कांग्रेस ने किसानों को दिखाए सब्जबाग
कर्ज माफ करने और बिजली के बिल आधा करने का वादा
लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के लिए लखनऊ में कांग्रेस द्वारा जारी किए गए घोषणापत्र में किसानों के कर्ज माफ करने और उन के बिजली के बिल आधे करने का जोरशोर से वादा किया गया है. कर्ज माफ करने और बिजली के बिल आधे करने के वादे के साथसाथ कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में 6 जगह सपा की तमाम योजनाओं को पूरा करने का भी ऐलान किया है. इन के साथसाथ महिलाओं और युवाओं को लुभाने वाली बातें भी घोषणापत्र में की गई?हैं. कांग्रेस ने पंचायतों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने का वादा भी किया है.
कांग्रेस के सूबा प्रभारी गुलाम नबी आजाद और सूबा अध्यक्ष राज बब्बर ने 3 जबानों यानी हिंदी, अंगरेजी और उर्दू में घोषणापत्र को जारी किया है. पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर तमाम नामीगिरामी नेताओं की मौजूदगी में फिल्म स्टार से नेता बनने वाले राज बब्बर ने कहा कि यह घोषणापत्र कांग्रेस का जनता से किया गया पक्का वादा है. वैसे गौर करने वाली बात यह है कि अपने पुराने इतिहास में भी कांग्रेस ने हमेशा किसानों को काफी तवज्जुह दी है. हालांकि सभी राजनीतिक पार्टियां खेती और किसानों की अहमियत से वाकिफ होती हैं, लिहाजा किसानों की भलाई की बातें करना राजनीति के खेल में लाजिम होता है. जहां तक सवाल कांग्रेस के मौजूदा घोषणापत्र का है, तो पार्टी ने सिर्फ इसी में किसानों की भलाई की बातें नहीं की हैं, ऐसा तो पहले भी होता था. इंदिरा गांधी के जमाने में भी कांग्रेस का?घोषणापत्र किसानों के हितों से भरपूर रहता था. खुद इंदिरा गांधी भी किसानों की सच्ची खैरख्वाह मानी जाती थीं. यों तो समाजवादी पार्टी यानी सपा को भी किसानों की भलाई करने वाली पार्टी के तौर पर माना जाता?है, लिहाजा कांग्रेस व सपा के मिलने से किसानों की उम्मीदें बढ़ जाना लाजिम है. बहरहाल, अब देखने वाली बात यही है कि क्या उत्तर प्रदेश में कांग्रेस व सपा के गठबंधन वाली सरकार बन पाती?है? और अगर ऐसा होता?है, तो किसानों का कितना भला होता है. डर यह भी है कि चुनावी वादे महज सब्जबाग साबित हो कर न रह जाएं.
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टिड्डियों की वजह से बोलीविया में आपातकाल
सुक्रे: खेतों व फसलों को टिड्डियों से होने वाले नुकसान के बारे में ज्यादातर लोग जानते हैं. अकसर टिड्डियां फसलों को बुरी तरह तबाह कर देती?हैं. पिछले दिनों टिड्डियों के आतंक की वजह से बोलीविया की सरकार को मुल्क के एक बड़े कृषि इलाके में आपातकाल लगाना पड़ गया. बोलीविया के राष्ट्रपति इवो मोरैल्स ने टिड्डियों के आक्रमण से निबटने के लिए खासतौर से एक आपात योजना तैयार की है. योजना में इन कीटों के संक्रमण पर धुएं से काबू पाने के लिए 7 लाख डालर की अतिरिक्त रकम तय की गई?है. इस हमले के शिकार होने वाले और आसपास के तमाम लोगों के मुताबिक कुछ हफ्ते पहले सांता क्रूज के पूर्वी हिस्से में निचले इलाके के खेतों में खतरनाक टिड्डियों का काफी बड़ा झुंड देखा गया. यह देश का खास इलाका है, क्योंकि वहां खाद्यान्न और मांस का सब से ज्यादा उत्पादन होता है.
वहां के लोगों के मुताबिक देखे जाने के कुछ देर बाद ही टिड्डियां पूरे इलाके में फैल गईं. टिड्डियों की वजह से ज्वार व मक्के के खेतों और घास के मैदानों को काफी नुकसान पहुंचा है.
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सोते वक्त किसान की हत्या
मुरादनगर/गाजियाबाद : मुरादनगर थाना इलाके के गांव कनौजा में पिछले दिनों खेत में?ट्यूबवेल पर सो रहे किसान के सिर पर कोई भारी चीज मार कर उस की दर्दनाक हत्या कर दी गई. हत्यारे ट्यूबवेल का दरवाजा बंद कर के खामोशी से चंपत हो गए. कनौजा गांव में महेश त्यागी अपने बेटे के साथ रहते थे. 3 महीने पहले उन्होंने मकान बनवाया था. घटना वाली रात को वे अपने ट्यूबवेल पर सोए थे. सुबह जब वे अपने घर नहीं पहुंचे, तो घर के लोग खेत में पहुंचे. वहां महेश खाट पर मरे हुए पड़े थे और चारों तरफ खून फैला था. किसान महेश वक्त और हालात के शिकार थे. डेढ़ साल पहले उन की पत्नी की जलने से मौत हो गई थी. इसी मामले में पुलिस ने महेश को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया था. फिलहाल वे जमानत पर छूटे हुए थे. एएसपी आशीष के मुताबिक महेश काफी अरसे से ट्यूबवेल पर ही रहते थे. उन की हत्या क्यों व कैसे हुई, यह तो बाद में पता चलेगा, मगर ऐसे हादसे दुखद होते हैं.
