केंद्र सरकार की नई कृषि नीति

भारत का सिंचित क्षेत्र होगा दोगुना

नई दिल्ली : इस बात में शक नहीं कि काफी पुरानी हो चुकी वर्तमान नई सरकार भी कृषि के मामलों को काफी तवज्जुह दे रही है. वैसे भी कृषि के सहारे खुद की तरक्की करना हर सरकार का खास फार्मूला रहा?है. अंदरूनी वजह जो भी हो, मगर कृषि की तरक्की की अहमियत से इनकार नहीं किया जा सकता. केंद्र की नई कृषि नीति भी खासी आकर्षक कही जा सकती है. भारत के कृषि क्षेत्र के हाल फिलहाल ज्यादा अच्छे नहीं कहे जा सकते. हालात बिगाड़ने में कुदरत का सहयोग भी काफी ज्यादा रहा है. बहरहाल हिंदुस्तान के कृषि क्षेत्र को नया जीवन देने के लिए गठित की गई टास्कफोर्स के माहिर इस बात पर एकदूसरे की राय से सहमत हैं कि पानी और बिजली की कीमत को ले कर वर्तमान नीतियां पानी के दोषपूर्ण यानी गलत इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही?हैं. इस वजह से काफी पानी बरबाद हो रहा?है. इसी वजह से माहिरों का दल एक नई नीति पर काम कर रहा?है. उम्मीद की जा रही?है कि यह नीति मौजूदा पानी संसाधन के साथसाथ सिंचित इलाके को दोगुना कर देगी. सूत्रों के मुताबिक टास्कफोर्स कृषि की ग्रोथ में इजाफे के लिए आनुवांशिक तौर पर संशोधित बीजों यानी जीएम बीजों के इस्तेमाल और न्यूनतम फसल समर्थन मूल्य सुधारों की संभावनाएं भी खोज रही?है. इस काम के लिए विशेषज्ञों के पैनल का गठन नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या की अगवाई में किया गया?है.

एक पत्र में टास्क फोर्स ने कहा है कि भारत को ऐसे इलाकों में, जहां पुरानी तकनीक तिलहन व दालों की खेती में पैदावार के मोरचे पर मुनासिब नतीजे नहीं दे रही है, वहां जरूरी हिफाजत के तरीकों के साथ ट्रांसजेनिक बीजों की किस्मों के इस्तेमाल की उम्मीदें खोजनी चाहिए. टास्कफोर्स ने अपने पत्र में बताए गए तरीकों पर सूबों, किसानों, कारोबारियों और जनता की राय मांगी है, ताकि जरूरत के मुताबिक उन में सुधार किया जा सके. विचारपत्र के मुताबिक भारत में बीटी काटन और विश्व के अन्य हिस्सों में जीएम बीजों ने कृषि में उत्पादकता को बड़े पैमाने पर बढ़ाने में जीएम तकनीक के इस्तेमाल से जुड़ी उम्मीदों को साबित किया?है. पत्र में खुलासा किया गया?है कि ट्रांसजेनिक बीजों की किस्में इनसान की सेहत और पर्यावरण पर कीटनाशकों के खराब असर, खाद्य सुरक्षा तथा खाने में विटामिनों व पोषक तत्त्वों की कमी जैसी दिक्कतों का हल करने में बेहद मददगार साबित हो सकती?है. शुरुआती तौर पर चुने गए खास जिलों में परीक्षण के लिए काटन की फसल को लिए जाने की उम्मीद है. परीक्षण के अच्छे नतीजे आने के बाद मामल आगे बढ़ सकेगा और दूसरी तमाम फसलें भी कसौटी पर परखी जाएंगी. इसी प्रकार से टास्कफोर्स ने उर्वरक वगैरह चीजों के लिए किसानों की सब्सिडी पर सीधे हस्तांतरण पर जोर दिया है, ताकि उन्हें इस मामले में किसी किस्म की दिक्कत का सामना न करना पड़े.

टास्कफोर्स का कहना?है कि इस मुहिम के लिए लैंडलीजिंग कानून को बनाया जाना निहायत जरूरी?है. कुल मिला कर केंद्र की नई कृषि नीति फिलहाल सही दिशा में बढ़ती नजर आ रही?है. कम से कम खेती के मामले में केंद्र के रुख की तारीफ की जानी चाहिए. भले ही देश के अन्य मोरचों पर केंद्र सरकार की फजीहत हो रही?है, मगर खेती के मामले में केंद्र का रुख सही?है.?  

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लोकसभा से चीनी उपकर बिल मंजूर

नई दिल्ली : इसे गन्ना किसानों के लिहाज से खुशी की बात कहा जा सकता?है कि उन्हें राहत देने वाले चीनी उपकर संशोधन विधेयक, 2015 को लोकसभा ने पारित कर दिया है. इस बिल में चीनी उपकर की सीमा को 25 रुपए से बढ़ा कर 200 रुपए प्रति क्विंटल किए जाने का प्रावधान है. इस के साथ ही केंद्र सरकार ने 100 रुपए चीनी उपकर बढ़ाने का फैसला लिया है.  इस से चीनी के मूल्य में 1 रुपया प्रति किलोग्राम का इजाफा होगा, मगर यह रकम गन्ना किसानों को बकाया चुकाने और गन्ना कारोबार को सहारा देने में खर्च की जाएगी. फिलहाल चीनी उपकर की सीमा 25 रुपए है, जबकि सरकार ने प्रति क्विंटल 24 रुपए का उपकर लगाया हुआ?है. अब चीनी पर उपकर बढ़ कर 124 रुपए प्रति क्विंटल हो जाएगा. इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अविनाश वर्मा का कहना है कि इस बिल का प्रावधान सरकार को चीनी पर उपकर लगाने की शक्ति देने के लिए?है, मगर सरकार 200 रुपए उपकर नहीं लगा सकती?है. ऐसा करना किसी लिहाज से मुनासिब नहीं होगा. बहरहाल, लोकसभा से चीनी उपकर संशोधन बिल पारित होने से इस बात की उम्मीद जगी है कि जल्दी ही गन्ना उत्पादन क्षेत्र की तमाम चुनौतियां कम हो जाएंगी. इस से एक तरफ किसानों को काफी राहत मिलेगी, तो दूसरी तरफ चीनी मिल मालिकों के लिए भी आर्थिक सहूलियतें बेहतर होंगी.

खराब वक्त में सरकार ने यह कदम गन्ना किसानों को प्रति क्विंटल साढ़े 4 रुपए अतिरिक्त देने के लिए खासतौर पर उठाया है. आगामी मार्च यानी मार्च 2014 से यह रकम सीधे गन्ना किसानों के बैंकखातों में भेजी जाएगी. यकीनन बदहाली का लंबे अरसे से लगातार सामना कर रहे किसानों के लिए यह मामूली मदद ही होगी, पर तबाही के आलम में थोड़ा सहारा भी कम नहीं होता. लंबे अरसे से करोड़ों रुपए का बकाया भुगतान पाने की बाट जोह रहे तमाम गन्ना किसानों को पूरी तरह से राहत कब मिलेगी, इस का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है.      

