सरकारी बीज केंद्रों पर बीजों की भारी कमी, उन से खरीदने के झमेले और जरूरत के मुताबिक व समय पर बीज नहीं मिलने की वजह से परेशान किसान हर सीजन में प्राइवेट बीज कंपनियों से बीज खरीदने को मजबूर होते हैं. अकसर यह देखा गया है कि प्राइवेट बीज कंपनियों के दावों और सचाई में जमीनआसमान का फर्क होता है.

बिहार के शेखपुरा जिले के भदौंस गांव के किसान रामबालक सिंह प्राइवेट बीज कंपनी का बीज खरीद कर कर्ज में डूबे हुए हैं. वे बताते हैं कि पिछले साल उन्होंने 11 एकड़ में मक्के के बीज बोए. अच्छे पौधों के निकलने के बाद उन में बालियां भी आईं, लेकिन बालियों में दाने नहीं आए.

यह पूछने पर कि उन्होंने किस कंपनी के बीज खरीदे थे, वे कहते हैं, ‘पता नहीं, किस कंपनी के बीज थे, दुकानदार ने कहा था कि चुलबुलिया बीज है. इस से फसल समय से पहले और 25 फीसदी ज्यादा होगी.’

रामबालक की तरह ज्यादातर किसानों का यही हाल है. अनपढ़ होने की वजह से किसानों को पता ही नहीं चल पाता है कि वे किस कंपनी का बीज खरीद रहे हैं और बीज के पैकेट पर कंपनी का क्या दावा लिखा हुआ है? बीज को खेतों में लगाने, सिंचाई करने और

देखभाल करने के तरीके क्या हैं? क्याक्या सावधानियां बरतनी हैं? खरीदे गए बीज की रसीद लेने से क्या फायदा है? दुकानदार ने जो कह दिया, उसी पर आंखें मूंद कर किसान अमल करते हैं.

कृषि वैज्ञानिक ब्रजेंद्र मणि कहते हैं कि फसलों की पैदावार बढ़ाने में उन्नत बीजों की सब से बड़ी भूमिका होती है. अच्छे बीजों का इस्तेमाल कर के किसान फसलों की पैदावार में 20 से 30 फीसदी तक का इजाफा कर सकते हैं. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि किसानों को समय पर अच्छे बीज नहीं मिल पाते हैं और अकसर वे उम्दा किस्म के बीजों के नाम पर ठगे जाते हैं. इस से उन की पूंजी, मेहनत और समय बरबाद होता है. बिहार के किसानों को बीज बेचने वालों ने खासा चूना लगाया है. सूबे के कई इलाकों में धान, मक्का और आलू के घटिया बीजों ने किसानों की मेहनत और पूंजी पर पानी फेर दिया है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...