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झटका
दाल की पैदावार को लगा जोर का धक्का
पटना : बिहार के कृषि रोड मैप के तहत साल 2012 से 2017 तक के लिए दलहन उत्पादन का लक्ष्य 29 लाख 20 हजार टन रखा गया था. 5 साल बीतने को हैं और 4 लाख 62 हजार टन दलहन का ही उत्पादन हो सका है. कृषि विभाग ने जितना लक्ष्य रखा था, उस का केवल 19 फीसदी ही उत्पादन हो सका. राज्य में दलहन उत्पादन का सब से बड़ा हब मोकामा का टाल क्षेत्र है. इस बार टाल क्षेत्र में ज्यादा समय तक पानी भरा होने की वजह से दलहनी फसलों की बोआई काफी देर से हुई थी. धान, तिलहन, सब्जी, फल आदि की पैदावार जहां लगातार बढ़ी हैं, वहीं दालों के उत्पादन में भारी गिरावट आई है. बिहार में पिछले 8 सालों में चावल उत्पादन में?डेढ़ गुना इजाफा हुआ है. साल 2001 से 2008 तक चावल का औसत उत्पादन 46 लाख टन हुआ था. साल 2008 से 2016 तक वह बढ़ कर 66 लाख टन हो गया. वहीं दूसरी ओर दलहन की पैदावार साल 2008 तक औसतन 5 लाख 4 हजार टन थी, जो साल 2016 में घट कर 4 लाख 62 हजार टन हो गई है.
कृषि विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार का दावा?है कि दलहन उत्पादन के मामले में बिहार थोड़ा पिछड़ गया है, लेकिन आने वाले दिनों में इस की पैदावार बढ़ाने के ठोस उपाय किए गए हैं, जिन का बेहतर नतीजा सामने आएगा.
सूबे के किसानों को दलहनी फसलों को लगाने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है. गौरतलब है कि बिहार समेत पूरे देश में दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाने की कोशिशें शुरू की गई हैं. कानपुर के भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के साथ राज्यों के 11 कृषि विश्वविद्यालयों में 20 करोड़ 39 लाख रुपए की लागत से अतिरिक्त प्रजनक बीज उत्पादन कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. बिहार समेत कई राज्यों में 150 दलहन सीड हब विकसित करने के लिए 225 करोड़ 31 लाख रुपए की रकम की मंजूरी दी गई है. इस से साल 2018-19 के आखिर तक 1000 क्विंटल उन्नत दलहनी बीजों के उत्पादन और सप्लाई का अनुमान है.
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तैयारी
हरियाणा एग्री कांक्लेव एंड एक्सपो 2017 का आयोजन
हिसार : हरियाणा एग्रो कांक्लेव एंड एक्सपो 2017 के बारे में बताते हुए कुलपति प्रो. केपी सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में आयोजित किया जाने वाला यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है. उन्होंने बताया कि कृषि पैदावार और किसानों की आमदनी को बढ़ाने के मकसद से आयोजित किए जा रहे इस कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा किसान शामिल होंगे. उन्होंने बताया कि इस आयोजन में किसानों के अलावा बीज, उर्वरक, कीटनाशक दवाओं व कृषि मशीनों से जुड़ी कंपनियों को भी आमंत्रित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम 2 दिनों का होगा जो 22 मार्च से शुरू होगा. कुलपति के मुताबिक इस पहले हरियाणा एग्री कांक्लेव एंड एक्सपो का मुख्य विषय कृषि पैदावार और किसानों का लाभ बढ़ाने के लिए फार्म मशीनीकरण होगा, जिस में किसानों को विभिन्न कृषि कार्यों के लिए सही मशीनों और उन की कार्य प्रणाली के बारे में जानने का अवसर मिलेगा. इस के अलावा किसानों को इन मशीनों की कीमत और इन के निर्माताओं की भी पूरी जानकारी मिल सकेगी.
यहां उल्लेखनीय है कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हर साल मार्च में कृषि मेला आयोजित करता है, जिस में हरियाणा और पड़ोसी राज्यों से करीब 50 हजार किसान हिस्सा लेते हैं. इस मेले में एग्रो इंडस्ट्रियल प्रदर्शनी भी लगाई जाती है, जिस में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, लुवास और हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अलावा विभिन्न कृषि निविष्टों और फार्म मशीनरी बनाने वाली कंपनियां भी भाग ले कर अपनी टेक्नोलोजी प्रदर्शित करती हैं. लेकिन अब इस कृषि मेले की जगह पर हरियाणा एग्री कान्क्लेव एंड एक्सपो का आयोजन किया जाएगा जो कि कृषि मेले से व्यवस्था, आकार व पैमाने में बड़ा और आधुनिक होगा.
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फायदा
सहकारी संस्थाओं से किसानों को लाभ
पटना : बिहार के सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने कहा है कि सहकारी संस्थाओं की मजबूती का सीधा फायदा तमाम किसानों को मिलता है. प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) के साथ बाकी सहकारी संस्थाओं को ताकतवर बनाने से किसानों को उन की फसलों की वाजिब कीमत दिलाने में बहुत आसानी हो जाएगी. पिछली 23 जनवरी को बिहार कोआपरेटिव फेडरेशन कैंपस में पाटलीपुत्र केंद्रीय सहकारी बैंक की सालाना आमसभा में मंत्री ने कहा कि किसानों को धान बेचने में सहूलियत देने के लिए जरूरी उपाय किए गए हैं. उन्होंने बताया कि धान खरीद के लिए 700 करोड़ रुपए सरकार की ओर से मुहैया करा दिए गए हैं. इस मौके पर मंत्री ने पैक्स अध्यक्षों के साथ धान खरीद में होने वाली परेशानियों की भी जानकारी ली और जल्द से जल्द समस्याओं को खत्म करने का भरोसा दिलाया.