            

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हालात

काटन के दाम में इजाफा

नई दिल्ली : कुछ अरसा पहले तक काटन की कीमत 3800 से 3900 रुपए प्रति क्विंटल चल रही?थी, जो अब उछल कर 4100 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है.

कन्फे डरेशन आफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (सिटी) के पूर्व महासचिव और काटन विशेषज्ञ डीके नागर के मुताबिक पाकिस्तान इस साल 10 लाख बेल्स (1 बेल्स=170 किलोग्राम) काटन का आयात भारत से करेगा. यह किसानों के लिए राहत वाली बात होगी. मजेदार तथ्य यह?है कि चीन से होने वाली काटन की मांग में आई गिरावट के बावजूद काटन के दाम बढ़ रहे?हैं. इस का कारण पाकिस्तान व बांग्लादेश से काटन की मांग में बढ़ोतरी होना?है. दूसरी ओर घरेलू स्तर पर काटन के उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले गिरावट होने से भी इस के दाम बढ़े?हैं. काटन में तेजी की वजह से गारमेंट के दाम में गिरावट की उम्मीद खत्म हो गई?है. कुल मिला कर काटन के दाम बढ़ने से काटन किसानों को तो राहत मिलेगी ही. डीके नायर का कहना है कि काटन के दाम में इजाफा होने से यार्न (धागा) उद्योग पर असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि अभी काटन का पीक सीजन चल रहा?है. इस साल 375 लाख बेल्स काटन का उत्पादन होने का अदाजा है, जबकि पिछले साल 387 लाख बेल्स काटन पैदा हुआ था. ‘काटन कारपोरेशन आफ इंडिया’ के मुताबिक काटन की कीमत में और इजाफा हो सकता?है. काटन उगाने वालों के लिहाज से दामों में इजाफा होना फायदे वाली बात?है. इस से उन्हें अपना उत्पादन बढ़ाने का हौसला मिलेगा.        

फैसला

तय होगी बीटी काटन बीज की कीमत

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने आने वाली मार्च 2016 से एक जैसी अधिकतम बिक्री कीमत तय कर के आनुवंशिक तौर पर संशोधित किस्मों सहित कपास के बीजों के दामों को भी नियंत्रित करने का अहम फैसला लिया?है. अचानक उठे सरकार के इस कदम से ग्लोबल हाईब्रिड बीज कंपनी मानसेंटों को करारा झटका जोर से लग सकता है और इस से उस की आमदनी पर भी खासा असर पड़ सकता?है. कृषि मंत्रालय द्वारा जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक मंत्रालय ने रायल्टी या ट्रेट वैल्यू सहित बीज वैल्यू और लाइसेंस शुल्क तय करने और उस का नियमन करने का अहम फैसला किया है. मौजूदा वक्त में बीटी काटन बीज को देश की अलगअलग जगहों में अलगअलग दामों पर बेचा जा रहा?है. हरियाणा और पंजाब में 450 ग्राम बीटी काटन बीज के 1 पैकेट की कीमत 1000 रुपए है. इसी तरह महाराष्ट्र में 450 ग्राम का बीटी काटन बीज का पैकेट 830 रुपए की दर से बेचा जा रहा?है.         

सुधार

चावल जमाकेंद्रों में होगा इजाफा

पटना : बिहार में धान की खरीद के बाद उस की कटाई और चावल बनाने के पूरे सिस्टम को सही करने की कवायद शुरू की गई?है. धान खरीद के बाद पैक्सों को यह जिम्मेदारी भी दी गई है कि वे उस का सीएमआर (समतुल्य चावल) बना कर राज्य खाद्य निगम को सौंप दें. इस के लिए अलग से चावल संग्रहण केंद्र खोला जाएगा. कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस साल राज्य में कम बारिश होने की वजह से धान और चावल की गुणवत्ता के कमजोर होने का अनुमान है, इसलिए संग्रहण केंद्र में रखे जाने वाले चावल खराब न हों, इस के लिए खास इंतजाम किया जाएगा. जमा केंद्रों पर ही बड़े गोदामों की?व्यवस्था की गई?है. राज्य के मुख्य सचिव अंजनी सिंह ने इस बारे में सभी जिलों के कमिश्नरों और जिलाधीशों को मौनेटरिंग के निर्देश दिए हैं. चावल मिलों से चावल की ढुलाई का काम पैक्सों और व्यापार मंडलों को सौंपा गया?है. गौरतबल है कि इस साल 30 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा गया है और इस में से 27 लाख मीट्रिक टन की खरीद पैक्सों और व्यापार मंडलों को करनी?है. पंचायत लेवल पर पैक्स, अनुमंडल लेवल पर राज्य खाद्य निगम और प्रमंडल लेवल पर व्यापार मंडल के केंद्रों पर धान की खरीद की जाएगी. वहीं बिहार भाजपा के अध्यक्ष मंगल पांडे ने सरकार पर यह आरोप लगाया है कि राज्य में 40 फीसदी धान की कटाई हो चुकी?है, मगर अभी तक धान की खरीद का काम शुरू नहीं हुआ?है. इस वजह से किसानों को रबी की फसलों की तैयारी में दिक्कतें पैदा हो रही?हैं. 

कामयाबी

9 पंचायतें खुले में शौच से मुक्त

पटना : बिहार के 7 जिलों में 9 पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त पंचायत का दर्जा मिल गया?है. उन गांवों के सभी घरों में शौचालय बन गए हैं. गौरतलब?है कि लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने मार्च 2016 तक 100 पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य रखा था. राज्य के खगडि़या जिले के गोगरी ब्लाक की रामपुर पंचायत को सब से पहले 10 अगस्त, 2015 को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया था. उस के बाद गोगरी ब्लाक की ही गोगरी बोरना पंचायत को 16 अक्तूबर को खुले में शौच से मुक्त का दर्जा दिया गया. इन के साथ ही गोपालगंज की जिगना जगन्नाथ, मुजफरपुर की पैगंबरपुर, बेगूसराय की अमरपुर, वैशाली की मझौली, समस्तीपुर की हरपुर सैदाबाद और पश्चिम चंपारण की राजलखौरा पंचायतों को पूरी तरह से शौच मुक्त होने का सेहरा मिला?है. पीएचईडी और यूनिसेफ द्वारा मिल कर चलाई जा रही शौच मुक्त पंचायत जागरूकता मुहिम धीरेधीरे सही नतीजे ला रही?है. यह तरक्की सूबे के लिए फख्र की बात?है.    

