किसी जमीन पर एक तय समय तक फसलों को इस तरह हेरफेर कर उगाना, जिस से जमीन की उपजाऊ ताकत को नुकसान न हो, फसल चक्र कहलाता है. लगातार कई सालों से धानगेहूं फसल चक्र से मिट्टी की उपजाऊ ताकत व जैव पदार्थों में तेजी से गिरावट आई है. साथ ही खास प्रकार के घास कीट व रोगों का असर बढ़ रहा है, जिस से उपज व गुणवत्ता में कमी आती जा रही है. लिहाजा फसलों को हेरफेर कर उगाने से जमीन व किसान दोनों को ही फायदा होता है. आमतौर पर फसल चक्रों को निम्न 4 भागों में बांटा जा सकता है.
* ऐसे फसल चक्र जिन के पहले या बाद में खेत को परती छोड़ा जाता है जैसे धान परती.
* वे फसल चक्र जिन में मुख्य फसल के पहले या बाद में हरी खाद उगा कर मिट्टी में मिला देते हैं जैसे हरी खाद धानगेहूं.
* ऐसे फसल चक्र जिन में वायुमंडल से नाइट्रोजन ले कर जमीन में मिलाने के लिए दलहनी फसलों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे धानमटरलोबिया (चारा).
* जमीन की उपजाऊ ताकत का ध्यान न रखते हुए थोड़े समय के लिए अनाज की फसल के बाद अनाज की फसल उगाना जैसे धानगेहूं, मक्काधान.
फसल चक्र से लाभ
* जमीन की उपजाऊ ताकत बनी रहती है, जिस से पोषक तत्त्व लंबे समय तक मौजूद रहते हैं और उत्पादन बढ़ जाता है. इस के लिए गहरी जड़ वाली फसल के बाद उथली जड़ वाली फसल की बोआई करनी चाहिए.
* फसल चक्र में दलहनी फसल अपनाने से नाइट्रोजन उर्वरक की बचत होती है, क्योंकि इस की जड़ों में गांठें होती हैं जो वातावरण से नाइट्रोजन सोख कर फसलों को देती हैं.
* फसल चक्र अपनाने से खरपतवार व कीटबीमारियों का असर कम होने से खरपतवारनाशी व पेस्टीसाइड पर खर्च कम किया जा सकता है.
* सालभर आमदनी होती है व फसल उत्पाद की गुणवत्ता अच्छी होती है.
* जमीन की नमी रोक कर दूसरी फसल को दी जा सकती है.
* खेती की तमाम जरूरतों को पूरा करना मुमकिन है, इस से मिश्रित खेती को बढ़ावा मिलता है.
ध्यान रखने लायक बातें
* जमीन का प्रकार, फसल की किस्म, उस में लगने वाला वक्त व जरूरी चीजों की मौजूदगी.
* फार्म पर पशुओं की तादाद व नस्ल.
* कीटबीमारियों का प्रकोप व समय की जानकारी.
* उत्पाद की कीमत, मौजूदगी व यातायात की सुविधा.
* मजदूर की कीमत व मौजूदगी और बाजार की मांग.
अच्छे फसल चक्र के गुण
* फसल चक्र अपनाने लायक हो जो मिट्टी, जलवायु और पैसे के लिहाज से ठीक हो.
* फसल चक्र में जमीन का पूरा इस्तेमाल हो.
* फसल चक्र में जमीन की उर्वराशक्ति बढ़ाने वाली फसल शामिल हो, जिस से जमीन में जीवांश पदार्थ की मात्रा बढ़ सके.
* पशुओं के लिए सालभर पोषणयुक्त हरा चारा मिल सके.
* उत्पादन लागत कम करने के लिए जरूरी चीजों व मजदूरों का पूरा इस्तेमाल हो.
* फसल चक्र में उस इलाके की सब से ज्यादा फायदा देने वाली नकदी फसल ज्यादा बड़े रकबे में होनी चाहिए.
फसल चक्र का मिट्टी में असर
* बाजरा में अरहर, मूंगफली से बाजरा चना के मुकाबले कम मिट्टी का नुकसान (80 से 90 फीसदी).
* दलहन खाद्यान्न व खाद्यान्न दलहन फसल चक्र मिट्टी में जीवाणुओं को बढ़ाता है.
* मिट्टी की नमी के आधार पर फसल चक्र अपनाना चाहिए, जैसे खरीफ में परती के स्थान पर बाजरा, ज्वार, दलहनी मूंगफली को बोना चाहिए. रबी में सामान्य से गहरी जड़ वाली फसल में नमी रोकने की कूवत ज्यादा होती है.
फसल चक्र आकलन
फसल सूचांक : फसल की संख्या/ कुल समय ×100
शुद्ध आय : कुल आय-उत्पादन लागत
लागत लाभ अनुपात : कुल आय/कुल खर्च
डा. हंसराज सिंह, डा. विपिन कुमार, डा. अरविंद कुमार, डा. अनंत कुमार व डा. पीएस तिवारी (कृषि विज्ञान केंद्र, मुरादनगर, गाजियाबाद)