बिहार कोआपरेटिव फेडरेशन के अध्यक्ष विनय कुमार शाही ने अनुरोध किया कि पैक्स व शीर्ष सहकारी संस्थाएं कोआपरेटिव फेडरेशन की लेवी का जल्दी से जल्दी भुगतान करें. ऐसा करने से फेडरेशन की आर्थिक हालत मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि पाटलीपुत्र केंद्रीय सहकारी बैंक पिछले 21 सालों से फायदे में है. यह सहकारी संस्थाओं और बैंकों के लिए प्रेरणा का विषय है.
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हालात
गन्ना पेराई इकाइयों का मुआयना
नई दिल्ली : एनजीटी ने उत्तर प्रदेश में गन्ने की पेराई के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तमाम कोल्हुओं के मुआयने का आदेश जारी किया है. इस बारे में दाखिल की गई याचिका पर गौर करते हुए एनजीटी ने यह हुक्म जारी किया है. दायर की गई याचिका में इलजाम लगाया गया है कि हवा और पानी संबंधी प्रदूषण फैलाने में इन अनियंत्रित इकाइयों यानी कोल्हुओं का बहुत ज्यादा हाथ है. गुड़ बनाने के लिए गन्ने की पेराई ज्यादातर डीजल से चलने वाले कोल्हुओं से की जाती है, जो कि खासा प्रदूषण फैलाते हैं. न्यायमूर्ति जवाद रहीम की अध्यक्षता वाली पीठ ने पाया कि इन तमाम पेराई इकाइयों के काम करने और वातावरण पर इन के खराब असर के बारे में कोई वैज्ञानिक अध्ययन या रिपोर्ट सामने नहीं आई?है. इसी वजह से इन के मुआयने का फरमान जारी किया गया?है. पुराने जमाने में बैल कोल्हू चलाते थे और बगैर किसी प्रदूषण के पेराई की जाती थी. यह बात अलग है कि उत्तर प्रदेश में एनजीटी के इस फरमान का किस हद तक पालन हो पाता है, क्योंकि इतने बड़े सूबे में चप्पेचप्पे पर गन्ने की पेराई होती है.
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आयोजन
तकनीक और मशीनरी प्रदर्शन मेले का जलवा
हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कृषि अभियांत्रिकी एवं तकनीकी महाविद्यालय के फार्म पावर एवं मशीनरी और प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी विभागों द्वारा गांव काजलहेड़ी के सरकारी स्कूल में संयुक्त रूप से तकनीक और मशीनरी प्रदर्शन मेले का आयोजन किया गया. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिंह इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे. यह मेला आईसीएआर, नई दिल्ली की विभिन्न योजनाओं द्वारा प्रायोजित था. मेले में विभिन्न प्रकार की तकनीकों व मशीनों का प्रदर्शन किया गया. मेले में हरियाणा के अलगअलग गांवों के तकरीबन 1200 किसान शामिल हुए. इस अवसर पर पराली प्रबंधन मशीनरी जैसे कि हे रैक, स्ट्रा बेलर, पेडी चोपर, स्ट्रा रीपर, सब सौइलर, रोटावेटर, छोटे व नएनए ट्रैक्टरों वगैरह का प्रदर्शन किया गया.
कुलपति प्रो. केपी सिंह ने इस अवसर पर बोलते हुए खेती व खाद्य प्रसंस्करण में मशीनों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने पर जोर दिया. उन्होंने विश्वविद्यालय के सहयोग से किसानों को अपनी आय को दोगुना करने के लिए विभिन्न साधनों और उपकरणों का इस्तेमाल करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि किसानों को जरूरत के मुताबिक ही खाद व अन्य रसायन इस्तेमाल करने चाहिए. प्रो. सिंह ने किसानों से पराली प्रबंधन पर अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा ताकि उस को जलाने से होने वाले प्रदूषण से बचा जा सके. उन्होंने किसानों से धीरेधीरे जैविक खेती की ओर बढ़ने को कहा. उन्होंने गांवों में ज्यादा से?ज्यादा संख्या में बायोगैस संयंत्र, केंचुआ खाद और सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने पर भी जोर दिया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को अलगअलग विषयों जैसे पराली प्रबंधन, मिट्टी व जल प्रबंधन, गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतो का उपयोग, फलों व सब्जियों की छंटाई व वर्गीकरण, खाद्य प्रसंस्कण एवं मूल्य संवर्धन, बायोगैस संयंत्र, सोलर टनल ड्रायर, बायोमास चूल्हों वगैरह के बारे में जानकारी दी.
इस अवसर पर विद्यालय के दिग्गज डा. आर के जोरर व विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष और वैज्ञानिक मौजूद थे. इस मेले के मुख्य संयोजक इंजीनियर मुकेश जैन थे, जिन का सहयोग गुरु जम्म शक्ति ट्रस्ट के चेयरमैन विकास गोदारा ने किया.
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हादसा
कमी बताने वाले फौजी की अरजी खारिज
नई दिल्ली : सोशल मीडिया पर घटिया खाने की शिकायत करने के बाद चर्चा में आए सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) के जवान तेज बहादुर की दिक्कतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. पिछले दिनों बीएसएफ ने तेजबहादुर यादव की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अपील को नकार दिया?है. गौरतलब है कि तेजबहादुर ने सेना में खाने की क्वालिटी को ले कर सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाला था. इस की काफी चर्चा हुई थी और हंगामा भी हुआ था. इसी के बाद वीआरएस (मर्जी से रिटायर होना) के लिए आई तेज की अरजी को बीएसएफ ने खारिज कर दिया. इस सिलसिले में बीएसएफ का कहना है कि तेज बहादुर पर अनुशासनात्मक आधार पर इलजाम लगे हैं और उन पर कोर्ट आफ इंक्वायरी बाकी है. इसी वजह से उन की वीआरएस की दरखास्त मंजूर नहीं की जा सकती.