मुसीबत

महंगाई की चपेट में खानेपीने की चीजें 

नई दिल्ली : मानसून ठीक न होने व जबतक कुदरत का कहर होने की वजह से खानेपीने की चीजों पर खास असर पड़ा है. खानेपीने की चीजों की कीमतों में थोक व खुदरा दोनों ही स्तरों पर इजाफा दर्ज किया गया?है. खुदरा महंगाई का यह 14 महीनों का सब से ऊंचा स्तर है. नवंबर में खानेपीने के थोक दाम में 5.20 फीसदी का इजाफा रहा, तो खुदरा दाम इस बीच 6.07 फीसदी के स्तर पर पहुंच गए. नवंबर में खानेपीने के सामान महंगे होने से?थोक महंगाई दर 1.99 फीसदी के स्तर पर आ गई. गौरतलब है कि इस साल अक्तूबर में थोक महंगाई दर 3.81 फीसदी?थी. अक्तूबर में ही थोक खाद्य महंगाई दर 2.44 फीसदी थी. नवंबर में खुदरा महंगाई दर 5.41 फीसदी रही, जबकि इसी साल अक्तूबर में खुदरा महंगाई दर 5 फीसदी?थी. 2014 नवंबर में खुदरा महंगाई दर 3.27 फीसदी थी.सरकार के आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में सब से ज्यादा दाल के दामों में इजाफा रहा. दाल की कीमत में पिछले साल के नवंबर के मुकाबले 58.17 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया, जबकि अक्तूबर में दाल के दामों में 52.98 फीसदी का इजाफा हुआ  था. नवंबर में दाल के साथ प्याज के दामों में भी 52.69 फीसदी का इजाफा हुआ. सब्जी की कीमतों में इस बीच 14.08 फीसदी की बढोतरी दर्ज की गई. नवंबर में दाल की खुदरा महंगाई दर 46.68 फीसदी रही. नवंबर में ही सब्जी की खुदरा महंगाई दर 4 फीसदी रही. सूत्रों के मुताबिक नवंबर में गेहूं के दामों में 4.53 फीसदी का इजाफा रहा. इसी दौरान दूध के दामों में 1.58 फीसदी का इजाफा रहा. अलबत्ता आलू के दामों में इस बीच बीते साल के नवंबर के मुकाबले 53.72 फीसदी की गिरावट रही. इसी तरह चीनी के थोक दामों में नवंबर में 11.16 फीसदी की गिरावट रही. एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ का कहना?है कि खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ाने में दाल की भूमिका सब से ज्यादा है और गुजरे 2 महीनों में सब्जी की कीमतों में भी इजाफा दर्ज किया गया है.

अभीक अरुआ ने कहा कि साल 2007-08 के दौरान महंगाई दर में जो इजाफा शुरू हुआ था, वह दाल के दाम से ही हुआ था. उस के बाद से महंगाई दर लगातार बढ़ती ही चली गई. महंगाई बढ़ने का वह घातक सिलसिला बदस्तूर जारी?है और इस पर काबू पाना आसान नहीं?है.       

सेहत

उम्दा है गरम नीबूपानी

नई दिल्ली : सर्दी के मौसम में रोजाना गरम नीबूपानी पीना इनसान की सेहत के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है. सेहत से संबंधित वेबसाइट डीवाईएलएन के मुताबिक रोजाना गरम नीबूपानी पीने से सेहत में काफी सुधार होता है.इस में विटामिन सी और एंटीआक्सीडेंट काफी मात्रा में पाए जाते?हैं, जो कोलेजन का स्तर बढ़ाने के अलावा त्वचा को बूढ़ी होने से बचाता?है. इस के अलावा सूरज की रोशनी और प्रदूषण से भी त्वचा महफूज रहती है. शोध करने वालों का कहना?है कि नीबूपानी से मोटापा घटने के साथसाथ कोलेस्ट्राल भी कम होता?है और ताजगी बनी रहती?है.        

भारत का सिंचित…

नई दिल्ली : इस बात में शक नहीं कि काफी पुरानी हो चुकी वर्तमान नई सरकार भी कृषि के मामलों को काफी तवज्जुह दे रही है. वैसे भी कृषि के सहारे खुद की तरक्की करना हर सरकार का खास फार्मूला रहा?है. अंदरूनी वजह जो भी हो, मगर कृषि की तरक्की की अहमियत से इनकार नहीं किया जा सकता. केंद्र की नई कृषि नीति भी खासी आकर्षक कही जा सकती है. भारत के कृषि क्षेत्र के हाल फिलहाल ज्यादा अच्छे नहीं कहे जा सकते. हालात बिगाड़ने में कुदरत का सहयोग भी काफी ज्यादा रहा है. बहरहाल हिंदुस्तान के कृषि क्षेत्र को नया जीवन देने के लिए गठित की गई टास्कफोर्स के माहिर इस बात पर एकदूसरे की राय से सहमत हैं कि पानी और बिजली की कीमत को ले कर वर्तमान नीतियां पानी के दोषपूर्ण यानी गलत इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही?हैं. इस वजह से काफी पानी बरबाद हो रहा?है. इसी वजह से माहिरों का दल एक नई नीति पर काम कर रहा है. उम्मीद की जा रही है कि यह नीति मौजूदा पानी संसाधन के साथसाथ सिंचित इलाके को दोगुना कर

देगी. सूत्रों के मुताबिक टास्कफोर्स कृषि की ग्रोथ में इजाफे के लिए आनुवांशिक तौर पर संशोधित बीजों यानी जीएम बीजों के इस्तेमाल और न्यूनतम फसल समर्थन मूल्य सुधारों की संभावनाएं भी खोज रही?है. इस काम के लिए विशेषज्ञों के पैनल का गठन नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या की अगवाई में किया गया?है. एक पत्र में टास्क फोर्स ने कहा है कि भारत को ऐसे इलाकों में, जहां पुरानी तकनीक तिलहन व दालों की खेती में पैदावार के मोरचे पर मुनासिब नतीजे नहीं दे रही है, वहां जरूरी हिफाजत के तरीकों के साथ ट्रांसजेनिक बीजों की किस्मों के इस्तेमाल की उम्मीदें खोजनी चाहिए.

