वाली छोटी मशीन और चारा काटने वाली मशीनों को पहली बार शामिल किया गया है. ट्रैक्टर से चलने वाली चारा कटर मशीन, फसल और झाड़ी कटर, मोल्ड बोल्ट हल, ट्रैक्टर चलित लैवलर, पोस्ट होल्ड डिगर (पौधा लगाने के लिए गड्ढा करने वाली मशीन), पावर हैरो, बायो एकोस्टिक (बिजली और सौर ऊर्जा से चलने वाले) मशीनों को योजना में शामिल करने के बाद अब कुल 52 मशीनों पर किसान अनुदान का लाभ ले सकेंगे.
ट्रैक्टर चालित चारा मशीन की कीमत 1 लाख रुपए है. मोल्ड बोल्ट हल 20000 से 25000 रुपए में मिलता है. पावर हैरो की कीमत 90000 रुपए है. इन मशीनों को खरीदने के लिए बिहार कृषि विभाग की वेबसाइट पर आवेदन कर सकते?हैं. अनुदान के नए नियम में यह बदलाव किया गया है कि खेती की मशीनों को खरीदने के लिए पहले किसानों को पूरी रकम लगानी होगी. बाद में अनुदान की रकम किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी. बिहार में साल 2008 में कृषि यांत्रिकरण योजना की शुरुआत की गई थी और साल 2016-17 में इस योजना के तहत 175 करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य रखा गया?था. साल 2015-16 में इस के लिए 243 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई थी.
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तरक्की
किसानों को संजीवनी देंगे कृषि विज्ञान केंद्र
मेरठ : पश्चिमी उत्तर प्रदेश 7 नए कृषि विज्ञान केंद्र खोलने के लिए तैयारी चल रही?है. नए केवीके खुलने से जहां कृषि के क्षेत्र में शोध किए जाएंगे, वहीं किसानों को भी सीधे तौर पर वैज्ञानिकों से तकनीकी जानकारी मिलेगी. कृषि उत्पादन बढ़ाने और किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने यह स्वीकृति दी है. सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से संबद्ध 13 कृषि विज्ञान केंद्र और 2 कृषि ज्ञान केंद्र?हैं. अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने शामली, संभल, हापुड़, अमरोहा, मुजफ्फरनगर, बदायूं व मुरादाबाद में नए कृषि विज्ञान खोलने के लिए स्वीकृति दी है. मुजफ्फरनगर और मुरादाबाद के लिए केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री रहे डा. संजीव बालियान ने स्वीकृति दिलाई है. केवीके खुलने से इन जनपदों के किसानों को तकनीकी जानकारी और कृषि के क्षेत्र में आ रही चुनौतियों के बारे में वैज्ञानिक बताएंगे. विवि प्रशासन अब इन जनपदों में जमीन की तलाश में जुट गया?है. जमीन के मिलते ही तमाम केवीके बनने शुरू हो जाएंगे.
कृषि विज्ञान केंद्र खुलने से एफएलडी किसानों का ज्ञान बढ़ाएगा और गोष्ठियों के माध्यम से समयसमय पर कृषि के बारे में बताया जाएगा. फसलों में लगने वाले रोग और उन के इलाज के बारे में जानकारी दी जाएगी. कृषि से जुड़े हुए 6 एक्सपर्ट किसानों को अलगअलग विषयों के बारे में बताएंगे. किसानों को मिट्टी के परीक्षण के बारे में जानकारी दी जाएगी. कुलपति डा. गया प्रसाद ने संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों को पत्र भेजे?हैं. कुछ जगहों पर जमीन आसानी से उपलब्ध हो भी रही है, लेकिन कुछ स्थानों पर पेच फंसा हुआ है. इसे दूर करने के लिए विवि प्रशासन और स्थानीय प्रशासन लगा हुआ है. विवि प्रशासन को उम्मीद है कि आचार संहिता के बाद केवीके का रास्ता साफ हो जाएगा.