बीएसएफ के इस कदम को तेज के घर वालों ने गलत बताया है. तेज की पत्नी ने बताया कि उन के पति ने उन्हें फोन कर के बताया कि उन्हें डरायाधमकाया जा रहा है.
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दर्दनाक
किसान बना बाघ का शिकार
पीलीभीत : एक हादसा हाल ही में पीलीभीत में सामने आया. वहां के जंगल से बाहर आए खतरनाक बाघ ने एक मासूम किसान पर हमला कर के उस की जीवनलीला खत्म कर दी. घटना के वक्त शिकार होने वाले किसान के अलावा वहां कोई और नहीं था, पर लोगों का अंदाजा है कि घटना करीब 5 बजे सुबह हुई होगी. वन विभाग के अधिकारी घटना के करीब 5 घंटे बाद मौके पर पहुंचे, जबकि उन्हें सूचना काफी पहले मिल चुकी थी. माधोटांडा थाना क्षेत्र के गांव कुंवरपुर के रहने वाले किसान धनीराम ने गेहूं और मटर की फसल की देखभाल व रखवाली के लिए अपने खेत में ही झोंपड़ी बना रखी है. वह अपनी उसी झोंपड़ी में रात को सोया?था. सुबह धनीराम का बेटा नन्हें लाल पिता के लिए चाय ले कर आया तो उसे घटना की जानकारी हुई.
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तालीम
एनडीआरआई सिखाएगी डेरी फार्मिंग
करनाल (हरियाणा) : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की ओर से शुरू किए गए फार्मर फस्ट प्रोजेक्ट के तहत करनाल के राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) ने गढ़ी गुजरान, कमालपुर रोड़ान, चुरनी, खेड़ी मान सिंह और समौरा गांवों को गोद लिया है. इन गांवों के कम संसाधन वाले तकरीबन 1,000 परिवारों को डेरी फार्मिंग के गुर सिखा कर उन्हें डेरी क्षेत्र में फास्ट बनाया जाएगा. इस प्रोजेक्ट पर तकरीबन 80 लाख रुपए का खर्च आने की संभावना है, जिस की आईसीएआर?द्वारा स्वीकृति मिल गई है. क्लोनिंग के क्षेत्र में विश्वभर में ख्याति प्राप्त कर चुके इस संस्थान ने किसानों को कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में एक्सपर्ट बनाने के लिए गांवों में काम शुरू भी कर दिया है.
एनडीआरआई के वैज्ञानिक और फार्मर फस्ट प्रोजेक्ट के कोआर्डिनेटर डा. गोपाल सांखला ने बताया कि किसानों को प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग, पशु प्रबंधन, बागबानी और उन की देखरेख सहित पशुपालन से जुड़ी जानकारियां दी जाएंगी. यह सब बिल्कुल मुफ्त होगा. इस के लिए 8 से 10 वैज्ञानिकों के अलावा 3 अन्य लोगों का चुनाव भी किया गया है, जो पूरे 2 साल तक गांव में रह कर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार करेंगे. एनडीआरआई जिले के 5 किसानों को पशुपालन, बागबानी व कृषि से संबंधित हर क्षेत्र की ट्रेनिंग देगा. इस के लिए किसानों को 2 साल की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिस से किसान खुद का डेरी जगत से जुड़ा व्यवसाय आसानी से?स्थापित कर सकेंगे. माहिर और दिग्गज वैज्ञानिकों की टीम गांवों में जा कर किसानों को कृषि जगत से जुड़ी तमाम जानकारियां देगी.
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तालीम
फिल्में सिखाएंगी खेती के गुर
पटना : बिहार के किसानों को फिल्मों के जरीए खेती करने की नई तकनीक बताई जाएगी. इस के लिए किसानों के बीच फिल्मों के चिप बांटे जा रहे?हैं. चिप के जरीए किसान विभिन्न फसलों की खेती पर आधारित फिल्में अपने स्मार्ट फोन पर देख सकते हैं. बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने राज्य के 25 जिलों में इस योजना की शुरुआत की?है. पटना, गया, नवादा, जहानाबाद, नालंदा, अरवल, भोजपुर, औरंगाबाद, रोहतास, कैमूर, बक्सर, जमुई, मुंगेर, शेखपुरा, सुपौल, पूर्णियां, सहरसा, मधेपुरा, लखीसराय, कटिहार, किशनगंज, खगडि़या, भागलपुर, बांका, अररिया जिलों में पहले चरण में 100-100 किसानों को चिप दिए गए हैं. कृषि विज्ञान केंद्रों के जरीए चिप बांटने का काम चल रहा है. दूसरे चरण में और भी किसानों को चिप दिए जाएंगे. चिप में 20 तरह की फसलों की खेती के तौरतरीकों पर बनी फिल्में हैं. फिल्में 10 से 35 मिनट तक की हैं. फिल्म की भाषा इतनी आसान है कि किसानों को समझने में जरा भी दिक्कत नहीं होती है.
खेती के अलावा मुरगीपालन और बकरीपालन पर भी फिल्में बनी हैं. अजोला, चना, लीची, प्याज, मशरूम परवल, मक्का, स्ट्राबेरी, टमाटर, गेहूं, धान की उन्नत खेती के अलावा समेकित खेती, पौधशाला, प्रबंधन, मधुमक्खीपालन, मिट्टी जांच, बटेरपालन पर भी फिल्में बनाई गई?हैं. इस के साथ ही किसान पौली हाउस बनाने की तकनीक और तरीके पर भी फिल्में देख सकेंगे.