टास्कफोर्स ने अपने पत्र में बताए गए तरीकों पर सूबों, किसानों, कारोबारियों और जनता की राय मांगी है, ताकि जरूरत के मुताबिक उन में सुधार किया जा सके. विचारपत्र के मुताबिक भारत में बीटी काटन और विश्व के अन्य हिस्सों में जीएम बीजों ने कृषि में उत्पादकता को बड़े पैमाने पर बढ़ाने में जीएम तकनीक के इस्तेमाल से जुड़ी उम्मीदों को साबित किया है. पत्र में खुलासा किया गया?है कि ट्रांसजेनिक बीजों की किस्में इनसान की सेहत और पर्यावरण पर कीटनाशकों के खराब असर, खाद्य सुरक्षा तथा खाने में विटामिनों व पोषक तत्त्वों की कमी जैसी दिक्कतों का हल करने में बेहद मददगार साबित हो सकत है. शुरुआती तौर पर चुने गए खास जिलों में परीक्षण के लिए काटन की फसल को लिए जाने की उम्मीद है. परीक्षण के अच्छे नतीजे आने के बाद मामला आगे बढ़ सकेगा और दूसरी तमाम फसलें भी कसौटी पर परखी जाएंगी.

इसी प्रकार से टास्कफोर्स ने उर्वरक वगैरह चीजों के लिए किसानों की सब्सिडी पर सीधे हस्तांतरण पर जोर दिया है, ताकि उन्हें इस मामले में किसी किस्म की दिक्कत का सामना न करना पड़े. टास्कफोर्स का कहना?है कि इस मुहिम के लिए लैंडलीजिंग कानून को बनाया जाना निहायत जरूरी?है. कुल मिला कर केंद्र की नई कृषि नीति फिलहाल सही दिशा में बढ़ती नजर आ रही?है. कम से कम खेती के मामले में केंद्र के रुख की तारीफ की जानी चाहिए. भले ही देश के अन्य मोरचों पर केंद्र सरकार की फजीहत हो रही?है, मगर खेती के मामले में केंद्र का रुख सही है.   

राहत

गन्नाकिसानों को 4.5 रुपए उत्पादन सब्सिडी

नई दिल्ली : सरकार ने गन्नाकिसानों को साढ़े 4 रुपए प्रति क्विंटल की दर से उत्पादन सब्सिडी देने का फैसला किया है. यह सब्सिडी 2015-16 सीजन के लिए मंजूर की गई है. इस सब्सिडी की रकम का भुगतान सीधे किसानों के खातों में किया जाएगा. सरकार के इस कदम से पैसों की कमी से परेशान किसानों को काफी राहत मिलेगी. गौरतलब है कि चालू सीजन में गन्ने का एफआरपी 230 रुपए प्रति क्विंटल है. आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) ने इस सिलसिले में फैसला लिया है. बाजार में चीनी की कीमत कम होने की वजह से चीनी मिलें नकदी की कमी का सामना कर रही हैं. तमाम चीनी मिलों को करीब 6500 करोड़ रुपए का भुगतान गन्ना किसानों को करना बाकी है. सीसीईए की मीटिंग के बाद ऊर्जा एवं कोयला राज्यमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि बकाया घटाने के साथसाथ गन्नाकिसानों के समर्थन के लिए सरकार डब्ल्यूटीओ के मुताबिकयोजना ले कर आई?है. उत्पादन सब्सिडी से सरकार गन्ना की लागत समायोजित करेगी और किसानों को समय पर गन्ने के मूल्य का भुगतान आसान बनाएगी. गन्नाकिसानों को इस सब्सिडी से करीब 1147 करोड़ रुपए का लाभ होगा.                                                                                            

सुधार

प्याज की निर्यात कीमत घटी

नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली सहित अब देश भर में प्याज का हंगामा थम सा गया है. इस बीच केंद्र सरकार ने प्याज का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (एमईपी यानी न्यूनतम निर्यात दर) 700 डालर प्रति टन से घटा कर 400 डालर कर दिया है. केंद्र के इस कदम से प्याज के निर्यात पर काफी असर पडे़गा. विदेशी व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की तरफ से जारी की गई अधिसूचना में कहा गया है कि प्याज की तमाम किस्मों के निर्यात के लिए एमईपी 700 डालर से संशोधित कर के 400 डालर प्रति टन कर दिया गया है. एमईपी वह दर है, जिस के नीचे किसी व्यापारी को निर्यात करने की इजाजत नहीं होती है. एमईपी में इजाफे से निर्यात घट जाता है. इस से घरेलू आपूर्ति बढ़ जाती है. बीत अगस्त महीने (2015) में केंद्र सरकार ने प्याज की एमईपी को 425 डालर से बढ़ा कर 700 डलर प्रति टन कर दिया था, ताकि ज्यादा प्याज बाहर न भेजा जा सके. उस समय बेमौसम बारिश के कहर से प्याज का उत्पादन काफी कम हो गया था. इसी वजह से प्याज की थोक व खुदरा कीमतें अचानक बहुत ज्यादा बढ़ गई थीं. अब चूंकि प्याज का संकट टल चुका है, लिहाजा प्याज के कारोबारियों का भला करने के लिए केंद्र ने निर्यात कीमत कम कर दी है. इस बार भी प्याज ने देश भर के लोगों को एक लंबे अरसे तक हिला कर रख दिया था. आमतौर पर प्याज छीलनेकाटने में आंखों से आंसू निकल आते?हैं, मगर इस बार के हालात ने लोगों को खून के आंसू रुला दिया था. अब प्याज की तबाही थम गई है, तो सरकार ने भी प्याज के कारोबारियों को कमाई का मौका दे दिया?है.  

खोज

शुगर के मरीजों के लिए चावल

रायपुर : आमतौर पर चावल खाना ज्यादातर लोगों को पसंद होता?है. बिहारी, बंगाली और मद्रासी (यानी दक्षिण भारतीय) लोग तो चावल के बगैर रह ही नहीं पाते. मगर किसी को शुगर यानी डायबिटीज की बीमारी हो जाने पर तमाम मीठी चीजों के साथसाथ आलू व चावल खाने पर भी पाबंदी लग जाती?है. मगर अब शुगर के मरीज भी आराम से चावल का लुत्फ उठा सकेंगे. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने धान की एक ऐसी किस्म खोजी?है, जिस में निम्न ग्लीसेमिक इंडेक्स (जीआई) होता?है. जीआई के जरीए ही खून में शुगर की मात्रा पर किसी खाद्य पदार्थ के असर को सही तरीके से मापा जाता?है. वैज्ञानिकों की इस खोज से न केवल शुगर के मरीजों को फायदा होगा, बल्कि आम लोगों के लिए भी यह चावल मुफीद डाइट साबित होगा.

