मिट्टी और पर्यावरण के सुधार में नीम बहुत ही अधिक माने रखता है. हाल के सालों में नीम के पेड़ के महत्त्व को देखते हुए सरकारों और समुदाय दोनों में जागरूकता आई है. यही वजह है कि नीम के पौधे रोपने पर अब जोर दिया जाने लगा है.

नीम के बीज से बनने वाला तेल फसलों के लिए एक प्राकृतिक कीटनाशक, बीमारीनाशक का काम करता है, इसलिए इस के महत्त्व को देखते हुए खाली जमीनों पर इस के पौधों की रोपाई पर जोर देने की जरूरत है.

नीम के पौधे के इसी महत्त्व को देखते हुए उर्वरक और रसायन मंत्रालय, भारत सरकार में अवर सचिव के पद पर काम कर रहे सचिन कुमार सिन्हा ने लोगों को नीम के पौधे रोपने के लिए न केवल प्रेरित करने का काम किया, बल्कि आज वे लोगों में हजारों नीम के पौधे का मुफ्त वितरण भी कर चुके हैं.

नीम के महत्त्व का पता उन्हें तब चला, जब उन्होंने देखा कि किसान अपने खेतों में कीट व बीमारियों के नियंत्रण के लिए निंबोली और उस की पत्तियों का उपयोग कर रहे हैं.

सचिन कुमार सिन्हा के मन में भी यह विचार आया कि अगर किसान और लोग अपने घरों के आसपास खाली पड़ी जमीनों, कालोनियों आदि में नीम के पौधे रोपें, तो यह न केवल पर्यावरण के सुधार में सहायक हो सकता है, बल्कि कम आय वर्ग के लोग निंबोली इकट्ठा कर के उसे मार्केट में बेच कर अच्छी आमदनी भी हासिल कर सकते हैं.

उन्होंने इस अभियान को शुरू ही किया था कि उर्वरक मंत्रालय में रहते हुए उन को नीमलेपित यूरिया को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई टीम का हिस्सा भी बनने का मौका मिला.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...