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मुहिम
रोजाना 3 करोड़ अंडों का उत्पादन
पटना : बिहार में अंडा उत्पादन को बढ़ाने की बिहार अंडा प्रचुरता मुहिम शुरू की गई है. इस मुहिम के तहत रोजाना 3 करोड़ अंडों के उत्पादन का दावा किया गया है. राज्य के पशुपालन और मत्स्य संसाधन मंत्री अवधेश कुमार सिंह इस मुहिम को लांच करेंगे. बिहार विद्यापीठ में अंडों पर हुए सेमिनार में विद्यापीठ के अध्यक्ष विजय प्रकाश ने कहा कि राज्य में हर रोज 2 करोड़ 80 लाख अंडों की खपत होती है, जबकि 10 लाख अंडों का ही उत्पादन हो पाता है. इतनी बड़ी कमी को पूरा करने के लिए आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से अंडे मंगवाने पड़त हैं. इतने बड़े पैमाने पर अंडों का आयात करने से रोजाना 10 करोड़ रुपए बिहार से बाहर चले जाते हैं. राज्य सरकार अंडा उत्पादन को बढ़ाने के लिए युवाओं को प्रोत्साहन देने के लिए कमर कस चुकी है.
इस के तहत 5000 अंडों के रोजाना उत्पादन की 1 यूनिट लगाने में 25 लाख रुपए की लागत आएगी. इस में इच्छुक युवक को 12 लाख रुपए लगाने पड़ेंगे और बाकी रकम नबार्ड और बैंकों द्वारा लोन के रूप में दी जाएगी. इस मुहिम के शुरू होने से लाखों लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा. अंडा उत्पादन की यूनिटों के लगने से चारा मिल, अंडा पैकिंग ट्रे और ट्रांसपोर्ट आदि का भी कारोबार भी काफी ज्यादा बढ़ जाएगा.
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तालीम
एनडीआरआई सिखाएगी डेरी फार्मिंग
करनाल (हरियाणा) : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की ओर से शुरू किए गए फार्मर फस्ट प्रोजेक्ट के तहत करनाल के राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) ने गढ़ी गुजरान, कमालपुर रोड़ान, चुरनी, खेड़ी मान सिंह और समौरा गांवों को गोद लिया है. इन गांवों के कम संसाधन वाले तकरीबन 1,000 परिवारों को डेरी फार्मिंग के गुर सिखा कर उन्हें डेरी क्षेत्र में फास्ट बनाया जाएगा. इस प्रोजेक्ट पर तकरीबन 80 लाख रुपए का खर्च आने की संभावना है, जिस की आईसीएआर द्वारा स्वीकृति मिल गई है. क्लोनिंग के क्षेत्र में विश्वभर में ख्याति प्राप्त कर चुके इस संस्थान ने किसानों को कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में एक्सपर्ट बनाने के लिए गांवों में काम शुरू भी कर दिया है. एनडीआरआई के वैज्ञानिक और फार्मर फस्ट प्रोजेक्ट के कोआर्डिनेटर डा. गोपाल सांखला ने बताया कि किसानों को प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग, पशु प्रबंधन, बागबानी और उन की देखरेख सहित पशुपालन से जुड़ी जानकारियां दी जाएंगी. यह सब बिल्कुल मुफ्त होगा. इस के लिए 8 से 10 वैज्ञानिकों के अलावा 3 अन्य लोगों का चुनाव भी किया गया?है, जो पूरे 2 साल तक गांव में रह कर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार करेंगे.
एनडीआरआई जिले के 5 किसानों को पशुपालन, बागबानी व कृषि से संबंधित हर क्षेत्र की ट्रेनिंग देगा. इस के लिए किसानों को 2 साल की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिस से किसान खुद का डेरी जगत से जुड़ा व्यवसाय आसानी से?स्थापित कर सकेंगे. माहिर और दिग्गज वैज्ञानिकों की टीम गांवों में जा कर किसानों को कृषि जगत से जुड़ी तमाम जानकारियां देगी.
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हालात
सब्जियों के लिए चौकीदार
लंदन : महंगाई के दौर में अकसर सब्जियां 100 रुपए प्रति किलोग्राम या उस से भी महंगी मिलती हैं, मगर मोटे तौर पर सब्जियों को सस्ती चीज माना जाता है और उन के लिए किसी गार्ड को तैनात करने की बात ख्वाब में भी सोची भी नहीं जाती. लेकिन ब्रिटेन के सुपर मार्केट में आजकल जगहजगह सब्जियों की हिफाजत के लिए गार्ड तैनात किए गए हैं. साथ ही वहां कई जगहों पर बोर्ड लगे हैं कि ‘कृपया एक व्यक्ति एक ही सब्जी खरीदे’. हाल ही में स्पेन में आए भयंकर तूफान और भयंकर बर्फबारी से ब्रिटेन में सब्जियों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. सब्जियों की कमी की वजह से ग्राहकों को कोई दिक्कत न हो और मार्केट में बदइंतजामी न होने पाए, इसलिए सब्जियों की हिफाजत के इंतजाम किए गए हैं.
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सुधार
सब्जी व दाल ने कम की महंगाई
नई दिल्ली : सब्जियों व दालों जैसी खाने की चीजों के दामों में आई कमी से इस साल जनवरी में खुदरा मूल्य आधारित मुद्रा सफीति (सीपीआई) की दर कम हो कर 3.17 फीसदी पर पहुंच गई. यह खुदरा महंगाई का 5 सालों का निचला स्तर है. हाल ही में सरकार की ओर से जारी आंकड़ों में यह बात सामने आई है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक इस जनवरी में खाद्य महंगाई दर कम हो कर 0.53 फीसदी रह गई, जबकि पिछले साल दिसंबर में यह दर 1.37 फीसदी थी. जनवरी 2016 में खुदरा महंगाई 5.69 फीसदी और दिसंबर में 3.41 फीसदी रही थी. आंकड़ों के मुताबिक इस साल जनवरी में सब्जियों की कीमतों में 15 फीसदी से ज्यादा और दालों के दामों में 6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई?है.
मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि फिलहाल तमाम आंकड़े साफ नहीं हैं. नवंबर में औद्योगिक उत्पादन में तेजी से इजाफा हुआ, जबकि दिसंबर में इस में गिरावट दर्ज की गई?है. इस महीने तीसरी तिमाही के आंकड़े आने के बाद रिजर्व बैंक उस पर गौर करते हुए कोई फैसला करेगा.
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आगाज
फ्यूचर कंज्यूमर की आलूभुजिया
मुंबई : टेस्टी ट्रीट नाम से कई तरह के स्नैक्स की मार्केटिंग करने वाली फ्यूचर कंज्यूमर लिमिटेड ने हाल ही में जोरशोर से अपना नया उत्पाद आलूभुजिया बाजार में उतारा है. यों तो बेसन व आलू की तमाम तरह की भुजिया बाजार में मौजूद है, मगर टेस्टी ट्रीट की भुजिया को कई अंतर्राष्ट्रीय फ्लेवरों में पेश किया गया है. आलूभुजिया की इस नई रेंज को पेरेपेरी, वैस्बी, बारबीक्यू और शेजवान के रूप मे पेश किया गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को लुभाया जा सके. भारतीय लोगों द्वारा भुजिया को काफी ज्यादा पसंद किया जाता है. वे जब भी अपने देश में कहीं जाते?हैं या देश से बाहर भी जाते हैं, तो अकसर अपने साथ आलूभुजिया ले जाना पसंद करते हैं. टेस्टी ट्रीट ने भारतीयों की मानसिकता को मद्देनजर रखते हुए इसे भारतीय व अंतर्राष्ट्रीय जायके के मिलेजुले रूप में पेश किया है. यकीनन आलू भुजिया के जरीए टेस्टी ट्रीट ने नमकीनों की दुनिया में जोरदार कदम रखा है.
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वादा
उत्तराखंड के किसानों के कर्ज माफ करेगी भाजपा
हरिद्वार : केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के किसानों से चुनावी वादा करते हुए कहा है कि अगर उत्तराखंड में भाजपा की सरकार आई तो किसानों के कर्ज माफ कर दिए जाएंगे. उन्होंने लड़कियों को ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्षा दिलाने का वादा भी किया है. हरिद्वार ग्रामीण के दुर्गागढ़ में हुई जनसभा को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में उत्तराखंड का गठन हुआ था, लेकिन 10 सालों के शासन में कांग्रेस ने सूबे की हालत खराब कर दी. राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तराखंड के किसानों के कर्ज पूरी तरह से माफ कर दिए जाएंगे और 1 साल का कृषि ऋण बिना ब्याज के देने का बंदोबस्त किया जाएगा, बशर्ते सूबे में भाजपा दल की ही सरकार बने. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपने तरीके से किसानों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, मगर आज के दौर के किसान ज्यादा नासमझ नहीं हैं. भाजपा का केंद्र सरकार के तौर पर किया जाने वाला प्रदर्शन कुछ खास नहीं है, लिहाजा राजनाथ की बातें कितनी कारगर होंगी यह जल्द ही पता चलेगा. ज्यादातर लोग तो अभी तक नोटबंदी का दर्द भूल नहीं पाए हैं.
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बेरुखी
किसान सम्मान को भूली सरकार
पटना : बिहार में किसानों को सम्मानित करने की योजना को सरकार भुला बैठी है. राज्य में उम्दा और अलहदा खेती कर के कामयाबी की नई कहानी लिखने वाले किसानों का हौसला बढ़ाने के लिए उन्हें सम्मानित करने की योजना पिछले कई सालों से फाइलों से बाहर नहीं निकल पा रही है. साल 2005 में बिहार में राजग की सरकार बनने के बाद किसानों को सम्मानित करने की योजना शुरू की गई?थी, पर अफसरों की लापरवाही, मनमानी और लूटखसोट की वजह से यह खटाई में पड़ गई है. एक बार किसानों को सम्म्मानित करने के बाद सरकार ने इसे बड़ा सिरदर्द मान कर ठंडे बस्ते में डाल दिया. सम्मान के लिए किसानों को चुनने की प्रक्रिया पर ही ढेरों सवाल खड़े किए गए और किसानों ने इस की खूब शिकायत भी की. इतना ही नहीं सम्मानित किए गए किसानों को मिलने वाली रकम में धांधली करने का भी आरोप लगा तो परेशान हो कर मुख्यमंत्री को कहना पड़ा कि इसे दोबारा शुरू करने से ले सारी व्यवस्था को दुरुसत कर लें, वरना इसे बंद कर दें, क्योंकि इस से सरकार और सम्मान योजना की बदनामी हो रही है.
कृषि मंत्री राम विचार राय कहते हैं कि किसानों को सम्मानित करने का काम जल्द ही शुरू किया जाएगा. इस के लिए केंद्र सरकार की किसान सम्मान योजना की जानकारी ली जा रही है और इसे फूलप्रूफ बनाने के बाद ही चालू किया जाएगा.
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योजना
किसानों को भाई फसलबीमा योजना
नई दिल्ली : फसलबीमा योजना को चालू हुए काफी वक्त बीत चुका?है और इस का जोरशोर से प्रचार होता रहा है. सत्ताधारी दल द्वारा जबतब बढ़ाचढ़ा कर इस का बखान किया जाता रहा है. अब तक देश के तमाम किसान इस योजना से वाकिफ हो चुके हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने हाल ही में कहा कि प्रधानमंत्री फसलबीमा योजना तेजी से लोकप्रिय हो रही है. उन्होंने कहा कि खरीफ सीजन में कुदरती आपदा से अपनी उपज को आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराने के लिए 1 करोड़ 10 लाख किसानों ने बीमा कवर लिया है. राधामोहन सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 75000 किसानों को 34 करोड़ बीमित रकम का भुगतान किया गया?है. यही वजह?है कि सरकार ने बजट में फसलबीमा के मद में करीब दोगुनी यानी 9000 करोड़ रुपए की रकम को मंजूरी दी है.