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्लांट मालेकुलर एंड बायोटेक्नोलोजी विभाग के प्रोफेसर डा. गिरीश चंदेल ने निम्न जीआई वाले चावल की पहचान की है. इस चावल को जल्दी ही बाजार में उतारने की कोशिशें तेजी से चल रही?है. डा. गिरीश चंदेल का इस बारे में कहना है कि पिछले कुछ सालों से वे और उन की टीम के लोग निम्न जीआई वाले चावल को विकसित करने या तलाशने की कोशिश कर रहे थे. इस खोज का मकसद यही था कि ऐसा चावल सामने आए, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए मुफीद हो. डा. गिरीश चंदेल व उन के दल के साथियों की खोज का नतीजा यह रहा कि ऐसा मनचाहा गुण उन्हें ‘चपाती गुरमटिया’ किस्म के धान में मिला. छत्तीसगढ़ सूबे में इस किस्म के धान की खेती बाकायदा परंपरागत तरीके से की जाती है. डा. गिरीश चंदेल ने कहा कि उन की यह खोज काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि न सिर्फ भारत बल्कि सारे संसार के काफी सारे लोग चावल को बहुत चाव से खाते हैं. अभी तो खैर यह नई खोज है, मगर आने वाले वक्त में चावल की यह किस्म दुनिया भर में छा कर नाम कमा सकती है और उगाने वालों को मालामाल कर सकती है.         

योजना

बनेगा दालों का बफर स्टाक

नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी की अगवाई वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने दालों का बफर स्टाक बनाने के लिए मंजूरी दी?है. यह बफर स्टाक इसी साल बनाया जाएगा. इस के तहत सरकार ने 2015-16 की खरीफ फसल से करीब 50 लाख टन और 2015-16 की रबी फसल से 1 लाख टन दालों की खरीद को अपनी मंजूरी दी?है. दालों की खरीद ‘भारतीय खाद्य निगम’, ‘नेशनल एग्रीकल्चरल कोआपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन आफ इंडिया लिमिटेड’, ‘स्माल फार्मर्स एग्रीबिजनेस कंसोर्टिया’ और सरकार द्वारा तय की जाने वाली किसी दूसरी एजेंसी से की जाएगी. किसानों से दालों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य से?ऊपर बाजार मूल्य पर की जाएगी. सीसीईए ने जरूरत के मुताबिक दाल के आयात को भी मंजूरी दी?है.             

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बाढ़ और सूखे के लिए नया धान

पटना : कृषि अनुसंधान संस्थान की पटना शाखा ने धान की नई किस्म बीआर 2028 ईजाद की है. इस किस्म की खासीयत यह है कि यह बाढ़ और सूखे दोनों ही हालात में खराब नहीं होगी. बिहार की मिट्टी और जलवायु के लिए मुफीद यह किस्म अगले साल किसानों को मुहैया कराई जाएगी. धान की सब से लोकप्रिय किस्म राजेंद्र मंसूरी और नाटा मंसूरी से मिलतीजुलती यह किस्म पूरी तरह से रोगमुक्त है. इस से किसानों को प्रति हेक्टेयर 75 से 80 क्विंटल धान मिल सकेगा. यह लंबी अवधि का धान है और इसे तैयार होने में 140-150 दिन लगेंगे. संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डा. अजय कुमार ने बताया कि इस के पौधे 110-115 सेंटीमीटर ऊंचे होंगे और कम सिंचाई में भी इस से बेहतरीन पैदावार मिल सकेगी. 20-25 दिनों तक पानी के बगैर रहने पर भी इस के पौधे बरबाद नहीं होंगे, वहीं 10-15 दिनों तक पानी में डूबे रहने के बाद भी पौधे महफूज रहेंगे. इस धान के चावल का दाना छोटा और काफी जायकेदार होगा. इस में फाल्स स्मट, बैक्टेरियल लीफ ब्लाइट व मधुआ, कीट और सीथ ब्लाइट जैसे रोगों का कोई असर नहीं होगा. बिहार के साथसाथ पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश की जलवायु के लिए भी यह किस्म काफी लाभकारी है. डा. अजय के साथ कृषि वैज्ञानिक डा. अशोक सिंह और डा. अरविंद पिछले 10 सालों से इस किस्म के धान के शोध में लगे हुए थे. बिहार के कई जिलों में इस का सफल प्रयोग किया जा चुका?है.   

धांधली

न खेत बचे न किसान

जयपुर : राजस्थान में मुख्य सड़कों व संपर्क सड़कों के आसपास की कृषि भूमि में हजारों आवासीय कालोनियां विकसित हो गई हैं. इन कालोनियों में कच्चीपक्की सड़कें बना कर व बिजली के पोल लगा कर भूकारोबारी लोगों को जमीनें बेच रहे हैं. इस मनमानी की वजह से जहां खेती का रकबा घट रहा है, वहीं किसानों की खेती में रुचि भी घटती जा रही है. कानूनी तौर पर इजाजत लिए बगैर खेती की जमीन पर ये तमाम कालोनियां काट दी गई हैं. जमीन के कारोबारी किसानों की जमीनों का केवल इकरारनामा कर के कालोनियां काट रहे हैं. कालोनाइजर खेती की जमीन के साथसाथ सरकारी जमीन पर भी कालोनियां काट कर उन में सड़कें बना कर व बिजली के पोल खड़े कर के एग्रीमेंट पर धड़ल्ले से खुलेआम प्लाट बेचते हैं. खेती की जमीन को आवासीय जमीन में तब्दील कराए बगैर ही कालोनियां बिकसित करने से सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि भी हो ही है. प्रदेश भर में बड़ी तादाद में कालोनियां इसी तरह बसाई जा रही हैं. प्रापर्टी डीलरों यानी कालोनाइजरों का यह कारोबार पूरी तरह से नाजायज है. इस से उन को तो कमाई हो रही है, लेकिन सरकार को राजस्व का तगड़ा चूना लग रहा है. इन कालोनियों में जमीन लेने वालों को भी आगे चल कर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.  

जलसा

सोनालिका ने किया किसान परिवार की लड़कियों को सम्मानित

नई दिल्ली : 5 दिसंबर, 2015 को भारत की तीसरी सब से बड़ी ट्रैक्टर निर्माता कंपनी सोनालीका इंटरनेशनल टैक्टर्स लिमिटेड ने जौहरी से ताल्लुक रखने वाली उन 12 लड़कियों को सम्मानित किया, जिन का चयन राष्ट्रीय स्तर की पिस्टल प्रतियोगिता के लिए किया गया?है. यह शानदार और जोरदार समारोह क्रिसमस और गिविंग डे के मद्देनजर आयोजित कार्यक्रमों का हिस्सा?था. महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सोनालीका आईटीएल ने अपनी गतिविधि ‘उड़ान’ के तहत उत्तर प्रदेश के जौहरी में 30 युवा लड़कियों को पिस्टल शूटिंग का प्रशिक्षण उपलब्ध कराया?था. यह पहल जौहरी राइफल एसोसिएशन (उत्तर प्रदेश) के साथ मिल कर की गई थी. अकसर रईसों का खेल कहलाने वाली पिस्टल शूटिंग को हमारे देश में दूसरे खेलों के मुकाबले ज्यादा पहचान नहीं मिली?है. पिस्टल और बंदूकों पर होने वाले खर्च के अलावा शूटिंग में प्रशिक्षण के लिए कोचिंग, कारतूस, अभ्यास के लिए शूटिंग रेंज वगैरह पर भी काफी खर्च होता है. इस अंतर की भरपाई के लिए जौहरी राइफल एसोसिएशन ने गांव की सभी लड़कियों के लिए एक स्थानीय सरकारी स्कूल के साथ मिल कर फ्री समर कैंप लगाया था. सोनालीका आईटीएल इन लड़कियों के हुनर को और निखारने की योजना बना रही है, जिस से इन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भेजा जा सके. इस पहल के जरीए ‘उड़ान’ खिलाडि़यों को भारतीय सैन्य बल जैसे बीएसएफ, सीआरपीएफ, दिल्ली पुलिस वगैरह में रोजगार हासिल करने में मदद कर रही?है.