मधुप सहाय, भानु प्रकाश व बीरेंद्र बरियार
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सवाल किसानों के
सवाल : प्याज की पौध रोपाई के लिए तैयार?है, पर खेत की मिट्टी में पोटाश की मात्रा काफी कम है. ऐसी हालत में प्याज की रोपाई के लिए खेत में क्या डालना चाहिए?
-गौरव श्रीवास्तव, एसएमएस द्वारा
जवाब : आप सब से पहले खेत की मिट्टी की जांच कराएं और पता करें कि मिट्टी में पोटाश की मात्रा कितनी कम है. उसी के आधार पर म्यूरेट आफ पोटाश खेत में मिलाएं. वैसे आमतौर पर 100 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डाली जाती है.
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सवाल : भिंडी, ग्वार, मूंग, तुरई, लौकी व करेला वगैरह की जैविक खेती कैसे की जाती है?
-तरुण कुमार, एसएमएस द्वारा
जवाब : आप लोग अपना पता अवश्य लिखा करें ताकि बताने में आसानी रहे. जैविक खेती की जानकारी आप अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र से ले सकते हैं. साथ ही एनसीओएफ गाजियाबाद से प्रशिक्षण हासिल कर सकते हैं, जो केवल जैविक खेती के बारे में ही प्रशिक्षण देता?है.
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सवाल : मुरगी को 1 दिन में कितने ग्राम आहार की जरूरत होती है?
-मोहम्मद, एसएमएस द्वारा
जवाब : आमतौर पर मुरगी को 1 दिन में 110 ग्राम आहार की जरूरत होती?है. यदि मुरगी अंडा दे रही हो तो उसे 130 ग्राम आहार की जरूरत होती है, जिस में से 60 ग्राम का अंडा और 70 ग्राम बीट के रूप में शरीर से बाहर आ जाता है.
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सवाल : मुनगा (सहजन) और दूसरे फलदार पेड़ों के पौधे कहां से मिल सकते?हैं?
-ओपी वर्मा, एसएमएस द्वारा
जवाब : केंद्रीय उपोष्ण बागबानी संस्थान, रहमान खेड़ा, लखनऊ से करीब सभी फलदार पेड़ों के पौधे मिल सकते हैं.
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सवाल : मेरी गाय के थनों के आसपास के हिस्से में कड़ापन है. इलाज क्या?है?
-रामगोपाल, एसएमएस द्वारा
जवाब : यदि गाय के थनों के आसपास के हिस्से में कड़ापन है, तो इस का मतलब है कि उसे थनैला रोग हो गया?है. आप गरम पानी में मैगसल्फ, बोरिक एसिड घोल कर उस में मोटा कपड़ा भिगो कर अयन व थनों की खूब सफाई करें. सूजन कम करने के लिए रोगी भाग पर कैटगाल या आयोडैक्स मरहम सुबहशाम दूध निकालने के बाद लगाएं. 2-2 सल्फाबोल्स सुबह व शाम को दे कर दूसरे दिन से इन की आधी मात्रा खिलाएं.
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सवाल : मैं भेड़बकरी की फार्मिंग राजस्थान के झुंझनू में करना चाहता हूं. कृपया इन की अच्छी नस्लों के बारे में बताएं. ये कहां से मिलेंगी?
-विजय सिंह, एसएमएस द्वारा
जवाब : बकरीपालन के लिए राजस्थान राज्य काफी मुनासिब है. राजस्थान के झुंझनू जिले में जखराना व सिरोही जाति की बकरियां पाल सकते हैं. जखराना नस्ल की बकरियां राजस्थान के अलवर जिले में पाई जाती?हैं. सिरोही नस्ल की बकरियां राजस्थान के सिरोही, अजमेर, भीलवाड़ा नागौर व टोंक जिलों में पाई जात हैं
डा. अनंत कुमार व डा. प्रमोद मडके
कृषि विज्ञान केंद्र, मुरादनगर, गाजियाबाद
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सवाल जवाब विभाग, फार्म एन फूड
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