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आगाज
4 सिंचाई योजनाओं की शुरुआत
जहानाबाद : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दरधा नदी पर बनी 4 सिंचाई योजनाओं का उद्घाटन किया. इस से पटना, जहानाबाद और औरंगाबाद के 30000 हेक्टेयर खेतों को पानी मिलना चालू हो गया. जहानाबाद जिले के लिए सोलहांडा वीयर योजना से 900 हेक्टेयर खेतों तक पानी पहुंच सकेगा. पंतीत वीयर सिंचाई योजना का लाभ 8000 हेक्टेयर खेतों को मिलेगा. वहीं औरंगाबाद जिले की जगरनाथ सिंचाई योजना के चालू होने से 2140 हेक्टेयर में फैले खेतों की प्यास बुझ सकेगी. सभी योजनाओं ने काम करना शुरू कर दिया है. इस के साथ ही किसानों की मांग को देखते हुए नीतीश ने लवाइच बराज के ऊपरी हिस्से में एक और बराज के आकलन का निर्देश अफसरों को दिया है. इस की मांग साल 1990 से ही हो रही?है. इस बराज के बनने से 8000 हेक्टेयर में सिंचाई का पानी पहुंच सकेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में 59 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई कूवत विकसित की जा सकती है. फिलहाल 30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही सिंचाई कूवत विकसित है.
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मिड डे मील में मिला मरा चूहा
नई दिल्ली : राजधानी नई दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में मिड डे मील में मरा चूहा पाए जाने से दूरदूर तक हंगामा हो गया. शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर के इस मामले का खुलासा किया. उन्होंने इस बात की जानकारी भी दी कि चूहे से खराब हुए खाने को खाने से 9 मासूम बच्चे बीमार पड़ गए. सभी बीमार बच्चों को अस्पताल में दाखिल कराया गया. मनीष सिसोदिया ने खाने से जुड़े वेंडर के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराने की घोषणा की. उन्होंने घटना पर गहरा दुख जाहिर किया. सूत्रों के मुताबिक यह घटना देवली के सर्वोदय विद्यालय की है, जहां बच्चों को दिए जाने वाले दोपहर के खाने में मरा हुआ चूहा पाया गया, नतीजतन 9 बच्चे खाना खा कर बीमार पड़ गए. बच्चों को मालवीय नगर के मदन मोहन मालवीय अस्पताल में दाखिल कराया गया. मनीष ने बताया कि उन्होंने बीमार बच्चों व इलाज करने वाले डाक्टर से बात की है. सभी बच्चे खतरे से बाहर हैं. सरकार द्वारा मिड डे मील की सप्लाई करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है. शिक्षा विभाग ने इस खाना सप्लायर को काली सूची में डाल दिया है. घटना से नसीहत लेते हुए सरकार ने आइंदा से स्कूली बच्चों के लिए खाना बनाने वाली रसोई में सरकारी अफसरों की देखरेख जरूरी कर दी है.
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हालात
खेतों में नहीं घट रही है यूरिया की खपत
पटना : बिहार में यूरिया की खपत घटाने के लिए चल रही सरकारी मुहिम दम तोड़ रही है. यूरिया की खपत घटने के बजाय बढ़ती ही जा रही है. हालत यह है कि अब फास्फेटिक खादों की खपत भी बढ़ने लगी है. चिंता की बात यह है कि प्रति हेक्टेयर इस की खपत 30 किलोग्राम तक बढ़ गई है. इस से मिट्टी के बंजर होने का खतरा कई गुना बढ़ गया है. यूरिया की खपत के बढ़ने के बाद सरकार ने अब प्लेन यूरिया की जगह नीम कोटेड यूरिया मंगवाना शुरू किया?है, जिस से मिट्टी की सेहत परज्यादा बुरा असर नहीं हो पाता है. गांवों में कैंप लगा कर किसानों को बारबार यह सलाह दी जा रही है कि मिट्टी की जांच कराने के बाद जितनी जरूरत हो, उतनी ही खाद का इस्तेमाल करें. नियमित रूप से मिट्टी की जांच कराने और यूरिया का इस्तेमाल बंद करने के लिए सरकार पिछले 5-6 सालों से मुहिम चला रही है, इस के बाद भी किसान इस के प्रति जागरूक नहीं हो रहे हैं.
राज्य में साल 2014 में प्रति हेक्टेयर 130 किलोग्राम यूरिया की खपत होती थी, जो आज बढ़ कर 159 किलोग्राम हो चुकी है. यूरिया की खपत को कम करने के लिए मूंग और ढैंचा की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिस का किसानों पर खास असर नहीं हो रहा है. इन फसलों की खेती से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा खुदबखुद बढ़ जाती है. किसानों के मन में आज भी यही बात बैठी हुई है कि यूरिया के इस्तेमाल से ही पैदावार बढ़ती है. गौरतलब है कि साल 2003 में राज्य में 14 लाख टन खाद की खपत होती थी. साल 2014 में यह बढ़ कर 26 लाख टन हो गई और साल 2016 में यह आंकड़ा 30 लाख टन तक पहुंच गया है.
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निराशा
उत्पाद शुल्क के इजाफे से तंबाकू किसान हताश
नई दिल्ली : खेती से जुड़े मदों में सरकारी शुल्कों के कमज्यादा होने का सीधा असर किसानों पर पड़ता?है. किसान संगठनों ने हालिया बजट में सिगरेट और तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क के इजाफे पर खासी निराशा जाहिर की है. फेडरेशन आफ आल इंडिया फार्मर एसोसिएशन के महासचिव मुरली बाबू ने कहा कि इस कदम से तंबाकू किसानों की दिक्कतें बहुत ज्यादा बढ़ जाएंगी. इस से उन्हें रोजाना की जिंदगी गुजारने तक में दिक्कतें होंगी.