इस मौके पर सोनालीका आईटीएल के प्रबंध निदेशक दीपक मित्तल ने बताया कि इन प्रतिभाशाली लड़कियों को सम्मानित करते हुए हमें बेहद खुशी है और इन का सफर हम सभी के लिए प्रेरणा है. ये 12 लड़कियां विधि, निशा खोखर, काजल खोखर, शिवानी, आकांक्षा आर्य, तनु चौधरी, सोनम मलिक, साक्षी कौशिक, अनिश्का कौशिक, पूर्णिमा, डौली और दीक्षा अब राष्ट्रीय स्तर की शूटिंग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेंगी. ये सभी लड़कियां उत्तर प्रदेश के बागपत और बड़ौत जिले के किसान परिवारों की?होनहार संतानें हैं.                   

तकनीक

फसलों को कहर से बचाने का तरीका

जयपुर : रबी सीजन में बोई गई सब्जियों की फसल को कुदरती कहर मसलन ओले, पाला व बेमौसम की बारिश से बचाने के लिए नई तकनीकें ईजाद की गई?हैं. लोटनल और वाचिंग टनल नाम इन तकनीकों से सब्जी आदि की फसल को कुदरती कहर से बचाया जा सकता?है. दुर्गापुरा उद्यान महकमे के उपनिदेशक राजेंद्र पाटनी ने बताया कि लोटनल तकनीक में पौधों को प्लास्टिक से ढका जाता?है, ताकि कड़ाके की ठंड के अलावा बेमौसम की बारिश व ओले जैसे कुदरती कहर से फसल का पूरी तरह से बचाव हो सके. वहीं वाचिंग टनल को फसल की ऊंचाई के हिसाब से रखते?हैं. यह तकनीक सरसों, गेहूं व जौ आदि फसलों के काम में आती?है. इस तकनीक का एक और फायदा यह?है कि किसान खेत के अंदर जा कर पूरी फसल की निगरानी भी कर सकते है इन तकनीकों पर उद्यान महकमा किसानों को 50 फीसदी तक अनुदान भी दे रहा है. राजेंद्र पाटनी ने बताया कि लोटनल तकनीक सब से आसान और सस्ती है. इस तकनीक में 1 हजार वर्गमीटर क्षेत्रफल पर करीब 11 हजार रुपए की लागत आती है. इस लागत का 50 फीसदी यानी साढ़े 5 हजार रुपए किसानों को अनुदान मिल जाता है. यानी थोड़ी सी रकम लगा कर किसान इसे अपना सकते हैं.     

गुस्ताखी

रोक के बावजूद खुद रहे हैं नलकूप

जयपुर : लगातार घटते भूजल स्तर के बावजूद बिना सरकारी इजाजत के धड़ाधड़ नलकूपों की खुदाई की जा रही है. इस के चलते साल दर साल जहां भूजल स्तर गिरता जा रहा है, वहीं लोगों को बूंदबूंद पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. यही हाल रहा तो नलकूपों  से एक दिन पानी की जगह हवा ही निकलेगी. खास बात यह है कि उच्च न्यायालय के फैसले के बाद राजस्थान सरकार ने भी व्यक्तिगत हित के लिए नलकूप खुदवाने से पहले संबंधित अधिकारी से मंजूरी लेने के निर्देश दिए थे, लेकिन आज तक न तो किसी ने इजाजत ली है और न ही अधिकारियों ने दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही की है. जानकारी के मुताबिक, भूजल पर काम कर रही एक संस्था की याचिका पर राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने लगातार गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए फरवरी, 2011 में प्रदेश में कहीं भी नलकूप की खुदाई कराने के लिए जिले के संबंधित अधिकारी से इजाजत लेने का फैसला सुनाया था. इस को मानते हुए राज्य सरकार ने भी उसी साल अगस्त, 2011 में प्रदेश के सभी कलेक्टरों को आदेश जारी कर के अदालत के आदेश का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए थे. इस फरमान के बाद प्रदेशभर में हजारों नलकूपों की खुदाई की जा चुकी है. लेकिन किसान, मकान मालिक या कारोबारी आदि ने इस के लिए निजी अधिकारी से इजाजत नहीं ली है. प्रशासन ने भी ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है. इस प्रकार उच्च न्यायालय के फैसले व राज्य सरकार के निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं. सरकारी इजाजत के बगैर नलकूप की खुदाई करने वाले को 5 साल की सजा का प्रावधान है इसी प्रकार नलकूप की खुदाई करने वाले मशीनमालिक को 1 साल की सजा के साथसाथ उसे एक लाख रुपए तक का जुर्माना बसूलने का नियम है. लेकिन प्रदेश में न तो अभी तक किसी ने नलकूप खुदाई की इजाजत ली है और न ही प्रशासन ने किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही की है.                                            

मदद

कृषि मशीनों में मिलेगी सब्सिडी

नई दिल्ली : खेती के मजदूरों की कमी के बीच सरकार ने बागबानी फसलों के लिए अकसर इस्तेमाल किए जाने वाले अनेक उपकरणों के लिए 50 फीसदी तक वित्तीय सहायता देने के नियमों में कई तरह के बदलाव किए हैं. कृषि मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि भारत में बागबानी मशीनीकरण का काम काफी ध्यान दिए जाने इस के लिए इस क्षेत्र में खस विकास की जरूरत?है. बागबानी उपकरणों की लागत के 50 फीसदी तक की वित्तीय सहायता पूर्वोत्तर में रहने वाली महिलाओं, लघु एवं सीमांत किसानों, अनुसूचित जाति जनजाति वाले किसानों को दी जाएगी. सरकार के इस कदम से सूबे के तमाम छोटे और मध्यम दरजे के किसानों को काफी राहत मिलेगी.

राहत

फसल बीमा के लिए 1128 करोड़

पटना : बिहार में बाढ़, सूखे और आंधी की वजह से फसलों का नुकसान उठाने वाले किसानों को फसल बीमा की रकम मिलेगी. इस के लिए राज्य सरकार ने 1128 करोड़ रुपए की मंजूरी दे दी?है. सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने बताया कि साल 2014-15 के दौरान कुदरती आपदा की वजह से हुए फसलों के नुकसान की भरपाई की जाएगी. इस के साथ ही चालू वित्त साल में रबी की फसलों के लिए भी राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना को लागू किया जाएगा. गेहूं के अलावा 12 अन्य फसलों को भी बीमे के लिए चुना गया?है. मंत्री ने बताया कि गेहूं की फसल का बीमा राज्य के सभी 38 जिलों के किसान करा सकेंगे. इस के साथ ही 36 जिलों में सरसों का बीमा, 34 जिलों में मसूर का बीमा, 24 जिलों में मक्के का बीमा, 23 जिलों में अरहर का बीमा, 17 जिलों में चने व गन्ने का बीमा, 15 जिलों में आलू व प्याज का बीमा, 12 जिलों में?बैगन व मिर्च का बीमा और 10 जिलों में टमाटर की फसलों का बीमा कराया जा सकता?है. गेहूं के बीमे के लिए प्रीमियम दर 1.5 फीसदी और बाकी फसलों के लिए 2 फीसदी?है. छोटे और सीमांत किसानों को राज्य सरकार प्रीमियम में 10 फीसदी के अनुदान का लाभ भी देगी. फसल बीमा का लाभ लेने के लिए गैर कर्जदार किसान 31 दिसंबर, 2015 तक और कर्जदार किसान 31 मार्च, 2016 तक बीमा करा सकते?हैं.         

बदहाली

फसल बीमा के लिए 1128 करोड़

पटना : बिहार में बाढ़, सूखे और आंधी की वजह से फसलों का नुकसान उठाने वाले किसानों को फसल बीमा की रकम मिलेगी. इस के लिए राज्य सरकार ने 1128 करोड़ रुपए की मंजूरी दे दी है. सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने बताया कि साल 2014-15 के दौरान कुदरती आपदा की वजह से हुए फसलों के नुकसान की भरपाई की जाएगी. इस के साथ ही चालू वित्त साल में रबी की फसलों के लिए भी राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना को लागू किया जाएगा. गेहूं के अलावा 12 अन्य फसलों को भी बीमे के लिए चुना गया है. मंत्री ने बताया कि गेहूं की फसल का बीमा राज्य के सभी 38 जिलों के किसान करा सकेंगे. इस के साथ ही 36 जिलों में सरसों का बीमा, 34 जिलों में मसूर का बीमा, 24 जिलों में मक्के का बीमा, 23 जिलों में अरहर का बीमा, 17 जिलों में चने व गन्ने का बीमा, 15 जिलों में आलू व प्याज का बीमा, 12 जिलों में?बैगन व मिर्च का बीमा और 10 जिलों में टमाटर की फसलों का बीमा कराया जा सकता है. गेहूं के बीमे के लिए प्रीमियम दर 1.5 फीसदी और बाकी फसलों के लिए 2 फीसदी है. छोटे और सीमांत किसानों को राज्य सरकार प्रीमियम में 10 फीसदी के अनुदान का लाभ भी देगी. फसल बीमा का लाभ लेने के लिए गैर कर्जदार किसान 31 दिसंबर, 2015 तक और कर्जदार किसान 31 मार्च, 2016 तक बीमा करा सकते हैं.         

बदहाली

किसानों की सेवा से अभी काफी दूर हैं किसानसेवा केंद्र

जयपुर : प्रदेशभर की तमाम ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर किसानों और गांव वालों की सहूलियत के लिए बन रहे किसानसेवा केंद्रों के निर्माण की चाल काफी धीमी?है. 2 साल से भी ज्यादा समय गुजर जाने के बावजूद अब तक ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर इन का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है. राजस्थान की तकरीबन 9800 ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर 10-10 लाख रुपए की लागत से किसानसेवा केंद्रों का निर्माण होना था, लेकिन काम शुरू हुए 2 साल से भी ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी किसानसेवा केंद्रों का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है. पंचायतीराज एवं अधिकारिता विभाग जयपुर से मिली जानकारी के मुताबिक, पंचायतीराज विभाग की ओर से ग्रामीणों व किसानों को एक ही छत के नीचे सभी तरह की सहूलियतें मुहैया कराने के लिए सभी ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर किसानसेवा केंद्र बनाने की मंजूरी मिली हुई?है. प्रदेश की तकरीबन 4 हजार ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर तो किसानसेवा केंद्रों का निर्माण पूरा हो चुका है, लेकिन बाकी ग्राम पंचायतों पर निर्माण

कार्य अभी भी मंथर गति से चल रहा है. ऐसे में सरकारी लापरवाही के चलते किसानों की जानकारी अपडेट रखने की पिछली सरकार की कवायद कामयाब नहीं हो पाई. गौरतलब है कि हर सेवा केंद्र में करीब 10 लाख रुपए की लागत से 4 कमरों व 2 लाबियों का निर्माण किया जाना है. इन केंद्रों में कृषि विभाग की ओर से किसानों को फसल की बीमारियों, मौसम, फसलबीमा, बोआई व कटाई संबंधी जानकारियां मुहैया कराई जाएंगी. पटवारी के काम के लिए भी भवन का निर्माण होगा. कई ग्राम पंचायतों में किसानसेवा केंद्रों में महज नींव का ही काम हुआ?है, तो कई जगह काम ही शुरू नहीं हो पाया?है. इस लापरवाही की वजह से किसान जरूरी सहूलियतों के लिए मुहताज हो रहे?हैं.

गौरतलब?है कि यदि ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर किसानसेवा केंद्र बनते?हैं, तो किसानों को कृषि व राजस्व विभाग से संबंधित कामों की सुविधा एक ही छत के नीचे मिलेगी. कृषि विभाग की ओर से किसानों को फसल की बीमारियों, मौसम, फसलबीमा, बोआई व कटाई संबंधी जानकारियां मिलेगी. इलाके के पटवारी के केंद्र पर मौजूद रहने से किसानों को राजस्व संबंधी फायदा मिलेगा. किसानों की कई तरह की समस्याओं के हल के लिए समयसमय पर केंद्र पर बैठकें भी आयोजित होंगी.