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मुहिम
झारखंड की कृषि नीति बनाने की मांग
रांची : झारखंड की अपनी कृषि नीति बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. पिछले कई सालों से झारखंड के किसान, पशुपालक और मछलीपालक सरकार से मांग कर रहे हैं कि राज्य की अपनी कृषि नीति बनाई जाए, उस के बाद ही खेती और किसानों की तरक्की हो सकती है. इस के साथ ही किसानों को किसानबीमा समेत माली मदद की व्यवस्था करने की भी गुहार लगाई गई है. किसान प्रतिनिधियों ने सरकार को ज्ञापन दे कर बताया कि पलामू जिले में पहले हर साल 1400 मिलीमीटर बारिश होती थी, जो घट कर 800 मिलीमीटर रह गई है. बारिश के पानी को जमा करने की जरूरत काफी बढ़ गई है. सरकार को चाहिए कि बड़े व्यास वाले कुएं बनाने में किसानों की मदद करे. पशुपालकों ने बैंक स्मार्ट कार्ड बनाने और नई उर्वरक नीति बनाने की भी मांग उठाई है. मछलीपालकों का कहना है कि मछलीपालन को बढ़ावा देने से काफी लोगों को रोजगार मिलेगा और मछली के मामले में राज्य आत्मनिर्भर भी होगा. राज्य में तालाबों की कमी को देखते हुए वैज्ञानिक तरीके से वैसे तालाब बनाने की दरकार है, जिन में पूरे साल पानी रह सके. खेती और माली मामलों के जानकारों का भी मानना?है कि किसानों और मजदूरों की साझेदारी से ही खेती और राज्य की तरक्की मुमकिन है. गांवों की तरक्की में ही सूबे और देश की तरक्की हो सकती है.
मधुप सहाय, भानु प्रकाश व बीरेंद्र बरियार
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सवाल किसानों के
सवाल : तरबूज की कौन सी किस्म लगाएं और उस में कौन सी खाद डालें? मल्चिंग कितने माइक्रोन की ठीक रहेगी?
-एसएमएस द्वारा
जवाब : तरबूज की सुगर बेबी, असाबी फयाटो, अर्का ज्योति, पूसा वेदाना, अर्का मानिक, दुर्गापुर मीठा वगैरह प्रजातियां लगा सकते?हैं. इस में 70 किलोग्राम नाइट्रोजन, 70 किलोग्राम फास्फोरस व 30 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें. 200 माइक्रोन मोटी पालीथिन की मल्चिंग ठीक रहेगी.
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सवाल : स्टीविया के बारे में जानकारी दें?
-एसएमएस द्वारा
जवाब : स्टीविया की पौध फरवरीमार्च में तैयार की जाती?है. इस के लिए प्रति हेक्टेयर 1 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है.
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सवाल : मैं ने पालीहाउस में शिमला मिर्च लगाई, जिस में वाइरस आ गया है. क्या करूं?
-जसबीर सिंह, एसएमएस द्वारा
जवाब : जिन पौधों में वाइरस आ गया है, उन को उखाड़ कर दबा दें या जला दें. आप सफेद मक्खी से फसल को बचाएं. इस के लिए 0.5 से 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोरोपिड प्रति लीटर पानी की दर से छिड़कें.
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सवाल : मक्के के साथ कौन सी सहफसल ले सकते हैं?
-गौरव, एसएमएस द्वारा
जवाब : मक्के के साथ मूंग, उड़द, लोबिया के अलावा कद्दूवर्गीय फसलें भी ले सकते?हैं.
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सवाल : लहसुन के पत्ते मुड़ रहे हैं. इस का इलाज बताएं?
-कंचन, एसएमएस द्वारा
जवाब : आप के सवाल से परेशानी का पता नहीं लग रहा. आप अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र में पौधा दिखा कर सही इलाज करें.
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सवाल : मेरे खेत में दीमक का हमला ज्यादा हो रहा है. इस का जैविक इलाज बताएं?
-तरुण किशोर, एसएसएस द्वारा
जवाब : दीमक के सफाए के लिए विवेरिया बेसियाना फंगस को गोबर में मिला कर डालें.
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सवाल : पपीते व करौंदे की रोपाई कब की जाती है. कौन सी वैरायटी ठीक रहेगी. बीज कहां से मिलेंगे. रोपाई की जानकारी भी दें?
-एसएमएस द्वारा
जवाब : पपीते की रोपाई मार्च के पहले हफ्ते में उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों मे कर सकते हैं. इसी के साथ करौंदा भी लगा सकते हैं. पपीते की पूसा नन्हा, पूसा डेलिसीयस व पूसा जाइंट प्रजातियां अच्छी हैं. इन के बीज आईएआरआई पूसा नई दिल्ली से ले सकते हैं.
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सवाल : मेरे कलमी बेरों में कीडे़ लग जाते हैं. इस का हल क्या है?
-नरेंद्र पटेल, इटारसी, मध्य प्रदेश
जवाब : 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से मेलाथियान का स्प्रे फल मक्खी रोकने के लिए करें.
डा. अनंत कुमार व डा. अरविंद कुमार
कृषि विज्ञान केंद्र, मुरादनगर, गाजियाबाद
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दिक्कत आप की दवा फार्म एन फूड की
खेतीकिसानी से जुड़ी अपनी समस्याएं हमें लिख कर भेजें. आप की समस्याओं का समाधान एक्सपर्ट करेंगे. समस्या के साथ अपना नाम व पता जरूर लिखें. आप हमें स्रूस् भी कर सकते हैं.
सवाल जवाब विभाग, फार्म एन फूड
ई-3, झंडेवालान एस्टेट, रानी झ्झांसी मार्ग, नई दिल्ली-55,
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