मुहिम

चापाकलों की मरम्मत मोबाइल वैन से

पटना : बिहार के सभी जिलों में बंद पड़े चापाकलों यानी हैंडपंपों को चालू करने और उन की देखरेख के लिए मोबाइल वैन की शुरुआत की जाएगी. पिछले दिनों राज्य के पीएचईडी विभाग ने पटना जोन की ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं की समीक्षा के दौरान पाया कि 40 फीसदी चापाकल छोटीमोटी गड़बडि़यों की वजह से बंद हैं. अफसरों को 1 सप्ताह के अंदर सभी गड़बडि़यों को दूर करने की हिदायत दी गई है. मरम्मत के काम में तेजी लाने के लिए सभी डिवीजनों को 1-1 मोबाइल वैन मुहैया कराई जाएगी. इस के साथ ही मुख्यमंत्री चापाकल योजना के तहत लगाए जाने वाले 4 हजार चापाकलों को 1 महीने के अंदर लगाया जाएगा. पटना जोन में मुख्यमंत्री चापाकल योजना का लक्ष्य 90 दिनों में पूरा कर लेने का दावा किया गया?है.         हालात

चावलमिलमालिकों पर 1310 करोड़ बकाया

पटना : बिहार में किसानों और सरकार से धान ले कर चावल नहीं लौटाने वाले मिलमालिकों को जेल भेजने की कवायद शुरू की गई है. सरकार ने ऐसे चावलमिलमालिकों को गिरफ्तार करने और उन की कुर्कीजब्ती का आदेश जारी कर दिया?है. इस सिलसिले में 1200 बड़े बकायादार मिलमालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है. गौरतलब?है कि पिछले 3 सालों से चावलमिलों के मालिक 1310 करोड़ रुपए का बकाया देने में टालमटोल कर रहे?थे. चावलमिलमालिकों पर साल 2013-14 के 150 करोड़, साल 2012-13 के 732 करोड़ और साल 2011-12 के 427 करोड़ रुपए बकाया?हैं. धान ले कर चावल वापस नहीं करने के मामले में एसएफसी समेत कई विभागों के अफसरों और मुलाजिमों पर भी कानूनी कार्यवाही की जा रही?है. कुल 394 अफसरों और मुलाजिमों की जांच की जा रही?है और 184 पर मुकदमा दर्ज किया गया?है.

पटना की 64 चावलमिलों पर 55.61, भोजपुर की 90 मिलों पर 72.05, बक्सर की 152 मिलों पर 101, कैमूर की 357 मिलों पर 220, रोहतास की 191 मिलों पर 11, नालंदा की 84 मिलों पर 55.34, गया की 49 मिलों पर 40, औरंगाबाद की 207 मिलों पर 62.15, वैशाली की 25 मिलों पर 23.66, मुजफ्फरपुर की 33 मिलों पर 66.51, पूर्वी और पश्चिम चंपारण की 153 मिलों पर 63, सीतामढ़ी की 52 मिलों पर 55.83, दरभंगा की 34 मिलों पर 39.83, शिवहर की 8 मिलों पर 17.78, नवादा की 23 मिलों पर 20.48 करोड़ रुपए की रकम बकाया है. इस के अलावा अरवल, शेखपुरा, लखीसराय, मधुबनी, समस्तीपुर, सिवान, सारण, गोपालगंज आदि जिलों की सैकड़ों छोटीछोटी चावलमिलों पर करीब 900 करोड़ रुपए बकाया?हैं.                      

मधुप सहाय, भानु प्रकाश, मदन कोथुनियां और बीरेंद्र बरियार

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सवाल किसानों के

सवाल : क्या हमें मुरगीपालन की ट्रेनिंग कृषि विज्ञान केंद्र से मिल सकती है?

-आशीष कुमार, सीतापुर, उत्तर प्रदेश

जवाब : किसान भाई, आप अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र पर जा कर मुरगीपालन की ट्रेनिंग के बारे में जानकारी प्राप्त कर के मुरगीपालन की ट्रेनिंग ले सकते हैं.

सवाल : मेरी गेहूं की फसल सही तरीके से पनप नहीं रही, ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए?

-माटीलाल चौबे, ग्वालियर, मध्य प्रदेश

जवाब : गेहूं की बोआई के करीब 20-22 दिनों बाद हलका पानी लगाने के बाद खरपतवारनाशी का छिड़काव करें. इस के बाद जिंकयूरिया के मिश्रण का घोल बना कर छिड़कें.

सवाल : मेरे खेत के गोभी के फूल कुछ बिखरेबिखरे से आ रहे हैं. ऐसा क्यों है?

-राम प्रताप गुप्ता, मथुरा, उत्तर प्रदेश

जवाब : सही समय से रोपाई न करने के कारण ऐसा होता है. खासतौर पर अगेती प्रजाति में देशी किस्मों के फूल अधिक बिखरेबिखरे होते हैं.

सवाल : मेरे अमरूद के पेड़ फल तो ठीक दे रहे हैं, मगर उन में मिठास सही नहीं है?

-पूनम अग्निहोत्री, फरीदाबाद, हरियाणा

जवाब : आप ने यह नहीं बताया है कि आप ने कौन सी प्रजाति के पेड़ लगाए हैं. फल में मिठास अलगअलग प्रजाति में अलगअलग होती है और मौसम के अनुसार भी होती है. अधिक मिठास के लिए आप केवल जैविक खादों का प्रयोग करें.

सवाल : नई भैंस खरीदने से पहले मैं ने 2 दिन यानी 4 वक्त उस का दूध निकलवा कर देखा था. हर बार उस ने 7-7 लीटर दूध दिया था. मगर खरीद कर लाने के बाद उस का दूध घट कर 5 लीटर प्रति टाइम हो गया है. इस की वजह क्या है?

-रानी चौधरी, मोहाली, पंजाब

जवाब : इस की वजह यह है कि जगह बदलने से पशु तनाव में आ जाता है. शायद आप की भैंस लंबी दूरी से वाहन द्वारा लाई गई होगी, जिस के कारण उस का दूध घटा होगा. आप के घर आने के बाद भैंस की खुराक व देखभाल में भी अंतर आया होगा. ऐसी वजहों से पशु का दूध घटता है. पशु का दूध बढ़ाने के लिए उस के आहार पर खास ध्यान देना चाहिए. दाने में रोजाना 60 ग्राम एग्रीमिन फोर्ट चेलटेड, 60 ग्राम नमक व 30 ग्राम नौसादर मिला कर दें. इस के अलावा रोजाना 100 मिलीलीटर ओस्टोवेट भी दें. भैंस को भरपेट हरा चारा भी मिलना चाहिए.

सवाल : मुझे प्याज की खेती के बारे में जानकारी दें. क्या एन 53 की खेती रबी के मौसम में की जा सकती है?

-कुशल कुमार, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश

जवाब : एन 53 प्रजाति खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली है. यह प्रजाति हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से निकाली गई है.           

डा. हंसराज सिंह, डा. अनंत कुमार, डा. प्रमोद मडके

कृषि विड्डज्ञान केंद्र, मुरादनगर, गाजियाबाद

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